छत्तीसगढ़ के नवागढ़ विकासखंड के ग्राम पंचायत पुटपुरा के सरकारी मिडिल स्कूल में एक बड़ी दुर्घटना हुई, जिसने प्रशासन की लापरवाही को उजागर किया है। पुराने और जर्जर भवन की छत का प्लास्टर गिरने से कक्षा छठवीं के बच्चे घायल हो गए। घटना के बाद स्कूल में अफरा-तफरी मच गई और घायल बच्चों को तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया। यह हादसा एक गंभीर समस्या की ओर इशारा करता है, जो कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित सरकारी स्कूलों की खराब हालत और प्रशासन की उपेक्षा को दर्शाता है।
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Toggleघटना का विवरण: बच्चों पर गिरा प्लास्टर
पुटपुरा के सरकारी मिडिल स्कूल में पढ़ाई के दौरान कक्षा छठवीं में बच्चों के ऊपर अचानक छत का प्लास्टर गिर गया। घटना के समय कक्षा में पढ़ाई चल रही थी, और बच्चे अपने शिक्षकों के साथ व्यस्त थे। प्लास्टर गिरने से बच्चों के सिर और शरीर के अन्य हिस्सों में चोटें आईं, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए। शिक्षकों ने तुरंत बच्चों को प्राथमिक उपचार देने की कोशिश की और उसके बाद उन्हें जिला अस्पताल भेजा गया।
घटना में घायल बच्चों में पूनम राठौर, शिक्षा यादव, प्रियंका राठौर, और मानवी राठौर शामिल हैं। इन बच्चों के अभिभावकों ने प्रशासन की लापरवाही पर कड़ी नाराजगी जताई है और इस मामले में सख्त कार्रवाई की मांग की है।
स्कूल की जर्जर स्थिति: मरम्मत की अनदेखी
इस घटना ने पुटपुरा के सरकारी स्कूल की जर्जर स्थिति को उजागर किया है। स्कूल भवन कई वर्षों से पुराना हो चुका है, और इसके ढांचे में समय-समय पर मरम्मत की जरूरत थी। लेकिन प्रशासन की अनदेखी और लापरवाही के कारण भवन की मरम्मत नहीं की गई। इस उपेक्षा का नतीजा यह हुआ कि स्कूल की छत कमजोर हो गई और प्लास्टर गिरने जैसी घटनाएं होने लगीं।
ग्रामीणों ने बताया कि स्कूल भवन की हालत लंबे समय से खराब है और कई बार प्रशासन से मरम्मत की मांग की गई, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि स्थानीय प्रशासन ने इस गंभीर समस्या को नजरअंदाज किया और बच्चों की सुरक्षा को खतरे में डाल दिया।
मध्यान्ह भोजन और स्वच्छता की समस्या
इस स्कूल में केवल भवन की हालत ही खराब नहीं है, बल्कि स्वच्छता की स्थिति भी चिंताजनक है। स्कूल में मिड डे मील के दौरान बच्चों को गंदगी और बदबू के बीच भोजन करना पड़ता है। रसोइयों की लापरवाही के कारण स्कूल परिसर में सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है। मध्यान्ह भोजन बनाने के बाद बचा हुआ खाना परिसर में ही फेंक दिया जाता है, जिससे बदबू और गंदगी फैलती है।
इस स्थिति ने बच्चों और उनके अभिभावकों में आक्रोश पैदा कर दिया है। ग्रामीणों ने इस समस्या को भी प्रशासन के सामने उठाया है और तत्काल स्वच्छता की व्यवस्था सुधारने की मांग की है। गंदगी के कारण बच्चों के बीमार होने का खतरा बना हुआ है, जिससे उनकी सेहत पर भी बुरा असर पड़ सकता है।
ग्रामीणों की मांग: दोषियों पर कार्रवाई और जांच
इस घटना के बाद, ग्रामीणों ने प्रशासन की लापरवाही के खिलाफ आवाज उठाई है। उन्होंने स्कूल भवन की जर्जर स्थिति और मध्यान्ह भोजन के दौरान होने वाली समस्याओं के लिए प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है। ग्रामीणों ने जांच की मांग की है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
घटना के बाद, स्थानीय प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि वह इस मामले की पूरी जांच करेगा और दोषियों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, स्कूल भवन की मरम्मत और स्वच्छता व्यवस्था को सुधारने के लिए भी कदम उठाए जाएंगे। लेकिन यह देखना बाकी है कि प्रशासन अपने वादों को कितनी गंभीरता से निभाता है और इस दिशा में क्या कदम उठाता है।
शिक्षा और सुरक्षा पर सवाल
इस घटना ने पुटपुरा के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की सुरक्षा और शिक्षा के स्तर पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक ओर जहां बच्चों की शिक्षा की जिम्मेदारी स्कूल प्रशासन की होती है, वहीं दूसरी ओर उनकी सुरक्षा भी प्राथमिकता होनी चाहिए। लेकिन इस मामले में, प्रशासन की अनदेखी के कारण बच्चों की जान पर बन आई।
ग्रामीणों और अभिभावकों ने इस घटना से सबक लेते हुए प्रशासन से आग्रह किया है कि वह स्कूलों की हालत पर ध्यान दे और सुनिश्चित करे कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों। इसके लिए न केवल स्कूल भवनों की मरम्मत जरूरी है, बल्कि स्वच्छता की स्थिति में भी सुधार किया जाना चाहिए।
इस घटना के बाद प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठना लाजिमी है, और यह समय की मांग है कि शिक्षा के साथ-साथ सुरक्षा पर भी पूरा ध्यान दिया जाए। सरकारी स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं की कमी और प्रशासन की उपेक्षा के कारण बच्चों की जान को खतरा हो सकता है। प्रशासन को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है, ताकि भविष्य में ऐसे हादसे न हों और बच्चों को सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण में पढ़ाई करने का अवसर मिल सके।