एक किशोरी के साथ दुष्कर्म करने के आरोपी को अदालत ने 20 साल कैद की सजा सुनाई है। दोषी दिलशाद को 20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। यह मामला टीला मोड़ थाना क्षेत्र का है, जहाँ पर किशोरी को दिलशाद ने फोटो के माध्यम से ब्लैकमेल करके हवस का शिकार बनाया था।
घटना का विवरण और आरोप
विशेष लोक अभियोजक संजीव बखरवा ने बताया कि टीला मोड़ थानाक्षेत्र के एक मोहल्ले में रहने वाली दसवीं कक्षा की छात्रा को दिलशाद नामक युवक ने पहले दोस्ती का झांसा दिया। दिलशाद ने किशोरी की कुछ निजी फोटो खींच लीं और बाद में उन्हें इंटरनेट मीडिया पर वायरल करने की धमकी दी। 10 मार्च 2021 को, दिलशाद ने किशोरी को अपने एक परिचित के घर ले जाकर उसके साथ जबरन दुष्कर्म किया।
दिलशाद ने किशोरी को धमकी दी कि यदि उसने किसी को इस घटना की जानकारी दी, तो वह उसकी फोटो वायरल कर देगा और उसे जान से मार देगा। इस धमकी से डरकर किशोरी ने घटनाक्रम को अपने परिवार के साथ साझा किया। किशोरी के परिजनों ने टीला मोड़ थाने में दिलशाद के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई।
पुलिस की कार्रवाई और अदालत की सुनवाई
पुलिस ने दिलशाद को गिरफ्तार कर लिया और मामले की सुनवाई विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट की अदालत में शुरू हुई। अदालत ने पुख्ता साक्ष्य और गवाहों के आधार पर दिलशाद को 20 साल कैद और 20 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। यह सजा किशोरी को न्याय दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और अन्य मामलों में भी न्याय की उम्मीद को बढ़ावा देती है।
छेड़छाड़ के आरोपी को सजा
इसके साथ ही, किशोरी से छेड़छाड़ के आरोपी को भी सजा सुनाई गई है। विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट की अदालत ने मुरादनगर थाना क्षेत्र के एक मामले में आरोपी राहुल उर्फ नियाल को तीन साल कैद की सजा सुनाई है। राहुल पर पांच हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
मुरादनगर मामले की जानकारी
विशेष लोक अभियोजक उत्कर्ष वत्स के अनुसार, मुरादनगर थानाक्षेत्र में 19 मई 2018 की शाम को एक किशोरी पानी लेने जा रही थी। रास्ते में राहुल ने उसे रोका और अश्लील छेड़छाड़ की। यह घटना किशोरी के लिए मानसिक और शारीरिक पीड़ा का कारण बनी। मामले की जानकारी मिलने के बाद किशोरी के परिजनों ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और राहुल को गिरफ्तार किया गया।
सजा का प्रभाव और न्याय की उम्मीद
इन दोनों मामलों में अदालत द्वारा दी गई सजा ने समाज में अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का संदेश भेजा है। किशोरियों और महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों को लेकर न्यायिक व्यवस्था ने सख्त रुख अपनाया है। इन सजा के निर्णय ने पीड़ितों और उनके परिवारों को न्याय दिलाने की दिशा में एक सकारात्मक संकेत दिया है।
कानूनी प्रावधानों के तहत, दुष्कर्म और छेड़छाड़ के मामलों में न्याय पाने की प्रक्रिया लंबी और चुनौतीपूर्ण हो सकती है, लेकिन इन सजा के निर्णय ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अदालतें गंभीरता से इन मामलों को देखती हैं और अपराधियों को सजा दिलाने के लिए तत्पर रहती हैं।
समाज में सख्ती और जागरूकता की आवश्यकता
इन मामलों से यह भी स्पष्ट होता है कि समाज में दुष्कर्म और छेड़छाड़ जैसे अपराधों को रोकने के लिए जागरूकता और सख्त कानूनी प्रावधानों की आवश्यकता है। किशोरियों और महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों की रोकथाम के लिए समाज के हर स्तर पर प्रयास किए जाने चाहिए।
अधिकारियों और समाज को चाहिए कि वे अपराधियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई के साथ-साथ लोगों में संवेदनशीलता और जागरूकता फैलाने के लिए भी काम करें। इससे न केवल न्याय की उम्मीद को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि समाज में महिलाओं और किशोरियों की सुरक्षा को भी सुनिश्चित किया जा सकेगा।
दिलशाद और राहुल जैसे अपराधियों को दी गई सजा समाज में एक मजबूत संदेश भेजती है कि ऐसे अपराधों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अदालत के इस निर्णय से यह साबित होता है कि न्यायपालिका अपने कर्तव्यों को निभाने के लिए प्रतिबद्ध है और वह पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए तत्पर है। इस प्रकार की सजा समाज में सुरक्षा और न्याय की उम्मीद को बढ़ावा देती है और अपराधियों को कड़ी सजा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।