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Toggleघोटाले का खुलासा
देवास विकास प्राधिकरण में 2.53 करोड़ रुपये के घोटाले का मामला 18 साल बाद उज्जैन लोकायुक्त द्वारा दर्ज किया गया है। इस घोटाले में तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी (CEO) आरएस अगस्थी ने शॉपिंग कॉम्प्लेक्स और प्लॉटों को सस्ते में बेचकर प्राधिकरण को आर्थिक नुकसान पहुंचाया था। इस मामले में आरोपी धनराज, सुनीता और दीपा अग्रवाल पर गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया गया है।
घटना की पृष्ठभूमि
घटना की शुरुआत वर्ष 2005-06 में हुई थी जब तत्कालीन विधायक अंतर सिंह दरबार ने इस मामले की शिकायत की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि तत्कालीन CEO आरएस अगस्थी ने कलेक्टर गाइडलाइन से कम दाम में बीएनपी थाने के पास स्थित विकास प्राधिकरण के शॉपिंग कॉम्प्लेक्स और दो प्लॉटों को भाग ए, बी एवं सी में विभक्त कर सस्ते दामों में बेचा था। इस बिक्री में धनराज पुत्र हीरालाल अग्रवाल, सुनीता पत्नी शरद अग्रवाल और दीपा पत्नी मनीष अग्रवाल शामिल थे। इन संपत्तियों की बिक्री राज्य शासन की मंजूरी के बिना की गई थी, जिससे प्राधिकरण को 2 करोड़ 53 लाख 78 हजार 433 रुपये की आर्थिक हानि हुई।
लोकायुक्त की जांच
शिकायत के बाद मामला लोकायुक्त मुख्यालय भोपाल में दर्ज किया गया था। तकनीकी आधार पर जांच होने के बाद यह मामला पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त उज्जैन अनिल विश्वकर्मा को जांच के लिए सौंपा गया था। निरीक्षक दीपक शेजवार द्वारा की गई जांच में प्रथम दृष्टया दोषी पाए जाने पर तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी आरएस अगस्थी और संपत्ति क्रयकर्ता धनराज अग्रवाल, सुनीता अग्रवाल और दीपा अग्रवाल के विरुद्ध धारा 13(1)सी, 13(2) डी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 एवं धारा 409, 120 भादवि का प्रकरण दर्ज किया गया है।
आरोपियों की भूमिका
तत्कालीन CEO आरएस अगस्थी ने शॉपिंग कॉम्प्लेक्स और प्लॉटों को कम दामों में बेचने के लिए षड्यंत्र रचा था। उन्होंने बिना राज्य शासन की मंजूरी के इन संपत्तियों को बेचकर प्राधिकरण को आर्थिक नुकसान पहुंचाया। इस षड्यंत्र में धनराज अग्रवाल, सुनीता अग्रवाल और दीपा अग्रवाल ने भी सहयोग किया। इन संपत्तियों को सस्ते दामों में खरीदकर उन्होंने प्राधिकरण को हानि पहुंचाई।
गंभीर धाराओं में मामला दर्ज
जांच के बाद आरोपियों के विरुद्ध धारा 13(1)सी, 13(2) डी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 एवं धारा 409, 120 भादवि का प्रकरण दर्ज किया गया है। यह धाराएं गंभीर अपराधों की श्रेणी में आती हैं और इन धाराओं के तहत दोषी पाए जाने पर कठोर सजा का प्रावधान है।
लोकायुक्त पुलिस की कार्रवाई
लोकायुक्त पुलिस उज्जैन के निरीक्षक दीपक शेजवार ने बताया कि यह मामला वर्षों से लंबित था और शिकायत के करीब 18 साल बाद इसे दर्ज किया गया है। उन्होंने बताया कि जांच में सभी आरोपियों के विरुद्ध पर्याप्त सबूत मिले हैं और आगे की कार्रवाई की जा रही है।
न्यायिक प्रक्रिया
अब जब यह मामला उज्जैन लोकायुक्त द्वारा दर्ज किया गया है, तो न्यायिक प्रक्रिया शुरू होगी। आरोपियों को न्यायालय में पेश किया जाएगा और उन पर लगे आरोपों की जांच की जाएगी। न्यायिक प्रक्रिया के दौरान सभी पक्षों की सुनवाई की जाएगी और तत्पश्चात न्यायालय निर्णय करेगा कि आरोपियों को दोषी ठहराया जाए या नहीं।
मामले का महत्व
यह मामला न केवल देवास विकास प्राधिकरण के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे यह भी स्पष्ट होता है कि भ्रष्टाचार के मामलों में कितनी देर से भी न्याय हो सकता है। यह मामला उदाहरण है कि भ्रष्टाचार की शिकायतों को गंभीरता से लिया जाता है और दोषियों को सजा दिलाने के लिए न्यायिक प्रक्रिया चलती रहती है।
सरकारी प्रणाली में सुधार
इस मामले से यह भी स्पष्ट होता है कि सरकारी प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है। राज्य शासन को सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों और सभी सरकारी कार्य पारदर्शी ढंग से हों। इसके लिए सरकार को कड़ी निगरानी रखनी चाहिए और भ्रष्टाचार के मामलों में सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
समाज के लिए संदेश
यह मामला समाज के लिए भी एक संदेश है कि भ्रष्टाचार को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए। आम जनता को भी अपनी आवाज उठानी चाहिए और भ्रष्टाचार के खिलाफ शिकायत करनी चाहिए। इस मामले से यह भी स्पष्ट होता है कि न्याय की प्रक्रिया में देर हो सकती है, लेकिन न्याय मिलता जरूर है।
देवास विकास प्राधिकरण में 2.53 करोड़ रुपये के घोटाले का मामला 18 साल बाद उज्जैन लोकायुक्त द्वारा दर्ज किया गया है। इस मामले में तत्कालीन CEO आरएस अगस्थी और संपत्ति क्रयकर्ता धनराज अग्रवाल, सुनीता अग्रवाल और दीपा अग्रवाल पर गंभीर धाराओं में मामला दर्ज हुआ है। न्यायिक प्रक्रिया शुरू हो गई है और आरोपियों को न्यायालय में पेश किया जाएगा। यह मामला न केवल देवास विकास प्राधिकरण के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे यह भी स्पष्ट होता है कि भ्रष्टाचार के मामलों में न्याय की प्रक्रिया चलती रहती है और दोषियों को सजा दिलाने के लिए प्रयास किए जाते हैं।