इंदौर, 13 अगस्त 2024: इंदौर में साइबर अपराधों की बढ़ती घटनाओं ने स्थानीय निवासियों को चिंता में डाल दिया है। हाल के दिनों में, हैदराबाद, बैंगलोर, मेवात, पटना, धनबाद और जामताड़ा जैसे शहरों से साइबर अपराधियों ने इंदौर के लोगों को अपना निशाना बनाना शुरू कर दिया है। इन अपराधों में अक्सर पाकिस्तानी नंबरों से कॉल आने की सूचना मिल रही है।
साइबर अपराधों की बढ़ती घटनाएं
साइबर अपराध की बढ़ती घटनाओं के बारे में जानकारी 25 मई को जोन-1 के साइबर डेस्क पर स्थापना के बाद से मिली है। पिछले दो महीनों में दर्ज की गई शिकायतों की जांच के दौरान यह खुलासा हुआ कि विभिन्न शहरों के अपराधी इंदौर के निवासियों को निशाना बना रहे हैं। एडिशनल डीसीपी जोन-1 आलोक कुमार शर्मा ने बताया कि, “हमें रोजाना एक से दो शिकायतें मिलती हैं। जून और जुलाई में कुल 53 शिकायतें आईं, जिनमें से 7 एफआईआर दर्ज की गई और एक आरोपी को गिरफ्तार किया गया है।”
इन मामलों की जांच से यह सामने आया है कि साइबर अपराधी मेवात (नूंह, अलवर और भरतपुर को कवर करते हुए), जामताड़ा, बांग्लादेश के सीमावर्ती शहर, हैदराबाद, बेंगलुरु, धनबाद और पटना से आ रहे हैं।
प्रमुख साइबर अपराध की श्रेणियाँ
इंदौर में साइबर अपराधों के विभिन्न प्रकार सामने आए हैं, जिनमें शामिल हैं:
- यूपीआई धोखाधड़ी (30 फीसदी): यह सबसे अधिक दर्ज किए गए अपराधों में से एक है। अपराधी यूजर को नकली लिंक भेजकर या फर्जी ऐप्स के माध्यम से पैसे चुराते हैं।
- सोशल मीडिया फर्जी खाते (20 फीसदी): अपराधी फर्जी प्रोफाइल बनाकर लोगों को ठगते हैं।
- सोशल मीडिया अकाउंट हैक (19 फीसदी): पीड़ितों के सोशल मीडिया अकाउंट्स को हैक कर उनका व्यक्तिगत डेटा चुराया जाता है।
- डिजिटल हाउस अरेस्ट (4 फीसदी): यह अपराध तब होता है जब अपराधी पीड़ित की डिजिटल पहचान को नियंत्रण में ले लेते हैं।
- सेक्सटॉर्शन (4 फीसदी): अपराधी यौन सामग्री के आधार पर पीड़ितों को ब्लैकमेल करते हैं।
- क्रिप्टो ट्रेडिंग धोखाधड़ी (4 फीसदी): फर्जी क्रिप्टो ट्रेडिंग प्लेटफार्मों के माध्यम से पैसे ठगे जाते हैं।
- फर्जी लोन ऐप (4 फीसदी): नकली लोन ऐप्स के माध्यम से पैसे चुराए जाते हैं।
- फोटो मॉर्फिंग (4 फीसदी): अपराधी तस्वीरों में बदलाव करके ब्लैकमेल करते हैं।
- अन्य साइबर अपराध (11 फीसदी): इसमें विभिन्न प्रकार के छोटे-मोटे साइबर अपराध शामिल हैं।
ठगी की रोकथाम और वसूली
एडिशनल डीसीपी आलोक शर्मा ने बताया कि पुलिस ने तीन लाख रुपये से अधिक की वसूली की है और ठगों के खातों में 22 लाख रुपये से अधिक फ्रीज कर दिए हैं। उन्होंने कहा, “अगर हमें गोल्डन ऑवर्स के दौरान शिकायतें मिलती हैं, तो हम अपनी रिकवरी रेट बढ़ा सकते हैं। गोल्डन ऑवर्स के दौरान शिकायत मिलने से ठगों को पैसे ट्रांसफर करने और निकालने का समय नहीं मिलता।”
साइबर अपराधियों की कार्यप्रणाली
साइबर अपराधियों की कार्यप्रणाली में अक्सर इंटरनेट से जनरेट किए गए नंबरों से कॉल करके पीड़ितों को धोखा देना शामिल होता है। अपराधी कॉल करके लिंक भेजते हैं या रिमोट एक्सेस ऐप डाउनलोड करने के लिए कहते हैं। इन ऐप्स या लिंक के माध्यम से, अपराधी पीड़ित के मोबाइल फोन को रिमोट तरीके से एक्सेस कर सकते हैं और व्यक्तिगत जानकारी तथा तस्वीरें चुरा सकते हैं।
ऑनलाइन ग्रूमिंग पर चेतावनी
एडिशनल डीसीपी आलोक शर्मा ने ऑनलाइन ग्रूमिंग पर भी चेतावनी दी है, जहां अपराधी वीडियो कॉल में पहले से रिकॉर्ड किए गए यौन वीडियो का इस्तेमाल करके लोगों को शिकार बनाते हैं। उन्होंने लोगों से सतर्क रहने और ऐसी घटनाओं की तुरंत पुलिस को सूचना देने की अपील की, ताकि त्वरित कार्रवाई की जा सके।
बचाव के उपाय और सलाह
आलोक शर्मा ने लोगों को सलाह दी कि वे अपने डिजिटल जीवन को सावधानी से प्रबंधित करें और किसी के साथ व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें। साइबर अपराधों से बचने के लिए सतर्क रहना सबसे बड़ा बचाव है। यदि कोई साइबर अपराध की घटना घटती है, तो लोगों को साइबर हेल्पलाइन 1930 या साइबर क्राइम वेबसाइट पर तुरंत रिपोर्ट करनी चाहिए।
उन्होंने कहा, “हमारी टीम लगातार साइबर अपराधियों पर नजर रखे हुए है और जो भी शिकायतें मिलती हैं, उनकी तुरंत जांच की जाती है। लोगों को चाहिए कि वे सावधानी बरतें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना पुलिस को दें। इससे हम मिलकर इन अपराधियों को पकड़ने और आपके पैसे और व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा सुनिश्चित करने में सफल हो सकेंगे।”