Monday, December 23, 2024

दिल्ली हाई कोर्ट ने उमर खालिद की जमानत याचिका पर दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा

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दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली दंगे के आरोपी उमर खालिद की जमानत याचिका पर दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा है और मामले की अगली सुनवाई 29 अगस्त के लिए निर्धारित की है। अदालत की बेंच, जिसमें जस्टिस सुरेश कुमार केत और जस्टिस गिरिश कठपालिया शामिल हैं, ने दिल्ली पुलिस से याचिका पर विस्तृत जवाब देने का निर्देश दिया है। यह कदम उमर खालिद द्वारा युआपीए (Unlawful Activities (Prevention) Act) के तहत अपने खिलाफ दर्ज मामले में जमानत के लिए लगाई गई याचिका के संदर्भ में उठाया गया है।

जस्टिस अमित शर्मा ने खुद को सुनवाई से अलग किया

दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस अमित शर्मा ने उमर खालिद की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। इसके बाद, केस की सुनवाई जस्टिस सुरेश कुमार केत और जस्टिस गिरिश कठपालिया की बेंच के पास आई। यह स्थिति कोर्ट की कार्यवाही में महत्वपूर्ण मोड़ को दर्शाती है और यह संकेत देती है कि मामले की सुनवाई में कोर्ट का विशेष ध्यान और गंभीरता है।

उमर खालिद पर आरोप और जमानत याचिका

उमर खालिद, जो जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के पूर्व छात्र हैं, पर दिल्ली दंगों के दौरान एक व्यापक साजिश रचने का आरोप है। यह दंगे फरवरी 2020 में हुए थे, जिनमें 53 लोगों की मौत हो गई थी और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। इस हिंसा के दौरान, खालिद पर यूएपीए के तहत केस दर्ज किया गया था। खालिद ने अपनी जमानत याचिका में अदालत से अनुरोध किया है कि उन्हें जमानत पर रिहा किया जाए, लेकिन उनकी याचिका को पहले शहर की अदालत द्वारा खारिज कर दिया गया था।

जमानत याचिका के खारिज होने का कारण

28 मई को शहर की अदालत ने उमर खालिद की दूसरी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। अदालत ने यह कहते हुए याचिका खारिज की कि लोक अभियोजन किसी भी देरी के लिए जिम्मेदार नहीं है और पहली जमानत याचिका खारिज करने के बाद से कोई भी नई स्थिति उत्पन्न नहीं हुई है। इसके बाद उमर खालिद ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जो उनकी जमानत याचिका पर पुनः विचार करने के लिए मजबूर हुआ।

सह-आरोपियों की जमानत याचिकाओं की सुनवाई

उसी दिन, 29 अगस्त को, बेंच सह-आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर भी सुनवाई करेगी। इन सह-आरोपियों में शरजील इमाम, राष्ट्रीय जनता दल के युवा ईकाई के नेता और जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्र मीरन हैदर, और शिफउर रहमान शामिल हैं। इन सभी पर भी दंगों से संबंधित साजिश रचने के आरोप हैं और उनकी जमानत याचिकाएं भी लंबित हैं।

उमर खालिद की जेल में अवधि

उमर खालिद सितंबर 2020 से जेल में बंद हैं। उनकी जेल अवधि का प्रमुख कारण दिल्ली दंगों में उनकी कथित भूमिका है। खालिद ने इस हिंसा में अपनी संलिप्तता के आरोपों से इनकार किया है और उन्होंने दावा किया है कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप राजनीतिक प्रेरित हैं।

दिल्ली दंगों का संदर्भ

दिल्ली दंगे फरवरी 2020 में उस समय भड़के जब नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे थे। यह दंगा व्यापक स्तर पर फैल गया था और इसके चलते भारी हिंसा और संपत्ति की क्षति हुई थी। इस हिंसा के दौरान सरकार और विपक्ष के बीच तीखी राजनीति हुई, और यह मुद्दा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बना।

खालिद का दावा और राजनीतिक संदर्भ

उमर खालिद ने अपनी जमानत याचिका में यह दावा किया है कि उनपर लगाए गए आरोप झूठे हैं और उन्हें राजनीतिक कारणों से निशाना बनाया जा रहा है। उनका कहना है कि दंगे में उनकी कोई भूमिका नहीं थी और उन्हें न्याय मिलेगा।

अदालत की भूमिका और आगामी प्रक्रिया

दिल्ली हाई कोर्ट की भूमिका इस मामले में महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह अदालत ही तय करेगी कि उमर खालिद को जमानत पर रिहा किया जाए या नहीं। जमानत की सुनवाई के दौरान, अदालत को सभी तथ्यों और सबूतों पर ध्यान देना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि खालिद की जमानत याचिका के खिलाफ कोई वैध कारण तो नहीं है।

उमर खालिद की जमानत याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट की सुनवाई और इसी दिन अन्य सह-आरोपियों की याचिकाओं पर सुनवाई से इस मामले में न्याय की दिशा तय होगी। अदालत की अगली सुनवाई के दिन 29 अगस्त को इस मामले के परिणाम की दिशा में महत्वपूर्ण निर्णय आ सकता है। इस बीच, मामले के सभी पक्षों के लिए यह महत्वपूर्ण होगा कि वे अदालत के निर्देशों का पालन करें और निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए सहयोग करें।

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