लगातार बिगड़ रही जीवनशैली का असर अब हमारे स्वास्थ्य पर भी स्पष्ट रूप से दिखने लगा है। हाल के वर्षों में दुनियाभर में डायबिटीज की समस्या तेजी से बढ़ रही है। डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जो एक बार हो जाने पर जीवनभर आपके साथ रहती है। हालांकि, कुछ दवाइयों और खानपान में बदलाव करके इसे काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। लेकिन वर्तमान परिवेश में मधुमेह के पीड़ित निरंतर बढ़ते जा रहे हैं, और यह स्थिति चिंताजनक बनती जा रही है।
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Toggleमधुमेह का बढ़ता खतरा
उम्र बढ़ने के साथ लोगों को टाइप 2 डायबिटीज हो रहा है। यह स्थिति खासकर तब देखने को मिलती है जब लोग अनियमित दिनचर्या का पालन करते हैं। अब मधुमेह के लक्षण अपेक्षाकृत कम उम्र में ही देखे जा रहे हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि 30 से 35 वर्ष की आयु से नियमित रूप से मधुमेह की जांच कराना अनिवार्य हो गया है। 40 वर्ष की आयु के बाद तो और सतर्कता बरतनी चाहिए, और हर छह महीने में मधुमेह के स्तर का परीक्षण कराना चाहिए। डायबिटीज को ‘साइलेंट किलर’ कहा जाता है, क्योंकि यह रोग अक्सर अंदर ही अंदर क्षति पहुंचाता है और इसके लक्षण देर से दिखते हैं।
डायबिटीज के लक्षण और खतरे
टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति को समय पर जांच के अभाव में इस बीमारी का पता नहीं चल पाता। डायबिटीज का प्रभाव शरीर के विभिन्न अंगों पर पड़ सकता है, जैसे कि हृदय, गुर्दे और मस्तिष्क। इस रोग के चलते हृदय संबंधी समस्याएं, गुर्दे की विफलता और मस्तिष्क में समस्याएं हो सकती हैं। जब तक समय पर जांच कराई जाए और डायबिटीज का पता चले, तब तक इसकी उचित रोकथाम संभव होती है। कई बार खानपान और दिनचर्या में सामान्य परिवर्तन करके दवाइयों से भी इस रोग को नियंत्रित किया जा सकता है।
नियमित स्वास्थ्य जांच की अहमियत
डायबिटीज की रोकथाम और नियंत्रण के लिए नियमित स्वास्थ्य जांच आवश्यक है। सीबीसी (कंप्लीट ब्लड काउंट) जांच कराना भी महत्वपूर्ण है, ताकि रक्त में हीमोग्लोबिन का स्तर हमेशा ठीक रहे। उम्र बढ़ने के साथ सीबीसी जांच नियमित रूप से कराना चाहिए ताकि किसी भी संभावित समस्या का समय पर पता चल सके।
थायराइड और उसके लक्षण
डायबिटीज के साथ ही एक और महत्वपूर्ण स्वास्थ्य समस्या है थायराइड। थायराइड विशेष रूप से महिलाओं में सामान्य रूप से देखी जाती है। अगर अचानक पसीना आ रहा है और शरीर के वजन में कमी हो रही है, तो यह थायराइड का लक्षण हो सकता है। थायराइड का समय पर उपचार न कराने पर भी शरीर में विभिन्न समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
डायबिटीज में ग्लूकोज नियंत्रण की महत्वता
डायबिटीज के शुरुआती वर्षों में ग्लूकोज को नियंत्रित करने की गुणवत्ता का प्रभाव लंबे समय बाद सामने आता है। कई महत्वपूर्ण अध्ययनों में यह देखा गया है कि जो मरीज अपनी डायबिटीज के शुरुआती वर्षों में ग्लूकोज को ठीक से नियंत्रित नहीं कर पाते हैं, उन्हें कई वर्षों बाद बेहतर नियंत्रण वाले मरीजों की तुलना में हृदय, रक्त वाहिकाओं और अन्य अंगों की जटिलताएं अधिक होती हैं। चाहे बाद में दोनों ने एक जैसा नियंत्रण रखा हो, लेकिन शुरुआती वर्षों में खराब नियंत्रण दीर्घकालिक समस्याओं का कारण बन सकता है।
इस प्रकार, यह स्पष्ट है कि जीवनशैली में बदलाव, नियमित स्वास्थ्य जांच और समय पर उपचार ही डायबिटीज और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से बचने के लिए आवश्यक हैं। उम्र बढ़ने के साथ-साथ स्वास्थ्य जांच और मधुमेह नियंत्रण को लेकर सतर्कता बनाए रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, खानपान में सुधार और नियमित व्यायाम भी इस रोग को नियंत्रित करने में सहायक हो सकते हैं। स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर हम इस महामारी से बच सकते हैं और एक बेहतर और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।