Monday, December 23, 2024

भाई-भाभी रिश्ते को मजबूत बनाती बैंगल राखी

- Advertisement -

रायपुर – रक्षाबंधन का त्योहार नजदीक आ रहा है और इसके साथ ही बाजारों में रौनक बढ़ती जा रही है। हर साल की तरह इस साल भी बाजार में नई-नई डिजाइन्स की राखियां आई हैं, जिनमें से बैंगल राखी खास चर्चा में है। बैंगल राखी जोड़ी में आती है, जिसमें एक राखी भाई की कलाई पर और दूसरी भाभी की कलाई पर बांधी जाती है। यह राखी ननंद और भाभी के रिश्ते को भी मजबूत बनाती है।

रायपुर में स्थित खाटू श्याम मंदिर में सामाजिक सेवा संस्था संगिनी महिला मंडल की ओर से दो दिवसीय सावन मेला का आयोजन किया गया। इस मेले में प्रदेशभर से आए लघु महिला उद्यमियों ने अपने उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई है, जिसमें रक्षाबंधन को ध्यान में रखते हुए 70 स्टालों में से 25 से अधिक स्टाल राखियों के लिए समर्पित हैं। इन स्टालों पर पारंपरिक और ट्रेंड के अनुसार बनाई गई राखियां प्रदर्शित की गई हैं।

बैंगल राखी का चलन और उसकी विशेषता

संगिनी महिला मंडल की सुनीता अग्रवाल ने बताया कि बैंगल राखी का चलन बढ़ रहा है। यह राखी जोड़ी में आती है, जिसमें से एक को भाई की कलाई पर और दूसरे को भाभी की कलाई पर बांधा जाता है। इससे ननंद और भाभी के रिश्ते में भी मिठास आती है। इस राखी की डिमांड काफी बढ़ी है, खासकर कस्टमाइज राखियों की। बहने अपने भाइयों के लिए खास राखियां बनवा रही हैं, जिनमें उनके भाई की फोटो या उनसे जुड़ी यादें होती हैं।

कस्टमाइज राखी और उनकी बढ़ती डिमांड

इस बार कस्टमाइज राखी की डिमांड पहले से बढ़ी हुई है। राखी का स्टाल लगाने वाली महिलाओं ने बताया कि बहनें अपने भाई की फोटो या उनकी यादों से जुड़ी राखियां बनवा रही हैं। इसके साथ ही हैंडमेड मौलीधागे पर मोतियों, मोर पंख, और क्रिस्टल से बने डिजाइनर राखियां भी पसंद की जा रही हैं। बच्चों के लिए कार्टून और रंग-बिरंगी राखियां हमेशा की तरह लोकप्रिय हैं। 500 रुपये में एक पूरा सेट, जिसमें आरती की डिजाइनर थाली, तिलक, और मिठाई शामिल है, भी बहुत पसंद किया जा रहा है।

कान्हा जी के परिधान और आभूषण

रक्षाबंधन के बाद कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाएगा। इसके लिए भी खास तैयारियां की जा रही हैं। सावन मेले में महिलाओं ने विभिन्न प्रकार के कान्हा जी के कपड़े और आभूषण लेकर पहुंची हैं। दीपक अवस्थी ने बताया कि उनके पास 70 से लेकर एक हजार रुपये तक के डिजाइनर परिधान और आभूषणों के सेट हैं, जिनमें मुकुट, बाजूबंध, केश, बांसुरी आदि शामिल हैं।

मेले का उद्देश्य और अन्य सामग्री

सावन मेले में 70 से अधिक स्टाल लगाए गए हैं, जिनमें बच्चों से लेकर वरिष्ठ महिला और पुरुषों के परिधान, आभूषण, सौंदर्य सामग्री, सजावटी सामग्री, उपहार, दैनिक उपयोग की वस्तु, और खाद्य उत्पाद के विभिन्न वैरायटी शामिल हैं। आयोजकों ने बताया कि मेले का उद्देश्य लघु उद्यमी महिलाओं को अपने उत्पादों के विक्रय के लिए मंच देना और उन्हें प्रोत्साहित करना है। इससे अर्जित आय से दिव्यांगों को ट्राइसाइकिल प्रदान की जाएगी।

समाजिक जिम्मेदारी और आगे की योजनाएं

संगिनी महिला मंडल ने यह सुनिश्चित किया है कि मेले से होने वाली आय का उपयोग समाजिक कार्यों के लिए किया जाएगा। दिव्यांगों को ट्राइसाइकिल देने के साथ ही, अन्य सामाजिक सेवा कार्यों में भी यह आय लगाई जाएगी। इस मेले का आयोजन हर साल किया जाता है और इससे लघु उद्यमी महिलाओं को अपने उत्पादों के प्रचार-प्रसार और विक्रय का अवसर मिलता है। आयोजक ने बताया कि मेले में लगी स्टालों पर काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है और उम्मीद है कि अगले साल यह मेला और भी भव्य रूप में आयोजित किया जाएगा।

रायपुर के सावन मेले में इस बार राखियों की विशेष प्रदर्शनी ने सभी का ध्यान आकर्षित किया है। भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत बनाने के साथ ही बैंगल राखी ननंद-भाभी के रिश्ते में भी मिठास ला रही है। कस्टमाइज राखियों की बढ़ती डिमांड ने साबित कर दिया है कि राखी का त्योहार समय के साथ-साथ और भी विशेष और अनूठा होता जा रहा है। मेले का उद्देश्य न सिर्फ व्यापार को बढ़ावा देना है, बल्कि समाजिक जिम्मेदारी को भी निभाना है। इस प्रकार के मेले लघु उद्यमी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

रायपुर का सावन मेला न केवल राखियों की खरीदारी के लिए, बल्कि कान्हा जी के परिधान और आभूषणों की भी विशेष प्रदर्शनी के लिए प्रसिद्ध हो गया है। इस मेले में हर उम्र और हर वर्ग के लोगों के लिए कुछ न कुछ खास है, जो उन्हें आकर्षित करता है।

आपकी राय

How Is My Site?

View Results

Loading ... Loading ...
यह भी पढ़े
Advertisements
राशिफल
अन्य खबरे