रायपुर, 19 जुलाई 2024: छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले के सेमई पटवारी हल्का में किसानों के लिए एक गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है। यहाँ पर रेलवे के लिए अधिग्रहित की गई किसानों की जमीनों का मुआवजा अब तक उन्हें नहीं मिला है, जबकि तीन साल पहले इन पर रेल लाइन बिछा दी गई थी। यह मामला फर्जीवाड़े और भू-माफियाओं के काले कारनामों का एक बेतोहर उदाहरण प्रस्तुत करता है।
फर्जीवाड़े और मुआवजे की लंबी देरी
सेमई पटवारी हल्का के अंतर्गत 74 निजी सर्वे नंबरों की कुल 18.688 हेक्टेयर जमीन को रेलवे के लिए अधिग्रहित किया गया था। रेलवे ने इस जमीन पर ट्रैक बिछाने का काम पूरा कर लिया है, लेकिन किसानों को अब तक मुआवजा नहीं मिला है। मुरैना-श्योपुर ब्रॉडगेज लाइन के लिए यह अधिग्रहण चार साल पहले किया गया था, और तब से अब तक इन किसानों को 11 करोड़ 65 लाख 61 हजार 989 रुपये के मुआवजे का एक भी रुपया नहीं मिला है।
किसानों की कठिनाइयाँ
किसानों को मुआवजा न मिलने के कारण उनकी वित्तीय स्थिति बहुत खराब हो गई है। कई किसानों ने अपने बेटों और बेटियों की शादी के लिए कर्ज ले लिया है, जो अब उनके लिए एक बोझ बन गया है। वीरवती पत्नी वीरेंद्र सिंह और श्रीकृष्ण सिंह तोमर जैसे किसानों को मुआवजे के रूप में 33 लाख रुपये मिलने थे, लेकिन अब तक उन्हें एक भी पैसा नहीं मिला है। श्रीकृष्ण तोमर ने अपनी बेटी की शादी के लिए लाखों रुपये का कर्ज लिया था, जिसे वह अब तक चुका नहीं पाए हैं।
इसके अतिरिक्त, घमंडी पुत्र किशनू जाटव, चिरोंजी पुत्र मंगलिया कुशवाह, और प्रागोबाई पत्नी मुंशीलाल जैसे कई अन्य किसान भी मुआवजे की आस में कर्ज लेकर ब्याज चुका रहे हैं। इन किसानों की कठिनाइयों का कोई ठोस समाधान नहीं दिख रहा है।
ईओडब्ल्यू की जांच और मुआवजा में देरी
किसानों के मुआवजे में देरी का एक बड़ा कारण यह है कि सेमई हल्के के राजस्व रिकार्ड को ग्वालियर की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने जब्त कर लिया है। यह जब्ती इसलिए की गई है क्योंकि सेमई हल्के की सरकारी चरनोई की जमीन, भूदान और पट्टे पर दी गई जमीनों का बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा हुआ है। कुछ अधिकारियों ने गलत तरीके से सरकारी भूमि का विक्रय कर दिया और कालोनियों का निर्माण कर लिया, जो कि पूरी तरह से अवैध था।
ईओडब्ल्यू इस फर्जीवाड़े की गहराई से जांच कर रही है, और इस प्रक्रिया में सेमई हल्के का राजस्व रिकॉर्ड जब्त कर रखा है। इस स्थिति के कारण जिला प्रशासन मुआवजा बांटने में असमर्थ है। मुरैना कलेक्टर ने दो बार ईओडब्ल्यू को पत्र लिखे हैं, लेकिन अब तक कोई प्रगति नहीं हुई है।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की भी समस्या
सेमई, कोरीपुरा और आसपास के किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की किश्तें भी प्राप्त नहीं हो रही हैं। रेलवे लाइन के लिए जमीन अधिग्रहित होने के बाद जमीनों का पूरा नक्शा और रिकार्ड बदल गया है। इसके कारण पीएम किसान सम्मान निधि का वितरण प्रभावित हुआ है, और अब शासन ने इन किसानों के खातों में पैसे जमा करना बंद कर दिया है।
यह मामला यह दर्शाता है कि किस प्रकार सरकारी लापरवाही और फर्जीवाड़े की वजह से आम किसान मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। जहां एक ओर किसानों की वित्तीय स्थिति खराब हो रही है, वहीं दूसरी ओर उनके अधिकारों की अनदेखी की जा रही है। यह आवश्यक है कि संबंधित अधिकारियों को इस मुद्दे का समाधान खोजने के लिए तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि किसानों को उनका हक मिल सके और वे अपनी समस्याओं का समाधान प्राप्त कर सकें।