मंगलवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में बजट पेश करते हुए उत्तराखंड के लिए एक महत्वपूर्ण घोषणा की। इस बजट में उत्तराखंड को आपदा राहत के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं, जिससे राज्य को एक नई उम्मीद मिल गई है। खासकर, भूस्खलन और बादल फटने जैसी प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने पहली बार बजट में विशिष्ट प्रावधान किया है। इस पहल के तहत उत्तराखंड को प्रारंभिक राशि के रूप में 86 करोड़ रुपये दिए जाएंगे।
आपदा राहत के लिए बजट प्रावधान
बजट भाषण में निर्मला सीतारमण ने उत्तराखंड के लिए आपदा राहत के स्पष्ट प्रावधान की घोषणा की। यह प्रावधान उन क्षेत्रों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जो भूस्खलन और बादल फटने जैसी आपदाओं से प्रभावित होते हैं। उत्तराखंड में भूस्खलन और प्राकृतिक आपदाओं के कारण नियमित रूप से जनजीवन और इंफ्रास्ट्रक्चर को नुकसान पहुँचता है। इस नई पहल से राज्य को आपदा राहत के क्षेत्र में पर्याप्त संसाधन मिल सकेंगे, जिससे आपदा से प्रभावित लोगों की सहायता की जा सकेगी और राज्य में पुनर्वास और पुनर्निर्माण की प्रक्रिया को तेज किया जा सकेगा।
कृषि और उद्योग के लिए नई योजनाएं
बजट में कृषि और उद्योग के क्षेत्र में भी कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की गई हैं, जो उत्तराखंड के विकास में सहायक हो सकती हैं। विशेष रूप से एमएसएमई सेक्टर के लिए गारंटी मुक्त लोन की स्ववित्त गारंटी योजना को लागू करने की घोषणा की गई है। इस योजना के तहत उद्यमियों को बैंकों से आसानी से लोन मिल सकेगा, जिससे नए स्टार्टअप या उद्यम स्थापित करने में उन्हें आर्थिक मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ेगा। इस योजना के लागू होने से उत्तराखंड के छोटे उद्यमियों को भी लाभ होगा, और वे अपने व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक वित्तीय सहायता प्राप्त कर सकेंगे।
इसके अतिरिक्त, मुद्रा लोन की सीमा को बढ़ाकर 20 लाख रुपये करने की भी घोषणा की गई है, जिससे राज्य के छोटे व्यवसायी और उद्यमी अपने व्यवसाय के विस्तार के लिए वित्तीय संसाधन प्राप्त कर सकेंगे।
प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नतग्राम अभियान
केंद्रीय बजट में प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नतग्राम अभियान के तहत देश के 63 हजार गांवों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने की योजना भी शामिल है। इस योजना के तहत करीब पांच करोड़ लोगों को लाभ मिलेगा। उत्तराखंड के चमोली, उत्तरकाशी, पिथौरागढ़, और यूएसनगर जिलों में जनजातीय आबादी होने के कारण, इस योजना से इन क्षेत्रों में भी विकास की नई संभावनाएं खुलेंगी।
प्राकृतिक खेती का दायरा बढ़ाने की योजना
बजट में कृषि पर विशेष फोकस किया गया है, जिससे उत्तराखंड में भी कृषि क्षेत्र में बदलाव की उम्मीद जगी है। खासकर, प्राकृतिक खेती के दायरे को तीन गुना बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस योजना के तहत, अगले दो साल में देश के एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने का लक्ष्य है। उत्तराखंड ने इस परियोजना पर दो साल पहले ही काम शुरू कर दिया था, और इस नई घोषणा से राज्य में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
राज्य की वित्तीय स्थिति और विपक्ष की प्रतिक्रिया
बजट में उत्तराखंड के लिए आपदा मद में प्रावधान को एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है, लेकिन राज्य की सात अन्य प्रमुख उम्मीदें पूरी नहीं हो पाईं, जिनकी पैरवी राज्य सरकार ने की थी। राज्य सरकार का कहना है कि विस्तृत बजट का इंतजार किया जाना चाहिए और इसमें कुछ अपेक्षित प्रावधानों की कमी रही है।
विपक्ष ने बजट में राज्य की उपेक्षा का आरोप लगाया है। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने टिप्पणी की है कि यह बजट तरक्की का नहीं, बल्कि केंद्र सरकार को बचाने का बजट है। उनके अनुसार, बजट में देश की अर्थव्यवस्था और रोजगार की स्थिति सुधारने के कोई ठोस इंतजाम नहीं किए गए हैं, और यह सरकार की कमजोरी और अस्थिरता का उदाहरण है।
सरकार का दृष्टिकोण
विपक्ष की आलोचनाओं के बावजूद, सरकार का कहना है कि बजट एक दूरदर्शी, समावेशी, सर्वस्पर्शी और सर्वग्राही दस्तावेज है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि यह बजट प्रधानमंत्री के विजन ‘विकसित भारत 2047’ को साकार करने में सहायक होगा। उन्होंने यह भी कहा कि उत्तराखंड को आपदा विशेष पैकेज से विशेष लाभ मिलेगा, जिससे राज्य के विकास में नई ऊर्जा आएगी।
केंद्रीय बजट 2024-25 ने उत्तराखंड के लिए कई सकारात्मक संकेत दिए हैं, खासकर आपदा राहत और कृषि के क्षेत्र में। इस बजट से राज्य को आपदा प्रबंधन के लिए नए संसाधन मिलेंगे, और कृषि क्षेत्र में भी बदलाव की उम्मीद है। हालांकि, बजट की कुछ घोषणाओं को लेकर विपक्ष की आलोचनाएं भी सामने आई हैं। इस बजट का प्रभाव उत्तराखंड के विकास और आपदा राहत की योजनाओं में समय के साथ स्पष्ट होगा।