चांपा के बहेराडीह गांव की महिलाओं ने पिछले सात वर्षों से राखी त्यौहार के मौके पर एक अनूठा कारोबार शुरू किया है। वे कृषि अवशेषों से रंग-बिरंगी हर्बल राखियां बना रही हैं, जो न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद हैं, बल्कि उनके लिए एक महत्वपूर्ण आय स्रोत भी साबित हो रही हैं। यह अभिनव पहल बिहान समूह की महिलाओं द्वारा की जा रही है, जो इस समय बड़े उत्साह और मेहनत के साथ इस काम में जुटी हैं।
बिहान समूह की महिला स्व-सहायता समूह की सफलता
गंगे मईय्या महिला स्व-सहायता समूह, जो बहेराडीह गांव में स्थित है, पिछले सात वर्षों से राखी निर्माण में सक्रिय है। समूह की अध्यक्ष लक्ष्मीन यादव और सचिव पुष्पा यादव ने बताया कि वे बलौदा ब्लॉक के कुरदा कलस्टर के ग्राम बहेराडीह में विभिन्न आजीविका गतिविधियों को संचालित कर रही हैं। उनका कहना है कि इस समय वे प्रमुख रूप से हर्बल राखियों का निर्माण कर रही हैं, जिससे उन्हें अच्छी आमदनी हो रही है।
अलग-अलग प्रकार के कृषि अवशेषों का उपयोग
किसान स्कूल में महिलाओं द्वारा रंग-बिरंगी हर्बल राखियां बनाई जा रही हैं। इसमें वे विभिन्न कृषि अवशेषों का उपयोग करती हैं, जैसे कि केले का रेशा, लाल भाजी और चेंच भाजी के रेशे, साथ ही धान, गेहूं और चावल के दानों का भी उपयोग किया जाता है। इन अवशेषों को बारीक करके और रंगवाकर राखियों का रूप दिया जाता है। इस प्रकार की राखियां न केवल सुंदर होती हैं, बल्कि पर्यावरण के लिए भी अनुकूल होती हैं।
खेती प्राथमिकता, राखी निर्माण समय की बात
समूह की महिलाओं ने बताया कि खेती उनका मुख्य कार्य है, और इसके बाद वे राखी निर्माण का काम करती हैं। वे सुबह, दोपहर और शाम के समय राखी बनाने में जुटी रहती हैं। इस काम में उनके बच्चे भी बड़ी खुशी से भाग लेते हैं। यह दिखाता है कि यह कार्य केवल महिलाओं तक ही सीमित नहीं है, बल्कि पूरे परिवार का सहयोग प्राप्त है।
प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को भेजेंगी राखी
इस वर्ष, महिलाओं ने तय किया है कि वे अपने बनाए हुए हर्बल राखियों को डाक के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और स्थानीय प्रशासन को भेजेंगी। यह न केवल उनकी मेहनत और सृजनशीलता को मान्यता देने का तरीका है, बल्कि यह दर्शाता है कि वे अपनी कला और मेहनत को राष्ट्र की ओर प्रस्तुत करने के लिए तैयार हैं।
समुदाय की पहल और समर्थन
बिहान समूह की यह पहल न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी सकारात्मक प्रभाव डाल रही है। कृषि अवशेषों का उपयोग करके राखियां बनाना न केवल कचरे की समस्या को कम करता है, बल्कि एक पारंपरिक त्यौहार को भी एक नया रूप और अर्थ प्रदान करता है। यह काम स्थानीय समुदाय के लिए एक प्रेरणा बन गया है और अन्य गांवों और क्षेत्रों में भी इस तरह की पहल की संभावनाओं को जन्म देता है।
स्थानीय प्रशासन की भूमिका
स्थानीय प्रशासन और जिला अधिकारियों को इस प्रकार की सामुदायिक पहलों का समर्थन करना चाहिए, ताकि वे और भी सशक्त हो सकें और अपने कार्य को बड़े पैमाने पर आगे बढ़ा सकें। इस पहल को बढ़ावा देने से न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को फायदा होगा, बल्कि यह क्षेत्रीय सांस्कृतिक धरोहर और पारंपरिक कलाओं के संरक्षण में भी मददगार साबित होगा।
भविष्य की योजनाएं और उम्मीदें
समूह की महिलाएं भविष्य में अपने हर्बल राखियों की मांग को बढ़ाने के लिए कई योजनाएं बना रही हैं। वे न केवल त्यौहार के मौसम में, बल्कि पूरे साल भर अपने उत्पाद को उपलब्ध कराने की दिशा में काम कर रही हैं। इसके साथ ही, वे नई डिज़ाइन और रंग संयोजन पर भी काम कर रही हैं, ताकि वे अपने ग्राहकों को नए और आकर्षक विकल्प प्रदान कर सकें।
इस प्रकार, बहेराडीह गांव की महिलाएं अपने मेहनत और सृजनशीलता के माध्यम से न केवल अपने जीवन की गुणवत्ता को सुधार रही हैं, बल्कि पर्यावरणीय मुद्दों के समाधान में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। उनका यह प्रयास न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी एक प्रेरणा का स्रोत बन सकता है।