लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को एक विवादित स्थिति का सामना किया, जब उन्होंने कई किसान नेताओं को संसद में मुलाकात के लिए बुलाया। किसान नेताओं के संसद भवन में प्रवेश पर रोक लगाए जाने से राहुल गांधी भड़क गए। हालांकि, राहुल गांधी के विरोध के बाद किसान नेताओं को अंततः संसद भवन में प्रवेश की अनुमति मिल गई, और वे अब नेता विपक्ष के कार्यालय में उनसे मुलाकात कर सकेंगे।
संसद भवन में किसान नेताओं की एंट्री को लेकर विवाद
राहुल गांधी ने संसद में किसान नेताओं को बुलाया था, लेकिन जब वे संसद भवन पहुंचे, तो उन्हें अंदर जाने की अनुमति नहीं दी गई। इस पर राहुल गांधी ने आपत्ति जताते हुए कहा कि, “हमने इन लोगों को मुलाकात के लिए बुलाया था, लेकिन इन्हें संसद में आने नहीं दिया जा रहा है। ऐसा शायद इसलिए हो रहा है क्योंकि वे किसान हैं और सरकार उन्हें अंदर नहीं देखना चाहती।” राहुल गांधी का यह आरोप सरकारी नीतियों पर सीधा हमला था, और उनके विरोध के बाद किसान नेताओं को अंततः प्रवेश मिला।
राहुल गांधी का बयान और मीडिया की प्रतिक्रिया
किसान नेताओं की संसद भवन में एंट्री न मिलने के आरोपों पर मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए राहुल गांधी ने कहा, “इस बारे में नरेंद्र मोदी ही बता सकते हैं।” उन्होंने अपने खास अंदाज में टिप्पणी की कि किसानों को अंदर न आने देने की वजह शायद यही है कि वे किसान हैं। इस विवाद ने सरकार और विपक्ष के बीच की खाई को और गहरा कर दिया है।
अखिलेश यादव का बजट पर हमला
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने केंद्रीय बजट पर हमला बोलते हुए कहा कि बजट में किसानों की स्थिति पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने उन लोगों के लिए पैकेज तैयार किया है, जो सत्ता में हैं, जबकि किसानों के लिए कोई विशेष योजना नहीं है। यादव ने उत्तर प्रदेश की बाढ़ की समस्या का भी जिक्र किया, और कहा कि अगर यूपी में बाढ़ की समस्या हल हो जाए तो बिहार में भी राहत मिलेगी। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि सरकार ने यूपी के लिए क्यों कुछ नहीं किया।
INDIA अलायंस का बजट के खिलाफ विरोध
INDIA अलायंस के नेताओं ने आम बजट के खिलाफ संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन भी किया। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि इस बजट में केवल दो राज्यों, गुजरात और बिहार, का ही ध्यान रखा गया है, जबकि अन्य राज्यों के साथ भेदभाव किया गया है। राहुल गांधी ने कहा कि यह बजट संघीय ढांचे के खिलाफ है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी, अखिलेश यादव और टीएमसी के नेताओं ने भी इस विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया, और सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए।
विपक्षी नेताओं की प्रतिक्रिया
विपक्षी नेताओं ने बजट को कुर्सी बचाने वाला बताते हुए आलोचना की। शिवसेना के संजय राउत ने कहा कि अब तक केवल गुजरात का ही ध्यान रखा जाता था, लेकिन अब आंध्र प्रदेश और बिहार भी इस सूची में शामिल हो गए हैं। राउत ने आरोप लगाया कि बजट भाषण में महाराष्ट्र का कोई उल्लेख नहीं था, जिससे यह स्पष्ट होता है कि महाराष्ट्र की उपेक्षा की जा रही है।
राजनीतिक तनाव और भविष्य की संभावना
राहुल गांधी और अन्य विपक्षी नेताओं के द्वारा बजट और किसान नेताओं की संसद में एंट्री को लेकर उठाए गए सवाल ने राजनीति के परिदृश्य को और जटिल बना दिया है। यह विवाद न केवल बजट की स्वीकृति को प्रभावित कर सकता है, बल्कि आगामी चुनावों में भी इसकी गूंज सुनाई दे सकती है। विपक्ष ने स्पष्ट कर दिया है कि वे इस मुद्दे को नजरअंदाज नहीं करेंगे और किसानों के अधिकारों और राज्य के हिस्से की उचित हिस्सेदारी के लिए संघर्ष जारी रखेंगे।
लोकसभा में किसान नेताओं के प्रवेश को लेकर राहुल गांधी का विवाद और बजट पर विपक्षी दलों की तीखी आलोचना इस बात का संकेत है कि राजनीतिक और आर्थिक मुद्दों पर पार्टीगत खाइयाँ गहरी होती जा रही हैं। यह स्थिति भविष्य में और भी राजनीतिक टकराव की संभावना को जन्म देती है। सरकार और विपक्ष के बीच इस तरह के विवाद यह स्पष्ट करते हैं कि आगामी समय में राजनीतिक संघर्ष और भी तीव्र हो सकता है।