जांजगीर चांपा लोकसभा सीट पर भाजपा और कांग्रेस के बीच तीव्र मुकाबला हो रहा है। बसपा भी इस बार महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। इस सीट पर वोटों का बहुत महत्व है। यदि बसपा को अधिक वोट मिलते हैं, तो इससे भाजपा को फायदा हो सकता है, लेकिन अगर बसपा कमजोर पड़ती है, तो वोट बैंक कांग्रेस की तरफ से शिफ्ट हो सकते हैं। इस बार भाजपा ने नए चेहरे के रूप में सरपंच कमलेश जांगड़े को उतारा है, जबकि कांग्रेस ने पूर्व मंत्री शिवकुमार डहेरिया को प्रत्याशी बनाया है।
कांग्रेस ने महालक्ष्मी योजना और संविधान में बदलाव को लेकर मुद्दा उठाया है। उन्होंने दावा किया है कि भाजपा संविधान में बदलाव करने की कोशिश कर रही है और उन्होंने महालक्ष्मी योजना के तहत आर्थिक सहायता भी प्रदान की है। भाजपा ने इसके खिलाफ विश्वासघात किया है और लोगों को इस बार अपनी ओर मोड़ने का प्रस्ताव दिया है।
भाजपा और कांग्रेस ने इस सीट को जीतने के लिए कड़ी मेहनत की है, और उनके नेता ने विभिन्न सभाओं में अपने विचार प्रस्तुत किए हैं। रामनामी समुदाय के भी बहुत वोट हैं और इनका भी महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है। जातिगत समीकरण के दृष्टिकोण से भी, ओबीसी और एससी के साथ जो पार्टी होगी, वह चुनाव जीत सकती है।
इस बार बसपा कमजोर नजर आ रही है, लेकिन इसका फिक्स वोट बैंक है। विधानसभा में भी कांग्रेस और भाजपा के बीच जीत-हार की टक्कर देखने को मिलेगी। इस सीट के लिए कई नेताओं ने पार्टी बदली है और नए चेहरे उतारे गए हैं।
कसदोल, बिलाईगढ़, जांजगीर चांपा, अकलतरा, सक्ती, चंद्रपुर, पामगढ़, और जैजेपुर विधानसभा सीटों पर भी कांग्रेस और भाजपा के बीच तीव्र मुकाबला देखने को मिलेगा। रामनामी समुदाय के करीब एक लाख वोट हैं, और इनका भी योगदान महत्वपूर्ण हो सकता है। जातिगत समीकरण के दृष्टिकोण से, ओबीसी और एससी के साथ जो पार्टी होगी, वह चुनाव जीत सकती है।
भाजपा और कांग्रेस दोनों ही इस सीट के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं, और इस चुनाव में वे अपने नेताओं के प्रचार और विचारों को लोगों तक पहुंचाने में जुटे हैं। यहां भाजपा में कुछ पूर्व कांग्रेस और बसपा के नेता भी शामिल हो गए हैं, जो कि प्रचार कार्यों में भाग ले रहे हैं। कांग्रेस का दावा है कि वे एकजुट होकर चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि भाजपा ने अपने विकास कार्यों को उजागर किया है। इस चुनाव में रामनामी समुदाय के वोट का भी खास महत्व होगा।
इस सीट पर कांग्रेस और भाजपा दोनों ही कड़ी मेहनत कर रहे हैं, और लोगों को अपनी ओर मोड़ने के लिए प्रयासरत हैं। जनता किसे चुनती है, यह आगामी चुनाव में सामने आएगा।