Sunday, December 22, 2024

लखनऊ 8200 भूतिया वाहनों से बच्चों की यात्रा

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लखनऊ, यूपी — यूपी की राजधानी लखनऊ में 8200 से अधिक ‘भूतिया’ स्कूली वाहनों की पहचान हुई है, जो न तो क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) में पंजीकृत हैं और न ही किसी स्कूल के साथ अनुबंधित हैं। यह स्थिति एक गंभीर लापरवाही को उजागर करती है, जो स्कूली बच्चों की सुरक्षा को खतरे में डाल सकती है।

भूतिया वाहनों की पहचान और उनकी स्थिति

लखनऊ शहर में 8200 से अधिक ऐसे वाहन हैं जो स्कूल जाने और बच्चों को घर लौटाने का काम कर रहे हैं। इन वाहनों की खासियत यह है कि ये न तो किसी स्कूल के हैं और न ही स्कूलों ने इन्हें अनुबंधित किया है। इसके अलावा, ये वाहन आरटीओ में स्कूली वाहनों के तौर पर पंजीकृत भी नहीं हैं। इन भूतिया वाहनों के बारे में सबसे चिंताजनक बात यह है कि अभिभावक अपनी रजामंदी से अपने बच्चों को ऐसे वाहनों में भेज रहे हैं, जिनकी आधिकारिक मान्यता नहीं है।

शहीद पथ पर हादसा: निजी वैन की लापरवाही

हाल ही में शहीद पथ पर एक निजी वैन हादसे का शिकार हो गई, जिसमें छह बच्चे घायल हो गए। जांच में पता चला कि यह वैन न तो स्कूल के साथ अनुबंधित थी और न ही आरटीओ में स्कूली वैन के तौर पर पंजीकृत थी। इस दुर्घटना ने यह सवाल खड़ा किया है कि जब ये वाहन न तो सरकारी मानकों पर खरे उतरते हैं और न ही किसी मान्यता प्राप्त स्कूल के साथ जुड़े होते हैं, तो इनकी जिम्मेदारी कौन लेगा?

भूतिया वाहनों की समस्या और इसके कारण

परिवहन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, अभिभावक अक्सर पैसे बचाने के चक्कर में ऐसे वाहनों को बुक कर लेते हैं जो स्कूली वाहन के रूप में पंजीकृत नहीं होते। इस प्रकार के वाहन न तो अनुबंधित होते हैं और न ही उनके विवरण आरटीओ के पास होते हैं, जिससे उन्हें ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है। इससे भी बड़ी समस्या यह है कि ऐसे वाहनों की तलाश वृहद स्तर पर अभियान चलाकर ही की जा सकती है, जिसके लिए आवश्यक संसाधनों की कमी है।

मिशन भरोसा: एक पहल और इसके चुनौतियां

मंडलायुक्त डॉ. रोशन जैकब की पहल पर स्कूली बच्चों की सुरक्षा के लिए ‘मिशन भरोसा’ एप की शुरुआत की गई है। इस एप के माध्यम से ड्राइवर, वाहन स्वामी और अभिभावकों को जोड़ा जाएगा, जिससे वाहन की लोकेशन ट्रैक की जा सकेगी और ड्राइवर की पूरी जानकारी प्राप्त की जा सकेगी। इसके अतिरिक्त, एप पर पुलिस वेरिफिकेशन की भी सुविधा उपलब्ध है। हालांकि, वाहन मालिक और ड्राइवर इस एप से जुड़ने से बच रहे हैं, और इसका मुख्य कारण यही है कि ऐसे भूतिया वाहन अक्सर सामने आ रहे हैं।

भूतिया वाहन की पहचान: परिभाषा और विशेषताएं

‘भूतिया’ शब्द उन वाहनों के लिए इस्तेमाल किया जाता है जिनका विवरण आरटीओ में स्कूली वाहन के रूप में पंजीकृत नहीं है। ये वाहन न तो स्कूलों के द्वारा संचालित होते हैं और न ही स्कूलों के साथ अनुबंधित होते हैं। भूतिया वाहन में कॉमर्शियल ऑटो, वैन या ई-रिक्शा शामिल हो सकते हैं, जिनका उपयोग बच्चों को स्कूल ले जाने के लिए किया जा रहा है, लेकिन ये सभी मानक और सुरक्षा नियमों की अनदेखी करते हैं।

आरटीओ के प्रयास और असफल नोटिस

आरटीओ ने 800 स्कूली वाहन मालिकों को नोटिस भेजे हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि उनके वाहन स्कूली वाहन के तौर पर इस्तेमाल हो रहे हैं या नहीं। इन नोटिसों का उद्देश्य यह भी है कि टैक्स और अन्य राजस्व का नुकसान न हो। हालांकि, अधिकांश वाहन मालिक इन नोटिसों का जवाब नहीं दे रहे हैं, जिससे स्कूली वाहनों की पहचान और पंजीकरण में समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। इस स्थिति से निपटने के लिए आवश्यक कार्रवाई की जाएगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी स्कूली वाहन मानकों के अनुरूप हों और बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा सके।

 

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