Monday, December 23, 2024

कर्ज लेकर UPSC की तैयारी पैदल चले सैकड़ों किलोमीटर बने IAS

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किसी भी सपने को साकार करने के लिए संघर्ष, मेहनत और धैर्य की आवश्यकता होती है। वीर प्रताप सिंह राघव की कहानी यह साबित करती है कि कठिनाइयों के बावजूद, अगर इंसान में जज्बा हो तो वह किसी भी चुनौती को पार कर सकता है। उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव दलपतपुर के रहने वाले वीर प्रताप सिंह राघव ने यूपीएससी की तैयारी के लिए कई चुनौतियों का सामना किया और आखिरकार अपनी मेहनत और समर्पण से सफलता हासिल की।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

वीर प्रताप सिंह राघव का जन्म और पालन-पोषण उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के दलपतपुर गांव में हुआ था। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी, लेकिन उनके अंदर कुछ कर गुजरने का जज्बा था। शुरुआती शिक्षा के लिए उन्होंने आर्य समाज स्कूल, करोड़ा में पढ़ाई की। छठी क्लास से लेकर 10वीं तक की पढ़ाई के लिए वह सरस्वती विद्या मंदिर, शिकारपुर जाते थे। स्कूल जाने के लिए उन्हें घर से 5 किलोमीटर की दूरी पैदल ही तय करनी पड़ती थी। गांव में पुल नहीं होने के कारण वह नदी पार कर स्कूल जाते थे।

कर्ज लेकर की यूपीएससी की तैयारी

वीर प्रताप के पिता एक छोटे किसान थे, जिनकी सारी कमाई परिवार के खाने-पीने और अन्य जरूरतों को पूरा करने में चली जाती थी। लेकिन उन्होंने अपने बेटे के सपनों को साकार करने के लिए ब्याज पर पैसे उधार लिए। यह निर्णय आसान नहीं था, लेकिन वीर प्रताप के पिता को अपने बेटे पर पूरा भरोसा था।

शैक्षिक पृष्ठभूमि और यूपीएससी की तैयारी

वीर प्रताप सिंह राघव ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू की। उनकी तैयारी के दौरान कई बार उन्हें असफलता का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उनके पहले दो प्रयास असफल रहे, लेकिन उन्होंने अपने प्रयास जारी रखे और अंततः तीसरे प्रयास में सफलता प्राप्त की।

संघर्ष और सफलता का सफर

वीर प्रताप सिंह राघव की सफलता की कहानी संघर्ष, समर्पण और धैर्य की कहानी है। जब भी वह पढ़ाई के लिए निकलते, उन्हें कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ता था। यह सफर आसान नहीं था, लेकिन उनकी पढ़ाई के प्रति लगन और दृढ़ता ने उन्हें कभी हारने नहीं दिया। एक समय ऐसा भी आया जब पढ़ाई के लिए उन्हें कर्ज तक लेना पड़ा, लेकिन उन्होंने अपने लक्ष्य को कभी नहीं छोड़ा।

यूपीएससी में सफलता

वीर प्रताप सिंह राघव ने यूपीएससी परीक्षा में 92वां स्थान प्राप्त किया। यह सफलता उनके और उनके परिवार के लिए गर्व की बात थी। उनके इस सफर ने यह साबित कर दिया कि कठिन परिश्रम और दृढ़ संकल्प के साथ कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।

प्रेरणा स्रोत

वीर प्रताप सिंह राघव की कहानी यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करने वाले लाखों कैंडिडेट्स के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनकी कहानी यह दिखाती है कि असफलताओं से घबराने की जरूरत नहीं है, बल्कि उनसे सीख लेकर आगे बढ़ने की जरूरत है।

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