Sunday, December 22, 2024

सुप्रीम कोर्ट के आदेश से माइनिंग शेयरों में गिरावट

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25 जुलाई 2024 को, भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक निर्णय देते हुए राज्यों को माइनिंग कंपनियों से टैक्स वसूलने का अधिकार प्रदान किया। इस आदेश के बाद माइनिंग और मेटल्स सेक्टर की प्रमुख कंपनियों के शेयरों में तीव्र गिरावट देखी गई है। कोर्ट के इस फैसले ने टाटा स्टील, एनएमडीसी, वेदांता, हिंदुस्तान जिंक, और अन्य कंपनियों के शेयरों को नकारात्मक प्रभाव डाला है।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश और इसका प्रभाव

सुप्रीम कोर्ट की नौ जजों की संवैधानिक पीठ ने यह फैसला सुनाया कि राज्य अब माइनिंग कंपनियों से टैक्स और रॉयल्टी वसूलने का अधिकार रख सकते हैं। इससे पहले, यह अधिकार केंद्र सरकार के पास था। कोर्ट ने यह भी तय किया कि राज्य एक अप्रैल 2005 से टैक्स वसूल सकते हैं। यह आदेश विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह माइनिंग कंपनियों के लिए बड़ी वित्तीय जिम्मेदारी को जन्म देता है।

सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद माइनिंग और मेटल्स सेक्टर में भारी उथल-पुथल मच गई है। टाटा स्टील, एनएमडीसी, हिंदुस्तान जिंक, और अन्य प्रमुख कंपनियों के शेयरों में तेजी से गिरावट आई है। इस फैसले ने निवेशकों के बीच चिंता और अनिश्चितता को जन्म दिया है, जिससे शेयर बाजार में भारी बेचवाली की स्थिति उत्पन्न हुई है।

शेयरों में गिरावट का विवरण

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के प्रभाव को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। हिंदुस्तान जिंक का शेयर 6.2 प्रतिशत की गिरावट के साथ 544 रुपये तक नीचे आ गया है। टाटा स्टील के शेयर में 4.38 प्रतिशत की कमी आई है, जिससे यह 142.35 रुपये तक गिर गया है। एनएमडीसी का शेयर 3.70 प्रतिशत गिरकर 216.30 रुपये पर आ गया है, जबकि मॉइल का स्टॉक 2.98 प्रतिशत की कमी के साथ 411 रुपये पर पहुंच गया है। कोल इंडिया के शेयर में 4.36 प्रतिशत की गिरावट आई है, जिससे यह 499 रुपये पर आ गया है। इसके अलावा, एमएमटीसी और हिंदुस्तान कॉपर के शेयरों में भी गिरावट देखी गई है, जो क्रमशः 2.67 प्रतिशत और 5 प्रतिशत तक पहुंच गई है।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश और माइनिंग कंपनियों की स्थिति

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि माइनिंग कंपनियों को 12 वर्षों की अवधि में राज्यों को टैक्स का भुगतान करना होगा। हालांकि, इस अवधि के दौरान कोई अतिरिक्त पेनल्टी नहीं लगाई जाएगी। एक अप्रैल 2026 से, माइनिंग कंपनियों को नियमित रूप से राज्यों को टैक्स का भुगतान शुरू करना होगा। यह निर्णय माइनिंग कंपनियों के वित्तीय प्रबंधन पर गहरा प्रभाव डालेगा और उनके कार्यशील पूंजी पर भी असर डाल सकता है।

इस निर्णय का विरोध केंद्र सरकार ने भी किया था, जिसने राज्यों को माइनिंग कंपनियों से टैक्स वसूलने के अधिकार को लेकर आपत्ति जताई थी। केंद्र सरकार का मानना था कि इससे कंपनियों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ बढ़ेगा और उद्योग के विकास में बाधा उत्पन्न हो सकती है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इन आपत्तियों को खारिज करते हुए अपने आदेश को लागू करने का निर्णय लिया।

निवेशकों की प्रतिक्रिया और भविष्य की संभावना

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद निवेशकों के बीच अस्थिरता की स्थिति उत्पन्न हो गई है। माइनिंग और मेटल्स सेक्टर के शेयरों में भारी गिरावट ने निवेशकों को चिंता में डाल दिया है। कई निवेशक अब यह सोच रहे हैं कि इस निर्णय के दीर्घकालिक प्रभाव क्या होंगे और कंपनियों की वित्तीय स्थिति पर इसका क्या असर पड़ेगा।

विश्लेषकों का मानना है कि यह आदेश माइनिंग कंपनियों के लिए एक महत्वपूर्ण वित्तीय चुनौती प्रस्तुत करता है। कंपनियों को अब पुराने टैक्स का भुगतान करना होगा और भविष्य में भी नियमित रूप से टैक्स का भुगतान जारी रखना होगा। इसके साथ ही, निवेशकों को यह भी देखना होगा कि कंपनियां इस चुनौती का सामना कैसे करती हैं और अपने वित्तीय प्रबंधन को किस प्रकार बेहतर बनाती हैं।

सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश माइनिंग और मेटल्स सेक्टर के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। राज्यों को माइनिंग कंपनियों से टैक्स वसूलने का अधिकार मिलने से कंपनियों के शेयरों में तेज गिरावट आई है। यह आदेश माइनिंग कंपनियों के लिए एक नई वित्तीय चुनौती पेश करता है, जिसे उन्हें भविष्य में संभालना होगा। निवेशकों को अब यह देखना होगा कि कंपनियां इस चुनौती का सामना कैसे करती हैं और इसका दीर्घकालिक प्रभाव क्या होता है।

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