रायपुर, 15 जुलाई 2024 – रायपुर की एक अदालत ने एक महिला के साथ दुष्कर्म और धमकी देने के आरोप में आरोपी को 10 साल का कठोर कारावास और 3000 रुपए का जुर्माना सुनाया है। जुर्माना न देने की स्थिति में आरोपी को अतिरिक्त 2 महीने की सजा भुगतनी होगी। विशेष लोक अभियोजक नीलेश ठाकुर ने बताया कि अदालत ने पुलिस की केस डायरी और 13 गवाहों के बयान के आधार पर आरोपी को दोषी ठहराया है।
घटना का विवरण
मामला रायपुर के मोवा इलाके का है, जहां पीड़ित महिला मजदूरी का काम करती है और उसका पति राजमिस्त्री का कार्य करता है। 21 जून 2023 को, जब महिला का पति अपने बीमार रिश्तेदार को देखने के लिए गांव गया हुआ था, तब महिला हमेशा की तरह काम पर गई थी। काम के दौरान, मिस्त्री ने उसे पास के निर्माणाधीन मकान से मशीन लाने के लिए भेजा।
आरोपित द्वारा झांसा और धमकी
महिला मशीन लेने जब निर्माणाधीन मकान पहुंची, तो वहां मौजूद मोवा निवासी आरोपित कुशाल वर्मा (34) ने मशीन देने के बहाने उसे घर के भीतर बुलाया। वहां उसने झांसा देकर महिला के साथ जबरदस्ती दुष्कर्म किया। महिला ने विरोध किया तो आरोपी ने उसे मकान की छत से फेंकने और उसके बच्चों एवं पति को जान से मारने की धमकी दी। घटना के बाद, जब महिला का पति घर लौटा, तो उसने पूरी घटना की जानकारी अपने पति को दी।
पुलिस में रिपोर्ट और गिरफ्तारी
पीड़िता ने 3 अगस्त को पंडरी पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए आरोपी को गिरफ्तार किया और मामले की जांच शुरू की। पुलिस ने 22 सितंबर को कोर्ट में चालान पेश किया, जिसमें 13 गवाहों के बयान भी शामिल थे।
न्यायालय का फैसला
विशेष न्यायाधीश पंकज कुमार सिन्हा ने पुलिस की केस डायरी और गवाहों के बयानों के आधार पर आरोपित को दोषी करार दिया। अदालत ने आरोपी को 10 साल के कठोर कारावास और 3000 रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई। जुर्माना न देने की स्थिति में आरोपी को 2 महीने का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। विशेष लोक अभियोजक नीलेश ठाकुर ने बताया कि अदालत का यह फैसला पीड़िताओं के लिए न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और यह समाज में अपराधियों के लिए एक कड़ा संदेश भी है।
गवाहों की महत्वपूर्ण भूमिका
इस मामले में गवाहों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही। 13 गवाहों ने अपने बयानों में स्पष्ट किया कि घटना के दिन क्या-क्या हुआ था। पुलिस ने इन गवाहों के बयानों को मजबूत सबूत के रूप में अदालत में प्रस्तुत किया, जिससे आरोपी को दोषी ठहराने में मदद मिली।
समाज पर प्रभाव
यह फैसला समाज में एक महत्वपूर्ण संदेश देता है कि महिलाएं सुरक्षित हैं और उनके साथ अपराध करने वाले बख्शे नहीं जाएंगे। इस प्रकार के फैसले से समाज में कानून और व्यवस्था पर विश्वास बढ़ता है और महिलाओं को न्याय पाने का साहस मिलता है। अदालत ने इस मामले में न्याय कर, एक उदाहरण प्रस्तुत किया है जिससे भविष्य में इस तरह के अपराधों में कमी आने की संभावना है।
रायपुर में इस मामले का फैसला एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इसने यह साबित किया है कि न्याय प्रणाली अपराधियों को सजा देने में सक्षम है और पीड़िताओं को न्याय दिलाने में तत्पर है। इस फैसले से न केवल पीड़िता को न्याय मिला है, बल्कि समाज में भी एक सकारात्मक संदेश गया है कि अपराधियों को उनके अपराधों की सजा अवश्य मिलेगी।
इस प्रकार के फैसले समाज में महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं। यह न्यायपालिका की तत्परता और कानून व्यवस्था की मजबूती का प्रतीक है। न्यायाधीश पंकज कुमार सिन्हा और विशेष लोक अभियोजक नीलेश ठाकुर की प्रशंसा की जानी चाहिए जिन्होंने इस मामले में निष्पक्ष और त्वरित न्याय सुनिश्चित किया।