बरेली के शाहजहांपुर जिले के जलालाबाद में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। आर्थिक तंगी से जूझ रहे एक परिवार ने अपनी नवजात बेटी को मात्र सात हजार रुपये में बेच दिया। जानकारी मिलने पर, पुलिस ने न केवल बच्ची को उनके माता-पिता को वापस दिलाया बल्कि आर्थिक सहयोग भी प्रदान किया।
शाहजहांपुर के जलालाबाद में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। आर्थिक तंगी से मजबूर होकर एक दंपती ने अपनी नवजात बेटी को सात हजार रुपये में बेच दिया। जब यह मामला पुलिस के पास पहुंचा, तो उन्होंने न केवल बच्ची को वापस दिलाया बल्कि दंपती को आर्थिक मदद भी दी।
अल्हागंज थाना क्षेत्र के एक गांव की महिला को प्रसव पीड़ा होने पर बुधवार को उसका पति उसे जलालाबाद लेकर आया। आर्थिक तंगी के कारण उसने सराय साधौ मोड़ के पास अवैध रूप से क्लीनिक चला रही एक बंगाली महिला के पास उसे भर्ती कराया। शाम को महिला ने एक बच्ची को जन्म दिया।
पान बेचने वाले ने खरीदी बच्ची
अस्पताल से छुट्टी होने से पहले, दंपती को सात हजार रुपये का बिल दिया गया। आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण वे बिल चुकाने में असमर्थ थे और उन्होंने कहा कि वे अपनी बेटी को किसी जरूरतमंद को दे देंगे जो बिल चुका सके। पास में पान की दुकान चलाने वाले एक व्यक्ति, जिसकी कोई संतान नहीं थी, ने बच्ची को खरीदने की इच्छा जताई। अवैध क्लीनिक चलाने वाली महिला ने उससे बात की और बच्ची को उसे दे दिया।
वह व्यक्ति बिल चुकाकर बच्ची को अपने साथ ले गया। लेकिन घर लौटने के बाद महिला का मन बदल गया और वह अपने पति के साथ थाने पहुंच गई। उन्होंने शिकायत की कि अस्पताल वालों ने उनकी बच्ची किसी व्यक्ति को दे दी।
दंपती ने स्वीकार की गलती
मामला संदिग्ध प्रतीत हुआ, इसलिए इंस्पेक्टर हरिपाल बालियान ने उस व्यक्ति को बुलवाया जिसने बच्ची को लिया था। पूरी हकीकत सामने आई और दंपती ने अपनी गलती स्वीकार की। पुलिस ने बच्ची को वापस दिला दिया। महिला के पहले से ही दो बेटियां हैं। इंस्पेक्टर ने बताया कि दंपती काफी गरीब हैं और उन्हें आर्थिक सहयोग दिया गया है। दोनों पक्षों ने कोई कानूनी कार्रवाई नहीं चाही।
पुलिस का सहयोग और सामाजिक पहल
इस मामले ने एक बार फिर से आर्थिक तंगी और गरीबी की वजह से परिवारों को कितनी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, यह उजागर किया है। पुलिस ने इस संवेदनशील मामले में जो कदम उठाए, वह सराहनीय है। उन्होंने न केवल बच्ची को वापस दिलाया, बल्कि दंपती को आर्थिक सहायता भी प्रदान की। यह घटना समाज के उन हिस्सों की ओर ध्यान आकर्षित करती है जहां बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं की कमी है और लोग अवैध क्लीनिकों पर निर्भर होते हैं।
अवैध क्लीनिकों का बढ़ता संकट
जलालाबाद जैसे क्षेत्रों में अवैध रूप से चल रहे क्लीनिकों की संख्या बढ़ रही है। ये क्लीनिक ना सिर्फ कानून का उल्लंघन कर रहे हैं बल्कि लोगों की जान को भी खतरे में डाल रहे हैं। इस घटना में शामिल बंगाली महिला के क्लीनिक ने इस गंभीर समस्या को उजागर किया है। सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की कमी और जागरूकता की अभाव में लोग मजबूरन इन अवैध क्लीनिकों का सहारा लेते हैं।
आर्थिक तंगी और मजबूरी का दंश
इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया कि गरीबी और आर्थिक तंगी किस हद तक लोगों को मजबूर कर सकती है। एक परिवार को अपनी नवजात बेटी को बेचना पड़ रहा है, यह स्थिति बेहद चिंताजनक है। सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों को ऐसे मामलों पर ध्यान देना चाहिए और आर्थिक सहायता एवं रोजगार के अवसर प्रदान करने की दिशा में कदम उठाने चाहिए।
समाज की भूमिका
समाज के विभिन्न वर्गों को भी ऐसे मामलों में सहयोग के लिए आगे आना चाहिए। जब किसी परिवार को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है, तो समाज के सक्षम वर्गों को उनकी मदद करनी चाहिए। यह घटना एक महत्वपूर्ण सबक है कि हम सभी को अपने आस-पास के लोगों की परेशानियों को समझना और उनकी सहायता करना कितना महत्वपूर्ण है।
आगे का रास्ता
इस घटना के बाद, यह आवश्यक है कि प्रशासन अवैध क्लीनिकों के खिलाफ सख्त कदम उठाए। साथ ही, गरीब परिवारों को स्वास्थ्य सेवाओं का उचित लाभ मिल सके, इसके लिए सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ाई जाए। जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को सही स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में जानकारी दी जाए और अवैध क्लीनिकों के खतरों से आगाह किया जाए।
यह घटना न केवल एक परिवार की आर्थिक तंगी और मजबूरी को दर्शाती है, बल्कि समाज और प्रशासन के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश भी देती है। पुलिस की तत्परता और सहयोग की भावना ने एक मासूम की जिंदगी को बचाया और उसके परिवार को वापस खुशी दिलाई। अब यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम ऐसे मामलों को दोबारा होने से रोकें और समाज को सुरक्षित और सहायक बनाएं