रायपुर – यदि आप अपना घर बनाने की योजना बना रहे हैं, तो आपके लिए खुशखबरी है। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में निर्माण सामग्री की कीमतों में हालिया गिरावट ने घर मालिकों और निर्माण कंपनियों को राहत प्रदान की है। लोहे के दामों में कमी और सीमेंट की स्थिरता ने निर्माण लागत को नियंत्रित रखा है, जबकि अन्य सामग्रियों की कीमतों में भी उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है।
लोहे की कीमतों में महत्वपूर्ण गिरावट
रायपुर में लोहे की कीमतों में भारी गिरावट आई है। वर्तमान में, सरिया (Saria Rate) अपने पांच वर्ष के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है। फैक्ट्रियों में सरिया की कीमत 49,000 रुपये प्रति टन और रिटेल में 53,000 रुपये प्रति टन के आस-पास चल रही है। यह आंकड़ा जुलाई 2019 में 49,000 रुपये प्रति टन के स्तर पर पहुंचा था, जब लोहा बाजार में तेजी का सिलसिला शुरू हुआ था।
एक महीने में सरिया की कीमतों में 6,000 रुपये प्रति टन की गिरावट आई है। वर्ष 2022 के मार्च महीने में सरिया ने अपने सबसे उच्चतम शिखर को छूते हुए 80,000 रुपये प्रति टन का आंकड़ा पार किया था। अब, इस कीमत में गिरावट आने से निर्माण करने वाले लोगों को आर्थिक राहत मिली है। बाजार के जानकारों का कहना है कि आने वाले दिनों में सरिया की कीमतों में और कमी हो सकती है, जो कि निर्माण की लागत को और भी कम कर देगी।
सीमेंट और अन्य निर्माण सामग्री के दाम
वहीं, सीमेंट की कीमतों में स्थिरता बनी हुई है। वर्तमान में सीमेंट के दाम 280 से 300 रुपये प्रति बैग के बीच हैं। यह स्थिरता निर्माण कार्यों को नियंत्रित लागत में रखने में मदद कर रही है। दूसरी ओर, रेत की कीमतों में मामूली बढ़ोतरी देखी जा रही है, जो कि वर्तमान में 19 से 20 रुपये प्रति फुट बिक रही है। ईट की कीमतें भी 7,500 रुपये प्रति हजार की दर से चल रही हैं।
स्टील उद्योग की संकटपूर्ण स्थिति
हालांकि, निर्माण सामग्री की कीमतों में गिरावट की खबरें सुखद हैं, स्टील उद्योग की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। उद्योगपतियों का कहना है कि महंगी बिजली की वजह से उत्पादन लागत में भारी वृद्धि हुई है। वर्तमान में, प्रत्येक स्टील उद्योग को 20 लाख रुपये से लेकर दो करोड़ रुपये तक के अतिरिक्त खर्च का सामना करना पड़ रहा है। इसके चलते कई उद्योगों को संचालन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है और उद्योगों के बंद होने की संभावना भी बढ़ गई है।
उद्योगपतियों का कहना है कि शासन को स्टील उद्योगों को महंगी बिजली दरों से राहत देने के उपाय खोजने चाहिए, ताकि उद्योगों को चलाना संभव हो सके। अन्यथा, वर्तमान सुस्त बाजार की स्थिति के बीच, कई स्टील उद्योग बंद हो सकते हैं, जिससे रोजगार और आर्थिक गतिविधियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
रायपुर में निर्माण सामग्री की कीमतों में कमी से जहां घर मालिकों और निर्माण कंपनियों को राहत मिली है, वहीं स्टील उद्योग महंगी बिजली की मार झेल रहा है। निर्माण सामग्री की कीमतों में गिरावट ने लागत को कम करने में मदद की है, लेकिन स्टील उद्योग की संकटपूर्ण स्थिति एक गंभीर समस्या बन चुकी है। शासन और उद्योगपतियों को मिलकर इस समस्या का समाधान खोजने की आवश्यकता है ताकि निर्माण क्षेत्र और उद्योग दोनों को स्थिरता मिल सके।
आपके निर्माण कार्य को सुचारू रूप से चलाने के लिए और भी जानकारी और सलाह की आवश्यकता हो तो स्थानीय बाजार के विशेषज्ञों और पेशेवरों से संपर्क करना उचित होगा।