हसदेव बांगो जल विद्युत गृह से ताप विद्युत संयंत्रों को पुनः संचालित करने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल हाल ही में किया गया है। इस अभ्यास के दौरान यह तय किया गया कि जल विद्युत संयंत्र से बिजली पहुंचा कर आपात स्थिति में विद्युत संयंत्र को ब्लैक आउट होने पर चालू किया जा सकता है। इससे न केवल जिला बल्कि पूरे प्रदेश में ब्लैक आउट हो जाता है।
ताप विद्युत संयंत्रों के खराबी आने की वजह से न केवल जिला बल्कि पूरे प्रदेश में ब्लैक आउट हो जाता है। इससे निपटने के लिए संयंत्र को पुनः परिचालन में लेने के लिए स्टार्टअप पावर आपूर्ति करने माकड्रिल किया गया। बांगो जल विद्युत संयंत्र से बिजली 43 मिनट के भीतर ताप विद्युत संयंत्रों तक पहुंचाई गई और शहर रोशन हुआ।
माकड्रिल सफल होने के बाद पुनः पुरानी स्थिति बहाल कर दी गई। कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्र एकाएक तकनीकी खराबी से पूरी तरह बंद हो जाते हैं, ऐसे में आपात स्थिति निर्मित हो जाती है। इन संयंत्रों को पुनः चालू करने के लिए अतिरिक्त बिजली की जरूरत होती है, जिसे जल विद्युत संयंत्र या डीजल जनरेटर (डीजी) से लेना पड़ता है।
विद्युत कंपनी के पास जल विद्युत संयंत्र होने की वजह से उससे बिजली लेकर ताप विद्युत संयंत्र को चालू किया जाता है। इंडियन इलेक्ट्रिसिटी ग्रिड कोड और स्टेट ग्रिड कोड के प्रावधानों के अनुसार साल में एक बार इस तरह का माकड्रिल करना होता है। इसलिए विद्युत कंपनी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए वर्ष में दो बार माकड्रिल (पूर्वाभ्यास) करती है और बांगो जल विद्युत संयंत्र से ताप विद्युत संयंत्र तक बिजली आपूर्ति की जाती है।
अधिकारियों ने कार्यालय में अपनी भूमिका निभाई
मुख्यालय व लोड डिस्पैच सेंटर में पदस्थ अधिकारियों ने कार्यालय में अपनी भूमिका निभाई, तो फील्ड के भी अधिकारी लगातार निगरानी करते रहे। इनमें बांगो जल विद्युत संयंत्र के अधीक्षण अभियंता बीआर भगत, एसके रहमतकर, विद्युत गृह कोरबा पश्चिम में अधीक्षण अभियंता एस करकरे, कोरबा पूर्व में पारेषण संकाय से अधीक्षण अभियंता डीएस पटेल, वितरण विभाग से अधीक्षण अभियंता पीएल सिदार, संचार एवं टेलीमीटरी संकाय से कार्यपालन अभियंता अजय कंवर, उत्पादन कंपनी से कार्यपालन अभियंता आनंद कुमार एवं सुरेश साहू समेत सभी अधिकारियों समस्या अपने स्थानीय अखबार अथवा अन्य मीडिया स्रोतों में प्रकट हुई है, जिसमें यह बताया गया है कि बांगो जल विद्युत संयंत्र के अधिकारियों ने अपने कार्यालयों में अपनी भूमिकाएं निभाई हैं। इन अधिकारियों में शामिल हैं: बीआर भगत (बांगो जल विद्युत संयंत्र के अधीक्षण अभियंता), एसके रहमतकर (विद्युत गृह कोरबा पश्चिम में अधीक्षण अभियंता), डीएस पटेल (कोरबा पूर्व में पारेषण संकाय से अधीक्षण अभियंता), पीएल सिदार (वितरण विभाग से अधीक्षण अभियंता), अजय कंवर (संचार एवं टेलीमीटरी संकाय से कार्यपालन अभियंता), आनंद कुमार एवं सुरेश साहू (उत्पादन कंपनी से कार्यपालन अभियंता)।
ये अधिकारी अपने क्षेत्रों में निगरानी कार्य में जुटे रहे हैं, जिससे विद्युत संयंत्र के सुचारू कार्यों में सुनिश्चिति बनी रहे। वे मुख्यालय और लोड डिस्पैच सेंटर में अपने विभागों की निगरानी करते रहे, जिससे संयंत्र की कार्यक्षमता बनाए रखने में मदद मिलती रही।