राजस्व पटवारी संघ अपनी 32 सूत्रीय मांग को लेकर पिछले 7 दिनों से पूरे प्रदेश में बेमियादी हड़ताल पर है। इस हड़ताल के चलते आय, जाति, निवास प्रमाण पत्र सहित पटवारियों से जुड़े सभी काम पूरी तरह से प्रभावित हो गए हैं। स्कूल-कॉलेजों में एडमिशन की प्रक्रिया चल रही है, जिसके चलते इन दस्तावेजों की आवश्यकता और भी बढ़ गई है।
प्रमाण पत्रों के जारी होने में बाधा
राजस्व पटवारी संघ की हड़ताल के कारण प्रदेश भर में लाखों प्रमाण पत्रों के जारी होने में देरी हो रही है। आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश में 113,540 आय प्रमाण पत्र, 60,501 मूल निवासी प्रमाण पत्र, 46,851 अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र और 47,375 ओबीसी जाति प्रमाण पत्र लंबित हैं। रायपुर जिले में ही 2,208 आय प्रमाण पत्र, 2,353 मूल निवासी प्रमाण पत्र, 600 एससी/एसटी जाति प्रमाण पत्र और 1,688 ओबीसी जाति प्रमाण पत्र लंबित हैं।
निरस्त और वापस किए जा रहे आवेदन
ई-डिस्ट्रिक से मिले डेटा के मुताबिक, प्रमाण पत्र जारी तो नहीं हो रहे हैं, लेकिन हजारों दस्तावेजों को रिजेक्ट कर दिया गया है। राजस्व अधिकारियों ने 52,491 आय के, 61,374 मूल निवास के, 120,521 अनुसूचित जाति के और 518,256 ओबीसी जाति के आवेदन निरस्त कर दिए हैं। इसके अलावा, आवेदनों की वापस करने की संख्या भी अधिक है।
लोगों के अटक रहे काम
पटवारियों की हड़ताल के कारण लोग तहसील कार्यालयों में भटक रहे हैं। पटवारी न होने के कारण लोग अपने आवश्यक दस्तावेज नहीं बनवा पा रहे हैं, जिससे उनकी महत्वपूर्ण गतिविधियां प्रभावित हो रही हैं। हड़ताल के चलते आम लोगों को तहसील कार्यालय में बार-बार चक्कर काटने पड़ रहे हैं। पटवारी संघ ने साफ किया है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे हड़ताल समाप्त नहीं करेंगे।
शासन का आदेश
हड़ताल के चलते उत्पन्न स्थिति को देखते हुए शासन ने आनलाइन रिकॉर्ड के आधार पर तहसीलदारों को प्रमाण पत्र जारी करने का निर्देश दिया है। आदेश में कहा गया है कि आय, निवास और जाति प्रमाण पत्र के लिए आवेदकों से ऐसे दस्तावेजों की मांग नहीं की जाएगी, जिनके लिए उन्हें पटवारी के प्रतिवेदन पर निर्भर रहना पड़े। यह निर्देश आगामी आदेश तक लागू रहेगा।
राजस्व विभाग का रुख
राजस्व विभाग के संचालक रमेश शर्मा ने कहा कि सभी तहसीलदारों को ऑनलाइन रिकॉर्ड के आधार पर प्रमाण पत्र जारी करने का आदेश दिया गया है। उन्होंने कहा कि बिना उचित कारण के किसी भी आवेदन को लंबित या निरस्त नहीं किया जा सकता। इस आदेश के बावजूद भी वर्तमान में लाखों प्रमाण पत्र पेंडिंग लिस्ट में हैं।
पटवारियों की मांगें और हड़ताल की स्थिति
राजस्व पटवारी संघ की मांगों में वेतन वृद्धि, काम के घंटे में सुधार, प्रमोशन के अवसर, और अन्य प्रशासनिक सुधार शामिल हैं। संघ का कहना है कि उनके काम की मात्रा और जिम्मेदारियों के अनुपात में वेतन और सुविधाओं का अभाव है। इस संबंध में राज्य सरकार के साथ कई दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन अभी तक कोई ठोस समाधान नहीं निकला है।
सामाजिक और आर्थिक प्रभाव
पटवारी हड़ताल के कारण सामाजिक और आर्थिक गतिविधियों पर व्यापक प्रभाव पड़ा है। आवेदकों को आवश्यक दस्तावेज न मिलने के कारण बैंक लोन, एडमिशन, नौकरी, और अन्य महत्वपूर्ण कार्य अटके पड़े हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में तो स्थिति और भी गंभीर है, जहां लोगों को तहसील कार्यालय आने-जाने में अतिरिक्त परेशानी हो रही है।
भविष्य की दिशा
यदि हड़ताल जारी रहती है, तो राज्य सरकार को स्थिति से निपटने के लिए अधिक कठोर कदम उठाने पड़ सकते हैं। लोगों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए सरकार को पटवारियों की मांगों पर गंभीरता से विचार करना होगा।
इस हड़ताल ने एक बार फिर यह सवाल उठाया है कि कैसे महत्वपूर्ण सरकारी विभागों में सुधार किया जाए ताकि आम नागरिकों को ऐसे संकटों का सामना न करना पड़े। सरकार और पटवारी संघ के बीच संवाद और समाधान की आवश्यकता है ताकि प्रदेश में सामान्य जनजीवन पटरी पर लौट सके।