दिव्यांगजनों के रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के लक्ष्य से एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में, इंदौर जिला प्रशासन ने सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण विभाग के साथ मिलकर दिव्यांगजनों के लिए विशेष रूप से तैयार किए गए एक मजबूत रोजगार पोर्टल का शुभारंभ किया है। इस प्रणाली के माध्यम से कंपनियां अपनी रिक्त पदों की जानकारी पोर्टल पर दे रही हैं, जिससे दिव्यांग व्यक्तियों को नौकरी के अवसर प्राप्त हो सकें। इस पोर्टल पर दिव्यांग अपने अनुभव और शैक्षणिक योग्यता के साथ पंजीकरण कर सकते हैं, जिससे कम्पनियों और पोर्टल के बीच एक सीधा संचार स्थापित होता है।
इस महत्वपूर्ण पहल को लेकर बात करते हुए, इंदौर के सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण विभाग की संयुक्त संचालक सुचिता बेक तिर्की ने इसकी महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने इस (www.divyangjobs.info) पोर्टल को एक ऐतिहासिक कदम बताया, जो दिव्यांगजनों को व्यावसायिक रूप से सशक्त करने में मदद करेगा। “हमने जिला प्रशासन और स्थानीय हितधारकों के साथ मिलकर सुनिश्चित किया है कि यह प्रणाली समाज में समावेश और आर्थिक सशक्तिकरण के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत बने,” तिर्की ने कहा।
इस पोर्टल के विकास का समय ऐसे में आता है, जब प्रशासन द्वारा दिव्यांगजनों के सामाजिक और आर्थिक स्तर पर सम्मान के प्रयासों पर काम किया जा रहा है। जिले में दिव्यांगजनों के लिए रोजगार मेले आयोजित किए गए हैं, जिनसे सैकड़ों व्यक्तियों ने विभिन्न कंपनियों में रोजगार प्राप्त किया है। ये पहले से ही बताते हैं कि प्रशासन का संकल्प दिव्यांग व्यक्तियों को अर्थात उनके शारीरिक क्षमताओं के बावजूद समाज में समावेशित करने का है।
इस प्रक्रिया के माध्यम से यह उम्मीद है कि प्रशासन पोर्टल के प्रचार-प्रसार को बढ़ावा देगा, ताकि अधिक कंपनियां और संगठन इसमें सक्रिय भाग लें। प्रशासन अधिकारियों द्वारा दिव्यांगजनों को रोजगार के लिए अनुकूलन के लाभ और पोर्टल के कार्यक्षमताओं की जानकारी देने वाले जागरूकता अभियान भी आयोजित किए जा रहे हैं।
समाप्त में, इंदौर जिला प्रशासन द्वारा दिव्यांगजनों के लिए सशक्त दिव्यांग रोजगार पोर्टल का शुभारंभ एक समावेशी और न्यायसंगत समाज के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। तकनीकी उन्नति और सहयोग के माध्यम से, यह पहल न केवल दिव्यांगजनों के रोजगार संबंधी चुनौतियों का समाधान करती है, बल्कि अन्य क्षेत्रों के लिए एक आदर्श स्थापित करती है। पोर्टल की विकास के साथ, यह बदलाव के लिए एक परिवर्तनात्मक कारक बना है, जिससे दिव्यांगजन अपनी क्षमताओं को कामकाजी और उससे परे क्षेत्रों में प्रदर्शित करने में सक्षम हों।