मेरठ: समाजवादी पार्टी (सपा) में हाल ही में एक बड़ा घमासान देखने को मिला जब लखनऊ में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के सामने सपा नेताओं के बीच गहमा-गहमी हुई। लोकसभा चुनाव की हार को लेकर आपसी आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो गया, और नेताओं ने एक-दूसरे की पोल खोलकर सामने रख दी। इस घटनाक्रम ने सपा के भीतर गुटबाजी की गहरी खाइयों को उजागर कर दिया है, जिससे पार्टी की स्थिति और भी कठिन हो गई है।
गुटबाजी और आपसी खींचतान का खुलासा
सपा नेताओं के बीच हुई इस तनातनी में, एक-दूसरे पर गंभीर आरोप लगाए गए। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मेरठ के नेताओं को लोकसभा चुनाव की हार पर विचार करने के लिए लखनऊ बुलाया था। बैठक में उपचुनाव की तैयारियों पर भी चर्चा होनी थी, जिसमें सपा विधायक, पूर्व और वर्तमान जिलाध्यक्ष, और राष्ट्रीय एवं प्रदेश स्तर के पदाधिकारी शामिल हुए थे।
लोकसभा चुनाव में सपा को भाजपा के खिलाफ कड़े मुकाबले में हार का सामना करना पड़ा था। सपा प्रत्याशी सुनीता वर्मा भाजपा के प्रत्याशी और अभिनेता अरुण गोविल से करीब 10 हजार वोटों के अंतर से हार गई थीं। हार की मुख्य वजह पार्टी के भीतर की कलह और आपसी विवाद बताए जा रहे हैं।
नेताओं की आपसी खींचतान
बैठक के दौरान, पूर्व विधायक योगेश वर्मा ने संगठन की कमजोरी को हार का मुख्य कारण बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि संगठन ने उन्हें चुनावी मुकाबले में पूरी तरह से समर्थन नहीं दिया। उन्होंने बिना नाम लिए कहा कि अतुल प्रधान और डॉ. परविंदर सिंह ने भी उनकी मदद नहीं की। योगेश वर्मा की बातें बैठक में तीखी हो गईं और उन्होंने इन नेताओं के खिलाफ काफी कठोर टिप्पणी की।
इसके अलावा, पूर्व मंत्री प्रभुदयाल वाल्मीकि भी निशाने पर रहे। हस्तिनापुर विधानसभा क्षेत्र के सपा पदाधिकारियों ने आरोप लगाया कि प्रभुदयाल ने बिजनौर के सपा प्रत्याशी को सही से चुनाव नहीं लड़वाया, जिससे भाजपा के चंदन चौहान को जीत मिली। यह आरोप भी पार्टी के भीतर गहरे मतभेद और गुटबाजी को उजागर करता है।
हार की जिम्मेदारी का बंटवारा
जिला अध्यक्ष विपिन चौधरी ने पूर्व विधायक योगेश वर्मा को चुनाव में अपनी कमजोरी का जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि वर्मा ने चुनावी खर्च और लोगों को जोड़ने में पूरी मेहनत नहीं की, जिससे हार की स्थिति बनी। इसके अलावा, बैठक में कुछ सपाइयों ने जिला अध्यक्ष विपिन चौधरी को हटाने की मांग भी उठाई, यह आरोप लगाते हुए कि वह संगठन को सही तरीके से नहीं चला रहे हैं।
अखिलेश यादव की नाराजगी और कार्रवाई के संकेत
अखिलेश यादव ने बैठक के दौरान स्पष्ट रूप से नाराजगी व्यक्त की और कहा कि चुनाव बेहतर तरीके से लड़ा जा सकता था, जिससे जीत संभव हो सकती थी। उन्होंने कैबिनेट मंत्री शाहिद मंजूर, सरधना विधायक अतुल प्रधान और शहर विधायक रफीक अंसारी से कहा कि अगर वे 10-10 हजार वोट और दिलवा देते तो जीत संभव थी। खासकर शाहिद मंजूर से उन्होंने कहा कि किठौर विधानसभा क्षेत्र के कई बूथों पर हार होनी नहीं चाहिए थी।
अखिलेश यादव ने नेताओं से गोपनीय रूप से रिपोर्ट देने को कहा और हार की वजहों की समीक्षा करने की बात की। उन्होंने कार्रवाई के संकेत भी दिए, ताकि पार्टी की समस्याओं का समाधान किया जा सके।
बैठक में शामिल पूर्व और वर्तमान विधायकों, लोकसभा प्रत्याशियों, और जिलाध्यक्षों ने भविष्य की दिशा पर भी चर्चा की। अखिलेश यादव ने कहा कि पार्टी ने अच्छा चुनाव लड़ा है और बहुत से वोट प्राप्त किए हैं, लेकिन आने वाले चुनावों में और बेहतर तैयारी की आवश्यकता है। उन्होंने योगेश वर्मा और सुनीता वर्मा से कहा कि चुनाव को बेहतर तरीके से लड़ा जा सकता था, लेकिन फिर भी बहुत अच्छा प्रयास किया गया।
बैठक में आदिल चौधरी, राजपाल सिंह, आकिल मुर्तजा, नीरज पाल, अंकित शर्मा, जितेंद्र गुर्जर, मोहम्मद अब्बास, शशिकांत गौतम, सचिन गुर्जर, मेराज महलका और आस मोहम्मद जैसे प्रमुख नेताओं की भी उपस्थिति रही, जिन्होंने इस विवादित बैठक में सक्रिय भूमिका निभाई।