इंदौर शहर में बढ़ती चोरी, लूट, और डकैती की घटनाओं ने पुलिस प्रशासन को चिंता में डाल दिया था। डीसीपी अभिनय विश्वकर्मा ने इस समस्या के समाधान के लिए एक अनोखी पहल की शुरुआत की है, जिसमें डिजिटल निगरानी के माध्यम से पुलिस गश्त को और अधिक प्रभावी बनाया जा रहा है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य पुलिसकर्मियों की गतिविधियों की निगरानी करना और उन्हें उनके कर्तव्यों का पालन करने के लिए प्रेरित करना है।
पुलिस गश्त की चुनौतियां और नई पहल का उद्देश्य
डीसीपी अभिनय विश्वकर्मा के अनुसार, इंदौर शहर में चोरी, लूट, और डकैती जैसी घटनाएं बढ़ रही थीं। इसके पीछे एक प्रमुख कारण यह था कि गश्ती पुलिसकर्मी अपनी ड्यूटी के दौरान कुछ समय तक इलाके में घूमने के बाद किसी होटल या कार में सो जाते थे। इससे इलाके में अपराधियों को खुलकर गतिविधियां करने का मौका मिल जाता था। डीसीपी विश्वकर्मा ने इसे सुधारने के लिए डिजिटल निगरानी का प्लेटफार्म तैयार किया है, जिससे पुलिसकर्मियों की गश्त पर नजर रखी जा सकेगी।
डिजिटल निगरानी का तकनीकी पहलू
डीसीपी अभिनय विश्वकर्मा ने खुद इस डिजिटल निगरानी के प्लेटफार्म को तैयार किया है। इसके तहत गश्त करने वाले पुलिसकर्मी थाने के व्हाट्सएप ग्रुप में अपनी लोकेशन और फोटो साझा करेंगे। इसके बाद अगले दिन डीसीपी कार्यालय में उन फोटो और लोकेशन डेटा का विश्लेषण किया जाएगा। इसके लिए अक्षांश और देशांतर का उपयोग किया जाता है, जिससे हिटमैप तैयार किया जाता है। इस हिटमैप के जरिए पुलिसकर्मियों की लोकेशन का पता लगाया जा सकेगा और यह भी स्पष्ट होगा कि पुलिसकर्मी कहां-कहां गए हैं और किस क्षेत्र में उनकी उपस्थिति नहीं रही।
कैसे काम करता है यह सिस्टम
डीसीपी विश्वकर्मा के अनुसार, इस प्रणाली में ग्रुप पर प्रतिदिन 300 से अधिक फोटो प्राप्त होते हैं। पहले सभी फोटो को मैन्युअल रूप से देखना संभव नहीं था, इसलिए एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) की मदद ली गई। फोटो डाउनलोड करके डेटा को एक्सेल में तैयार किया जाता है। समय और तिथि के आधार पर एक्सेल फाइल बनाई जाती है और उसे मैप पर प्लॉट करके हिटमैप तैयार किया जाता है। इस हिटमैप पर नीले रंग से बने निशान यह बताते हैं कि संबंधित पुलिसकर्मी कितनी बार उस जगह पर गए हैं। वहीं, लाल रंग से उन स्थानों को चिन्हित किया जाता है, जहां पुलिसकर्मी बार-बार और ज्यादा देर तक रुके हैं।
पुलिसकर्मियों की निगरानी और अनुशासन
इस डिजिटल निगरानी के माध्यम से पुलिसकर्मियों के ठिए उजागर हो रहे हैं। यदि कोई पुलिसकर्मी अपनी ड्यूटी के दौरान लापरवाही करता है, तो उसे अगले दिन संबंधित थाना प्रभारी (टीआई) के माध्यम से आर्डर रूम (ओआर) में बुलाया जाएगा। डीसीपी विश्वकर्मा ने बताया कि यदि कोई पुलिसकर्मी अपनी गश्त में ईमानदारी से काम नहीं करता है, तो उसे सुधार का मौका दिया जाएगा, और यदि सुधार नहीं होता है, तो उसे अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
ट्रायल की शुरुआत और प्रारंभिक परिणाम
फिलहाल इस डिजिटल निगरानी प्रणाली का ट्रायल जोन-दो के अंतर्गत आने वाले विजयनगर, लसूड़िया, खजराना, कनाड़िया, तिलकनगर, परदेशीपुरा और एमआईजी थानों में शुरू किया गया है। ट्रायल के दौरान यह पाया गया कि कई पुलिसकर्मी गश्त के दौरान निर्दिष्ट क्षेत्रों में जाने के बजाय एक ही स्थान पर ज्यादा समय बिताते हैं। उदाहरण के तौर पर, कनाड़िया थाने के कई पुलिसकर्मी स्कीम-140 क्षेत्र में जाकर रुक जाते हैं और विजयनगर थाने के कुछ पुलिसकर्मियों ने तो थाने से ही फोटो खींचकर ग्रुप पर डाल दिए। इस प्रणाली ने यह भी उजागर किया कि कई कॉलोनियों में गश्त ही नहीं हुई थी, जिससे उन क्षेत्रों में अपराध की संभावना बढ़ जाती है।
डीसीपी विश्वकर्मा की प्रतिबद्धता और सुधार के प्रयास
डीसीपी अभिनय विश्वकर्मा ने स्पष्ट किया है कि इस डिजिटल निगरानी का मुख्य उद्देश्य पुलिस गश्त को प्रभावी बनाना है, ताकि इंदौर शहर में अपराध की घटनाओं को रोका जा सके। उन्होंने बताया कि पुलिसकर्मियों की जिम्मेदारी तय होगी और उन्हें अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। यदि कोई पुलिसकर्मी अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ता है, तो उसे सजा भी मिलेगी।
एआई की भूमिका और भविष्य की योजनाएं
डीसीपी विश्वकर्मा ने बताया कि इस डिजिटल निगरानी प्रणाली में एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) की मदद ली गई है। एआई की मदद से फोटो और डेटा का विश्लेषण किया जाता है, जिससे पुलिसकर्मियों की गतिविधियों की सटीक जानकारी प्राप्त होती है। भविष्य में इस प्रणाली को और अधिक उन्नत बनाने की योजना है, ताकि पुलिस गश्त और भी प्रभावी हो सके और अपराधियों पर नकेल कसी जा सके।
पुलिस और समाज के बीच विश्वास बहाली
इस डिजिटल निगरानी प्रणाली के जरिए पुलिस प्रशासन और समाज के बीच विश्वास बहाली का प्रयास किया जा रहा है। इंदौर शहर में बढ़ती अपराध की घटनाओं के बीच यह प्रणाली एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे पुलिसकर्मियों की जिम्मेदारी और उनकी गतिविधियों की निगरानी की जा सकेगी। इसके साथ ही, समाज में यह संदेश जाएगा कि पुलिस प्रशासन अपनी जिम्मेदारियों के प्रति सजग है और नागरिकों की सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है।
डीसीपी अभिनय विश्वकर्मा द्वारा इंदौर में शुरू की गई इस डिजिटल निगरानी प्रणाली ने पुलिस गश्त को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने का प्रयास किया है। इस प्रणाली के माध्यम से पुलिसकर्मियों की जिम्मेदारियों की निगरानी की जा रही है और उन्हें अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। यह पहल इंदौर शहर में अपराध को रोकने और समाज में सुरक्षा का माहौल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। डीसीपी विश्वकर्मा की यह पहल अन्य शहरों के लिए भी एक उदाहरण बन सकती है, जिससे पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली में सुधार किया जा सके और समाज में विश्वास बहाली का प्रयास किया जा सके।