उत्तर प्रदेश की राजनीति में सोमवार को एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम देखने को मिला जब सुभासपा (सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी) के अध्यक्ष और पंचायती राज मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की आजमगढ़ मंडल की बैठक में अनुपस्थित रहकर उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या से मुलाकात की। यह मुलाकात राजधानी लखनऊ में हुई और इसके बाद से प्रदेश की राजनीति में एक नई हलचल मच गई
आजमगढ़ मंडल की समीक्षा बैठक
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को आजमगढ़ मंडल के जनप्रतिनिधियों के साथ लोकसभा चुनाव परिणामों की समीक्षा के लिए बैठक बुलाई थी। यह बैठक आगामी चुनावों की तैयारियों और परिणामों की समीक्षा के उद्देश्य से आयोजित की गई थी। इस महत्वपूर्ण बैठक में ओम प्रकाश राजभर की अनुपस्थिति ने राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना दिया।
राजभर की अनुपस्थिति
राजभर का मुख्यमंत्री की बैठक में ना जाना और इसके बजाय लखनऊ में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या से मिलना, इसे राजनीतिक हलकों में एक महत्वपूर्ण संकेत माना जा रहा है। राजभर और मौर्या की यह मुलाकात लगभग आधे घंटे तक चली और इसके तुरंत बाद इसकी फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। हालांकि, दोनों नेताओं के बीच हुई बातचीत के मुद्दे को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है।
भाजपा के भीतर खींचतान
राजभर की केशव मौर्या से मुलाकात को भाजपा के भीतर चल रही खींचतान और संभावित लामबंदी से जोड़कर देखा जा रहा है। भाजपा के कई वरिष्ठ नेता और राजनीतिक विश्लेषक इस मुलाकात को पार्टी के भीतर किसी बड़े राजनीतिक फेरबदल के संकेत के रूप में देख रहे हैं। राजभर की यह कदम पार्टी के भीतर उनके असंतोष या किसी रणनीतिक चाल का हिस्सा हो सकता है।
केशव प्रसाद मौर्या की राजभवन में मुलाकात
उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या ने सोमवार को राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र से भी शिष्टाचार मुलाकात की। इस मुलाकात में उन्होंने राज्यपाल से विभिन्न विषयों पर चर्चा की। कलराज मिश्र, जो उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं, बीते दो दिनों से यूपी के दौरे पर हैं। मिश्र का यूपी की राजनीति में लम्बा अनुभव रहा है और वे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और प्रदेश तथा केन्द्र सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं।
राजनीतिक अटकलें
राजभर और मौर्या की मुलाकात के बाद राजनीतिक अटकलों का बाजार गर्म हो गया है। कई विश्लेषकों का मानना है कि यह मुलाकात आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए किसी रणनीतिक गठबंधन का हिस्सा हो सकती है। इसके साथ ही यह भी माना जा रहा है कि भाजपा के भीतर कुछ गुटों के बीच बढ़ती खींचतान का यह नतीजा हो सकता है।
संभावित प्रभाव
यह घटनाक्रम आने वाले समय में उत्तर प्रदेश की राजनीति पर क्या प्रभाव डालेगा, यह तो वक्त ही बताएगा। लेकिन फिलहाल यह स्पष्ट है कि राजभर और मौर्या की मुलाकात ने प्रदेश की राजनीतिक धारा में एक नई चर्चा को जन्म दिया है। इसके अलावा, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की समीक्षा बैठक में राजभर की अनुपस्थिति ने भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या यह महज एक संयोग था या इसके पीछे कोई गहरी रणनीति थी, यह अभी साफ नहीं हो पाया है।
अन्य महत्वपूर्ण बैठकें
राज्यपाल कलराज मिश्र की उपस्थिति में हुई विभिन्न बैठकों ने भी राजनीतिक महत्त्व को बढ़ा दिया है। मिश्र का उत्तर प्रदेश में आना और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से मिलना, इसे भी आगामी चुनावी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
उत्तर प्रदेश की राजनीति में हर घटना का अपना महत्व होता है और ऐसी छोटी-बड़ी घटनाएं प्रदेश की राजनीति की दिशा तय करती हैं। ओम प्रकाश राजभर और केशव प्रसाद मौर्या की मुलाकात ने यह साबित कर दिया है कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में कुछ भी संभव है और हर कदम रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हो सकता है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह मुलाकात किस दिशा में जाती है और इसका प्रदेश की राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ता है।