कोरबा। वर्षा के बाद धूप निकलने से उमस में वृद्धि ने लोगों की समस्याएं बढ़ा दी हैं। मानसून के आगमन के साथ ही मौसमी बीमारियां भी जोर पकड़ने लगी हैं, जिसका असर अस्पतालों के वार्डों में स्पष्ट देखा जा सकता है। इलाज के लिए दाखिल होने वाले मरीजों में बच्चे, बुजुर्ग और युवा सभी शामिल हैं।
अस्पतालों में अधिकतर मरीज सर्दी, बुखार, उल्टी, दस्त, और मलेरिया जैसी बीमारियों से पीड़ित हैं। जिला अस्पताल के ओपीडी काउंटर पर मरीजों की लंबी कतारें लगने लगी हैं। महिला और पुरुष वार्ड में 50-50 बेड हैं, लेकिन दो दिनों के भीतर पुरुष वार्ड में आठ और महिला वार्ड में छह अतिरिक्त बेड बिछाने पड़े हैं।
Table of Contents
Toggleसामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी मरीजों की भीड़
जिला अस्पताल के अलावा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है। डॉक्टर मरीजों को खानपान में सावधानी बरतने और वर्षा में भीगने से बचने की सलाह दे रहे हैं। अस्पताल में दाखिल होने वाले ज्यादातर मरीज ग्रामीण क्षेत्रों से हैं। मरीजों की बढ़ती संख्या के कारण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के बेड भी भर चुके हैं, जिससे मरीजों को जिला अस्पताल रेफर किया जा रहा है।
हड़ताल का असर
हाल ही में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के कर्मचारियों की हड़ताल के कारण दो दिनों तक अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं बंद रहीं, जिसका असर अब देखा जा रहा है। डॉक्टरों के अनुसार दूषित पेयजल और अनियमित खानपान के चलते मरीजों की संख्या में वृद्धि हो रही है।
सर्पदंश के मामले भी बढ़े
मौसमी बीमारियों के अलावा सर्पदंश के मामले भी अस्पताल पहुंच रहे हैं। वर्षा काल में खाट की बजाय जमीन पर सोने के कारण सर्पदंश की घटनाएं बढ़ रही हैं। सरकारी अस्पतालों के अलावा निजी अस्पतालों में भी मरीजों की भीड़ बढ़ रही है। लोगों के पास आयुष्मान कार्ड तो हैं, लेकिन सामान्य बीमारियों में इसका उपयोग नहीं हो रहा। इससे लोगों को बीमारी से निजात पाने के लिए अपनी जेब से खर्च करना पड़ रहा है।
स्वास्थ्य केंद्र परिसर में नहीं रहते चिकित्सक व स्टाफ
मौसमी बीमारियों के दस्तक देने के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य शिविरों का अभाव है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र परिसर में रहने के बजाय स्टाफ नर्स और डॉक्टर शहर से आना-जाना करते हैं। रात के समय आपातकालीन मरीजों को जिला मेडिकल कॉलेज अस्पताल की दौड़ लगानी पड़ती है।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बने रेफर सेंटर
वर्षा काल में जल जनित बैक्टीरिया से होने वाली बीमारियां अधिक होती हैं। वर्षा काल के पहले हैंडपंप और सामूहिक आपूर्ति के जल स्त्रोतों का क्लोरीनीकरण न किए जाने का खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों से रेफर किए जा रहे मरीजों की बढ़ती संख्या के कारण व्यवस्था बिगड़ रही है। जिला मेडिकल अस्पताल के अस्तित्व में आने के बाद जिले के विकासखंड स्तर पर संचालित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रेफर सेंटर बन गए हैं।
आकस्मिक दुर्घटनाओं और प्रसव मामलों की बढ़ती संख्या
आकस्मिक दुर्घटनाओं और प्रसव जैसे मामलों का स्थानीय स्तर पर निवारण नहीं हो पाने के कारण अस्पतालों में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। मेडिकल कॉलेज अस्पताल पुराने भवन में संचालित हो रहा है, जिससे दाखिल हो रहे मरीजों की तुलना में जगह कम पड़ रही है।
मरीजों के स्वजनों की अनावश्यक भीड़
मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मरीजों के साथ स्वजनों की अनावश्यक भीड़ देखी जा रही है। महिला और पुरुष वार्ड में प्रवेश के लिए कोई नियम न होने के कारण लोग बेखटके आ-जा रहे हैं। मरीज के साथ एक व्यक्ति के रुकने का प्रावधान है, लेकिन रात के समय वार्ड के बाहर स्वजनों का बिस्तर लगा रहता है। इससे न केवल मरीजों को परेशानी होती है, बल्कि स्वजन भी संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं और उन्हें भी इलाज के लिए भर्ती करना पड़ता है। अनावश्यक आवागमन को रोकने के लिए मेडिकल अस्पताल प्रबंधन की ओर से पुख्ता इंतजाम नहीं किया गया है।
बीमारियों के बढ़ने के कारण
- वर्षा जल में भीगने से
- दूषित पानी का उपयोग करने से
- खुले में बिकने वाले खाद्य पदार्थों के सेवन से
- अस्पताल में मरीजों से मुलाकात के दौरान असावधानी से
- बासी भोजन करने से
मौसम परिवर्तन के साथ सामान्य सर्दी-जुकाम की शिकायतें बढ़ गई हैं। जल जनित रोगों के बढ़ने की आशंका भी बढ़ गई है। सर्पदंश के मामले भी आ रहे हैं। जिला मेडिकल अस्पताल में हर संभव इलाज की सुविधा दी जा रही है। लोगों को बीमारियों से बचने के लिए सावधानी बरतने की सलाह दी जा रही है।
डॉक्टर की सलाह
जिला मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. अविनाश मेश्राम ने कहा, “मौसम परिवर्तन के साथ बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। लोगों को साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए और दूषित पानी से बचना चाहिए। अस्पताल में उपलब्ध सभी सुविधाओं का उपयोग किया जा रहा है, लेकिन लोगों को भी अपनी सुरक्षा के प्रति सजग रहना होगा।”
निवारण के उपाय
- वर्षा में भीगने से बचें।
- साफ और सुरक्षित पानी पिएं।
- खुले में बिकने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।
- बासी भोजन न करें।
- अस्पताल में मरीजों से मिलने के दौरान सावधानी बरतें।
कोरबा में मौसमी बीमारियों का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है और इससे निपटने के लिए लोगों को अपनी स्वास्थ्य सुरक्षा का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है। अस्पताल प्रशासन भी अपनी ओर से हर संभव प्रयास कर रहा है, लेकिन लोगों की जागरूकता और सावधानी ही इस समस्या का स्थायी समाधान हो सकती है।