मध्य प्रदेश की इंदौर खंडपीठ ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए लहसुन को सब्जी की श्रेणी में रखने की पुष्टि की है। इस फैसले के अनुसार, लहसुन को अब किसान अपनी सुविधा के अनुसार कृषि उपज मंडी के अलावा सब्जी मंडी में भी बेच सकेंगे। यह फैसला मध्य प्रदेश मंडी बोर्ड और कृषि विभाग के बीच लंबे समय से चल रहे विवाद के बाद आया है, जिससे लहसुन किसानों को राहत मिली है।
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Toggleविवाद की शुरुआत और हाईकोर्ट की भूमिका
विवाद की शुरुआत 2015 में हुई जब मध्य प्रदेश मंडी बोर्ड ने लहसुन को सब्जी की श्रेणी में डाल दिया। इसके बाद, कृषि विभाग ने इसे मसाले की श्रेणी में डालते हुए इससे संबंधित नियमों को लागू किया। इससे किसानों को समस्या का सामना करना पड़ा क्योंकि उन्हें अपनी उपज को केवल सब्जी मंडियों में ही बेचने की अनुमति थी, जबकि लहसुन का पारंपरिक उपयोग मसाले के रूप में होता है।
इस मुद्दे को लेकर किसानों ने 2017 में हाईकोर्ट की सिंगल बेंच का रुख किया, जिसने फैसला सुनाया कि लहसुन सब्जी की श्रेणी में आता है। हालांकि, इस फैसले के बाद भी किसानों को केवल सब्जी मंडियों में ही अपनी फसल बेचने की अनुमति थी, जो उनके लिए असुविधाजनक साबित हो रहा था।
किसानों की याचिका और हाईकोर्ट की डबल बेंच का फैसला
किसानों ने फिर से रिव्यू याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने हाईकोर्ट से मांग की कि लहसुन को दोनों प्रकार की मंडियों में बेचने की अनुमति दी जाए। इस बार, हाईकोर्ट की डबल बेंच ने मामले की सुनवाई की और निर्णय सुनाया कि लहसुन को सब्जी की श्रेणी में रखा जाएगा, लेकिन किसानों को यह छूट दी जाएगी कि वे इसे किसी भी मंडी या बाजार में बेच सकते हैं।
फैसले की महत्वपूर्ण बातें
इस निर्णय के बाद, लहसुन किसान अब अपनी सुविधा के अनुसार अपनी उपज को कृषि उपज मंडी के अलावा सब्जी मंडी में भी बेच सकेंगे। यह सुविधा किसानों को आर्थिक लाभ के साथ-साथ समय की भी बचत करेगी। सब्जी मंडी में बिक्री के दौरान किसानों को तुरंत भुगतान मिल जाता है, जबकि कृषि उपज मंडी में किसानों को भुगतान के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है।
रिव्यू याचिका और कोर्ट के निर्देश
आलू प्याज कमीशन एसोसिएशन की ओर से रिव्यू याचिका दायर करने वाले एडवोकेट अजय बागड़िया ने कहा कि पहले की व्यवस्था ने किसानों को काफी परेशान किया। उन्होंने बताया कि मंडी बोर्ड द्वारा लहसुन को कृषि उपज मानते हुए केवल कृषि उपज मंडी में बेचने के आदेश दिए गए थे। किसानों ने इस निर्णय के खिलाफ प्रमुख सचिव से अपील की, लेकिन कोई राहत नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
हाईकोर्ट की एकल पीठ ने किसानों को राहत देते हुए निर्णय सुनाया कि किसान अपनी फसल कहीं भी बेचने के लिए स्वतंत्र हैं और किसी एक मंडी में बेचने के लिए उन्हें बाध्य नहीं किया जा सकता। इसके बावजूद, इस फैसले के खिलाफ अपील की गई थी, जिसके बाद एक बार फिर लहसुन को कृषि उपज मंडी में बेचने की बाध्यता लागू की गई थी।
हाल ही में, हाईकोर्ट की युगलपीठ ने इस मामले में एकल पीठ के फैसले को सही ठहराते हुए किसानों को यह छूट दी कि वे लहसुन को किसी भी मंडी में बेच सकते हैं। कोर्ट ने शासन को निर्देश दिया है कि किसान लहसुन को कृषि उपज मंडी के अलावा सब्जी मंडी में भी बेचने के लिए स्वतंत्र होंगे।
किसान और उनके लाभ
इस फैसले से किसानों को काफी राहत मिली है। सब्जी मंडी में कमीशन एजेंट के माध्यम से फसल बेचने पर उन्हें तुरंत भुगतान मिल जाता है, जबकि कृषि उपज मंडी में बिक्री के दौरान किसानों को भुगतान के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है। इस नई व्यवस्था से किसान अपनी सुविधा अनुसार उपज बेचने के लिए स्वतंत्र होंगे, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा और व्यापारिक दबाव भी कम होगा।
भविष्य की संभावनाएँ
इस फैसले के बाद, यह उम्मीद की जा रही है कि अन्य राज्यों में भी इसी तरह के फैसले लिए जा सकते हैं, जो किसानों की भलाई के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं। यह निर्णय न केवल मध्य प्रदेश के किसानों के लिए बल्कि पूरे देश के कृषि क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल स्थापित कर सकता है।
किसानों की शिकायतों और समस्याओं को लेकर उच्च न्यायालय द्वारा लिया गया यह निर्णय एक महत्वपूर्ण कदम है, जो कृषि क्षेत्र में सुधार की दिशा में एक सकारात्मक पहल हो सकता है। भविष्य में भी ऐसे फैसलों की उम्मीद की जाती है जो किसानों के हित में हों और कृषि व्यापार को अधिक सुगम और लाभकारी बनाएं।