अमरीश पुरी, जिन्हें हिंदी सिनेमा के सबसे सफल खलनायकों में गिना जाता है, ने अपने किरदारों को इतनी सिद्दत से निभाया कि उनके चाहने वालों के दिलों में एक अलग ही छवि बन गई थी। जैसे वे रील लाइफ में दिखाई देते थे, उससे बिल्कुल अलग वे रियल लाइफ में थे। हिंदी सिनेमा में ऐसे कई हीरो आए हैं, जो आज तक याद किए जाते हैं। इनमें खलनायक की भूमिका आज भी लोगों के जेहन में मौजूद है। कुछ कलाकारों ने खलनायक का किरदार ऐसा निभाया कि आज तक उनका रिकॉर्ड कोई नहीं तोड़ पाया। वे विलेन के किरदारों में अमर हो गए। अमरीश पुरी भी एक ऐसे ही एक्टर थे जिन्हें सबसे ज्यादा विलेन के रोल ऑफर होते थे और उसमें वे हर बार खरे उतरते थे। उन्होंने हिंदी सिनेमा को लगभग 30 साल दिए थे, जिसमें वे मिस्टर इंडिया में मोगैंबो, त्रिदेव में भुजंग, और कोयला में राजा साहब जैसे किरदार निभाकर खूब फेमस हुए।
अमरीश पुरी का शुरुआती जीवन और संघर्ष
22 जनवरी 1932 को अमरीश पुरी का जन्म जालंधर के एक पंजाबी परिवार में हुआ था। उनके दोनों बड़े भाई चमनपुरी और मदनपुरी पहले से ही फिल्म इंडस्ट्री में एक्टिव थे। शिमला में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद अमरीश मुंबई आ गए। वे जहां भी ऑडिशन देने जाते थे, रिजेक्ट हो जाते थे। इन रिजेक्शंस से हार मानने के बजाय उन्होंने थिएटर का रास्ता चुना। थिएटर में उनकी एक्टिंग और शानदार आवाज ने सभी को इंप्रेस कर दिया। इस तरह उन्हें इस बार बिना कोशिश के ही फिल्मों के ऑफर आना शुरू हो गए।
थिएटर से फिल्मों तक का सफर
थिएटर में अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन के बाद, अमरीश पुरी ने फिल्मों में कदम रखा। उनकी दमदार आवाज और प्रभावशाली व्यक्तित्व ने उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में जल्दी ही एक पहचान दिला दी। हालांकि, उन्हें शुरुआत में सकारात्मक भूमिकाएँ नहीं मिलीं, लेकिन खलनायक के रूप में उनकी पहचान तेजी से बनी। उनकी पहली बड़ी फिल्म “रेशमा और शेरा” थी, जिसमें उन्होंने एक छोटा लेकिन प्रभावशाली किरदार निभाया। इसके बाद, उन्होंने “निशांत”, “मंथन”, “भूमिका” और “गांधी” जैसी फिल्मों में अपने अभिनय की धाक जमाई।
सक्सेसफुल विलेन के रूप में उभरे
अमरीश पुरी ने बॉलीवुड के साथ-साथ हॉलीवुड की फिल्मों में भी काम किया। उन्होंने वहां अपनी हेयरस्टाइल के साथ एक्सपेरिमेंट किया और वह उन्हें इतना पसंद आया कि उन्होंने उसे अपनी असल जिंदगी में भी अपना लिया। उनके विलेन के किरदारों ने हिंदी सिनेमा में एक नई ऊँचाई पर पहुँचाया। उनके किरदार जैसे मिस्टर इंडिया के मोगैंबो, करण अर्जुन के दुर्जन सिंह और दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे के बलदेव सिंह को आज भी लोग याद करते हैं।
असल जिंदगी में अमरीश पुरी
अमरीश पुरी रियल लाइफ में अपने रील लाइफ के किरदारों से बिल्कुल अलग थे। जितना वे फिल्मों में खूंखार दिखाई देते थे, रियल लाइफ में उतने ही सॉफ्ट स्पोकन पर्सन थे। उनका नाम कभी किसी विवाद से नहीं जुड़ा। वे एक बहुत बड़े देशभक्त थे और अपने परिवार से बहुत प्यार करते थे। अमरीश पुरी का नाम कभी किसी से कोई विवाद से नहीं जुड़ा। उनके पास एक शानदार व्यक्तित्व था और वे हमेशा अपने काम को प्राथमिकता देते थे।
करियर की बुलंदियाँ
अमरीश पुरी ने अपने 30 साल के करियर में लगभग 350 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है। वे अपने जमाने के सबसे ज्यादा फीस लेने वाले विलेन थे। उनकी फिल्में जैसे ‘शक्ति’, ‘नगीना’, ‘तहलका’, ‘कोयला’, ‘करण अर्जुन’, ‘विरासत’, ‘गदर: एक प्रेम कथा’, और ‘मृत्युदंड’ ने बॉक्स ऑफिस पर शानदार प्रदर्शन किया। उनके किरदारों में विविधता थी और वे हर किरदार में अपनी अलग छाप छोड़ते थे।
तबस्सुम का यूट्यूब चैनल पर खुलासा
तबस्सुम, जो एक जानी-मानी बॉलीवुड एक्ट्रेस हैं, ने अपने यूट्यूब चैनल पर अमरीश पुरी के बारे में कई दिलचस्प बातें शेयर की हैं। उन्होंने बताया कि कैसे अमरीश पुरी ने अपने किरदारों को जीने के लिए मेहनत की। वे अपने किरदारों में इतना डूब जाते थे कि दर्शक भी उनके किरदारों से प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाते थे। उनकी खासियत थी कि वे हर किरदार को एक नई पहचान देते थे और उसे यादगार बना देते थे।
अमरीश पुरी, जो हिंदी सिनेमा के सबसे सफल खलनायकों में से एक थे, ने अपने जीवन और करियर में कई उपलब्धियाँ हासिल कीं। उनकी फिल्मों और किरदारों ने उन्हें एक अद्वितीय पहचान दिलाई। वे एक ऐसे एक्टर थे जिन्होंने अपने किरदारों को इतनी शिद्दत से निभाया कि वे हमेशा के लिए यादगार बन गए। आज भी उनकी फिल्में और किरदार लोगों के दिलों में जीवित हैं। अमरीश पुरी का योगदान हिंदी सिनेमा में हमेशा याद रखा जाएगा।