Thursday, January 9, 2025

मतांतरित लेखक पर जनजातीय सुरक्षा मंच का विरोध

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जशपुर नगर में जनजातीय सुरक्षा मंच ने मतांतरित लेखक की पुस्तक ‘उराव संस्कृति’ के खिलाफ आपत्ति जताते हुए सिटी कोतवाली में एफआईआर दर्ज करने के लिए आवेदन दिया है। इस पुस्तक में भगवान महादेव और माता पार्वती के संबंध में आपत्तिजनक बातें लिखी गई हैं, जिससे धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं।

जनजातीय सुरक्षा मंच का विरोध प्रदर्शन

जनजातीय सुरक्षा मंच के कार्यकर्ता, पूर्व मंत्री और मंच के राष्ट्रीय संयोजक गणेश राम भगत के नेतृत्व में, शहर के रंजीता स्टेडियम से रैली निकालकर सिटी कोतवाली पहुंचे। नाराजगी जाहिर करते हुए और नारेबाजी करते हुए कार्यकर्ताओं ने कोतवाली प्रभारी को एफआईआर के लिए आवेदन सौंपा।

पुस्तक ‘उराव संस्कृति’ पर आपत्ति

पुस्तक ‘उराव संस्कृति’ में भगवान महादेव और माता पार्वती के संबंध में आपत्तिजनक बातें लिखी गई हैं, जिससे हिंदू धर्म की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं। जनजातीय सुरक्षा मंच का कहना है कि इस पुस्तक के माध्यम से जानबूझकर जनजातीय परंपरा के बारे में भ्रांतियां फैलाई जा रही हैं।

जनजातीय सुरक्षा मंच की बैठक

दो दिन पूर्व, तेतर टोली में जनजातीय सुरक्षा मंच के छत्तीसगढ़ और झारखंड के पदाधिकारियों की संयुक्त बैठक में इस मामले को जोर-शोर से उठाया गया था। बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि ऐसे लेखकों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए, जो जनजातीय परंपरा के बारे में भ्रांतियां फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।

कार्यकर्ताओं का रोष

जनजातीय सुरक्षा मंच के कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस पुस्तक के लेखक ने जानबूझकर जनजातीय समाज की धार्मिक भावनाओं को आहत करने की कोशिश की है। कार्यकर्ताओं का कहना है कि लेखक का उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ समाज में तनाव पैदा करना है और यह समाज के लिए बेहद हानिकारक है।

कानूनी कार्रवाई की मांग

जनजातीय सुरक्षा मंच ने पुलिस से आग्रह किया है कि वे तत्काल इस मामले में कार्रवाई करें और पुस्तक के लेखक और प्रकाशक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करें। मंच ने यह भी कहा कि यदि पुलिस ने इस मामले में जल्दी कार्रवाई नहीं की, तो वे उग्र प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे।

समाज में पुस्तक का प्रभाव

इस पुस्तक के कारण समाज में तनाव का माहौल बन गया है। जनजातीय समुदाय का कहना है कि उनके धार्मिक आस्थाओं और परंपराओं का अपमान किया गया है। इस पुस्तक के माध्यम से जनजातीय समाज के सदस्यों के बीच विवाद और भ्रम फैलाने का प्रयास किया गया है, जिससे समाज की एकता और शांति भंग हो रही है।

धार्मिक भावनाओं का आहत होना

धार्मिक भावनाओं का आहत होना एक गंभीर मुद्दा है और इसका समाज पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। किसी भी धार्मिक समुदाय की आस्थाओं और विश्वासों का सम्मान करना सभी नागरिकों का कर्तव्य है। धार्मिक आस्थाओं का अपमान समाज में असंतोष और हिंसा को जन्म देता है, जो समाज की शांति और सुरक्षा के लिए खतरा है।

जनजातीय सुरक्षा मंच का अपील

जनजातीय सुरक्षा मंच ने अपील की है कि सभी लेखक और प्रकाशक इस बात का ध्यान रखें कि उनके लेखन से किसी भी समुदाय की धार्मिक भावनाएं आहत न हों। उन्होंने सभी समाज के सदस्यों से आग्रह किया कि वे शांति और सद्भाव बनाए रखें और किसी भी उकसावे में न आएं।

सामाजिक और सांस्कृतिक सुरक्षा

जनजातीय सुरक्षा मंच का कहना है कि सामाजिक और सांस्कृतिक सुरक्षा को बनाए रखना सभी का कर्तव्य है। किसी भी प्रकार की अपमानजनक सामग्री का प्रचार-प्रसार न केवल समाज में तनाव पैदा करता है, बल्कि यह सांस्कृतिक धरोहर को भी नुकसान पहुंचाता है।

पुलिस और प्रशासन की भूमिका

इस मामले में पुलिस और प्रशासन की भूमिका महत्वपूर्ण है। उन्हें इस मामले की गंभीरता को समझते हुए त्वरित और निष्पक्ष जांच करनी चाहिए। समाज के सदस्यों की सुरक्षा और धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए, दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।

सामाजिक संगठनों की भूमिका

सामाजिक संगठनों का कहना है कि समाज में शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए सभी संगठनों को एकजुट होकर काम करना चाहिए। किसी भी प्रकार की अपमानजनक सामग्री का विरोध करना और सामाजिक और सांस्कृतिक सुरक्षा को बनाए रखना उनकी जिम्मेदारी है।

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