मनोरा तहसील में विवाद की स्थिति
मध्य प्रदेश के खंडवा जिले की मनोरा तहसील के पंडरसीली गांव में पहाड़ी कोरवाओं की जमीन से संबंधित मामला एक बार फिर चर्चा में आ गया है। पूर्व खाद्य मंत्री अमरजीत भगत के बेटे के नाम से जुड़े इस विवाद में पीड़ित पहाड़ी कोरवा दिनेश राम ने हाल ही में एसपी शशि मोहन सिंह से शिकायत की है। शिकायत में उन्होंने आरोप लगाया है कि उनके पुरखों की लगभग 25 एकड़ जमीन की खरीदारी के नाम पर उन्हें 3.5 लाख रुपये की ठगी का शिकार बनाया गया है।
मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला फरवरी 2021 में सामने आया था जब पहाड़ी कोरवाओं के पांच परिवारों ने कलेक्टर और एसपी से शिकायत की थी। उनका आरोप था कि पूर्व खाद्य मंत्री अमरजीत भगत के स्वजनों के नाम पर फर्जी तरीके से 24 एकड़ जमीन की रजिस्ट्री की गई थी। शिकायतकर्ताओं ने इस जमीन की रजिस्ट्री को रद्द कराकर जमीन को उनके नाम पर वापस दिलाने की गुहार लगाई थी। इसके परिणामस्वरूप, राजनीतिक उबाल के बाद अमरजीत भगत ने पहाड़ी कोरवाओं को उनकी जमीन वापस भी दे दी थी।
नई शिकायत और ठगी का आरोप
अब, इस मामले में नया मोड़ आया है। दिनेश राम ने आरोप लगाया है कि पंडरसीली के गुतकिया गांव में उनकी पुरखों की जमीन को लेकर छवि यादव और नरसिंह नामक लोगों ने उनसे जमीन वापस दिलाने के नाम पर 3.5 लाख रुपये की ठगी की है। पीड़ित ने एसपी को दी गई शिकायत में कहा है कि छवि यादव और नरसिंह ने उसे रुपये देने के लिए दबाव डाला और कहा कि बिना रुपये दिए, जमीन की वापसी में देरी होगी। दिनेश राम ने यह आरोप भी लगाया है कि पैसे देने के बाद उन्हें पता चला कि छवि यादव और नरसिंह ने उन्हें झूठ बोलकर पैसे ऐठे हैं।
प्रशासनिक और राजनीतिक प्रतिक्रिया
पीड़ित की शिकायत पर कार्रवाई की मांग करते हुए दिनेश राम ने एसपी से रुपये वापस दिलाने और मामले की निष्पक्ष जांच की गुहार लगाई है। प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर दी है और ठगी के आरोपों की सत्यता की पुष्टि के लिए जांच की प्रक्रिया जारी है।
इस बीच, जिले में भाजपा और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। भाजपा ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए सांसद गोमती साय की अध्यक्षता में एक जांच दल का गठन किया है। इस दल का उद्देश्य मामले की गहराई से जांच करना और संबंधित दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करना है।
मामले का राजनीतिक परिदृश्य
मामले की राजनीतिक सवेंदनशीलता को देखते हुए अमरजीत भगत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए पहाड़ी कोरवाओं को उनकी जमीन वापस देने का निर्णय लिया था। इसके बावजूद, मामले में नए आरोपों और ठगी के आरोप ने स्थिति को और भी पेचीदा बना दिया है।
अमरजीत भगत के स्वजनों पर लगे आरोपों के बाद, मामले ने प्रदेश की राजनीतिक सरगर्मियों को बढ़ा दिया है। इससे पहले, जमीन के फर्जी रजिस्ट्री के आरोपों के बाद भी राजनीतिक दलों के बीच इस मुद्दे को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी था।
भविष्य की दिशा
जांच के चलते ठगी के आरोपों की सच्चाई सामने आनी बाकी है। प्रशासन और जांच दल इस मामले की गंभीरता को देखते हुए शीघ्र कार्रवाई का आश्वासन दे रहे हैं। यह देखना होगा कि जांच में कौन-कौन से तथ्य सामने आते हैं और ठगी के आरोपियों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई होती है या नहीं।
इस बीच, पहाड़ी कोरवाओं और पीड़ितों ने अपनी जमीन की वापसी की उम्मीद बनाए रखी है और वे न्याय की गुहार लगाए हुए हैं। मामले की निष्पक्ष जांच और उचित कार्रवाई की उम्मीद सभी प्रभावित पक्षों और आम जनता को है।
मनोरा तहसील के पंडरसीली में पहाड़ी कोरवाओं की जमीन से जुड़ा यह मामला कई सालों से चल रहा विवाद का हिस्सा है। वर्तमान में ठगी के नए आरोप और प्रशासनिक जाँच की प्रक्रिया ने इस मामले को एक बार फिर तूल दे दिया है। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण होगा कि न्याय और कानून की प्रक्रिया के तहत सभी दोषियों को दंडित किया जाए और पीड़ितों को उनका हक वापस मिले।
मामले की आगामी कार्रवाइयों पर नजर रखना और ठगी के आरोपों की सत्यता को सामने लाना प्रशासन की प्राथमिकता है, ताकि प्रभावित समुदाय को उचित न्याय मिल सके और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोका जा सके।