छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में नक्सलवाद की दंश झेलने वाले क्षेत्र अब गुलाब की खुशबू से महक रहे हैं। बारूद की गंध की जगह अब बस्तर के खेतों में गुलाब की महक फैल रही है। यहां के किसान गुलाब की खेती कर न केवल अपनी आजीविका सुधार रहे हैं, बल्कि आसपास के ग्रामीणों को भी रोजगार प्रदान कर रहे हैं।
बस्तर जिले के 20 से 25 किसान आधुनिक खेती के तरीकों का इस्तेमाल कर गुलाब की खेती कर रहे हैं। इससे उन्हें अच्छी कमाई हो रही है और उनके गुलाब आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, उड़ीसा और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में भेजे जा रहे हैं। यहां तक कि जगन्नाथ प्रभु के मंदिर में भी बस्तर के गुलाब का हार चढ़ाया जा रहा है।
गुलाब की खेती का उद्यम
जगदलपुर शहर से लगे बकावण्ड ब्लाक के दशापाल गांव में रिटायर्ड वन अधिकारी ने बैंक से लोन लेकर गुलाब की खेती शुरू की है। उन्होंने स्थानीय ग्रामीणों को रोजगार भी दिया है। गुलाब की खेती करने वाले किसान आरआर कश्यप ने बताया कि उन्हें गुलाब की खेती करने की प्रेरणा मिली और इसके लिए उन्होंने बैंक से 96 लाख रुपये का कर्ज लिया, जिसमें से 56 लाख रुपये की सब्सिडी मिली।
आरआर कश्यप ने बताया कि बस्तर की पहचान अब नक्सलवाद से नहीं बल्कि गुलाब की खेती से हो रही है। पहले बस्तर की पहचान बारूद और खून-खराबे से होती थी, लेकिन अब गुलाब की खुशबू से होती है। आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, उड़ीसा और महाराष्ट्र तक बस्तर के गुलाब भेजे जा रहे हैं। यहां तक कि पुरी के जगन्नाथ मंदिर में भी बस्तर के गुलाब का हार चढ़ाया जा रहा है।
महिलाओं की बदली जिंदगी
गुलाब की खेती में महिलाएं भी सक्रिय रूप से भाग ले रही हैं। इस काम से उन्हें रोजगार मिला है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति भी सुधरी है। पहले जिन गांवों में बारूद की गंध आती थी, अब वे फूलों की खुशबू से महक रहे हैं। महिलाओं की मेहनत से न केवल उनकी आर्थिक स्थिति सुधरी है, बल्कि समाज में उनकी स्थिति भी बेहतर हुई है।
बस्तर में रोजगार के नए अवसर
बस्तर के किसान अब अपने भाग्य को खुद बना रहे हैं। गुलाब की खेती ने न केवल उनकी आर्थिक स्थिति को सुधारने में मदद की है, बल्कि उनके जीवन को भी खुशहाल बना दिया है। गुलाब की खेती ने बस्तर में रोजगार के नए अवसर पैदा किए हैं। इसने युवाओं को भी रोजगार के नए अवसर दिए हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति भी सुधरी है।
गुलाब की खुशबू से बदल रहा बस्तर
गुलाब की खेती से बस्तर की तस्वीर पूरी तरह से बदल रही है। पहले जो बस्तर बारूद की गंध और नक्सलवाद के कारण जाना जाता था, अब वह गुलाब की खुशबू और रोजगार के नए अवसरों के कारण पहचाना जा रहा है। किसानों की मेहनत और उनकी इच्छाशक्ति ने बस्तर को एक नई पहचान दी है।
आर्थिक विकास की दिशा में कदम
गुलाब की खेती ने बस्तर के ग्रामीण इलाकों में आर्थिक विकास की नई दिशा दी है। इससे किसानों की आमदनी में वृद्धि हुई है और उनके जीवन स्तर में सुधार हुआ है। गुलाब की खेती ने न केवल बस्तर की पहचान को बदला है, बल्कि यहां के लोगों को आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा भी दी है।
गुलाब की खेती से स्वावलंबन की ओर
बस्तर के किसान गुलाब की खेती कर आत्मनिर्भर बन रहे हैं। इससे उन्हें न केवल आर्थिक लाभ हो रहा है, बल्कि उनके आत्मविश्वास में भी वृद्धि हुई है। गुलाब की खेती ने बस्तर के किसानों को आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक नई राह दिखाई है। इससे उन्हें अपनी जिंदगी को बेहतर बनाने का अवसर मिला है।
गुलाब की खेती का भविष्य
बस्तर में गुलाब की खेती का भविष्य उज्ज्वल है। इससे न केवल किसानों को रोजगार मिल रहा है, बल्कि यह क्षेत्र की आर्थिक स्थिति को भी सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। गुलाब की खेती ने बस्तर को एक नई पहचान दी है और इसे नक्सलवाद के दंश से मुक्ति दिलाने में मदद की है।
गुलाब की खुशबू से महकता बस्तर
बस्तर के गुलाब अब न केवल देश के विभिन्न हिस्सों में भेजे जा रहे हैं, बल्कि इनकी खुशबू से बस्तर भी महक रहा है। गुलाब की खेती ने इस क्षेत्र को न केवल आर्थिक रूप से सक्षम बनाया है, बल्कि यहां के लोगों के जीवन में भी खुशहाली लाई है। बस्तर के किसान गुलाब की खेती कर अपनी जिंदगी को खुशहाल बना रहे हैं और इसके साथ ही अपने समाज को भी समृद्ध बना रहे हैं।
इस तरह, गुलाब की खेती ने बस्तर की तस्वीर को पूरी तरह से बदल दिया है। बारूद की गंध की जगह अब गुलाब की खुशबू ने ले ली है। किसानों की मेहनत और उनकी इच्छाशक्ति ने बस्तर को एक नई पहचान दी है। गुलाब की खेती से बस्तर में रोजगार के नए अवसर पैदा हुए हैं और यहां के लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है। बस्तर अब न केवल गुलाब की खुशबू से महक रहा है, बल्कि यह क्षेत्र आर्थिक विकास की दिशा में भी तेजी से आगे बढ़ रहा है।