नई दिल्ली, 22 जुलाई 2024: उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों के कांवड़ यात्रा रूट पर दुकानदारों को नेमप्लेट लगाना अनिवार्य किए जाने के फैसले को लेकर एक नई बहस छिड़ गई है। इस विवाद के बीच, योग गुरु रामदेव ने बीजेपी सरकार के इस फैसले का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि अगर उन्हें अपनी पहचान बताने में कोई आपत्ति नहीं है, तो फिर अन्य लोगों को भी ऐसा ही करना चाहिए।
रामदेव का समर्थन और बयान
रामदेव ने रविवार को इस मुद्दे पर बयान देते हुए कहा, “हर किसी को अपने नाम पर गर्व होना चाहिए। नाम छिपाने की कोई जरूरत नहीं है। अगर हमारे काम में शुद्धता है, तो यह मायने नहीं रखता कि हम हिंदू हैं या मुसलमान।” उन्होंने यह भी कहा कि अगर रामदेव को अपनी पहचान बताने में कोई समस्या नहीं है, तो फिर रहमान को क्या दिक्कत हो सकती है। रामदेव के इस बयान ने इस मुद्दे पर एक नया मोड़ दिया है और उनके समर्थन ने बीजेपी सरकार के फैसले को बल प्रदान किया है।
नेमप्लेट लगाने का आदेश
उत्तराखंड और यूपी सरकार के इस आदेश के बाद, उज्जैन नगर निगम ने भी दुकानदारों से नेमप्लेट लगाने का निर्देश जारी किया है। उज्जैन के मेयर मुकेश तटवाल ने कहा कि इस आदेश का उल्लंघन करने पर पहले 2 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। यदि दुकानदार फिर भी नियमों का पालन नहीं करते हैं, तो उन्हें 5 हजार रुपये का जुर्माना भुगतना पड़ेगा। तटवाल ने इस फैसले को धार्मिक नगरी उज्जैन की श्रद्धालुओं की सुविधा से जोड़ते हुए कहा, “उज्जैन एक धार्मिक नगरी है जहां श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं। उन्हें यह जानने का अधिकार है कि वे किस दुकानदार से सेवा ले रहे हैं। यदि किसी ग्राहक के साथ धोखा होता है, तो उसे उस दुकानदार के बारे में पता होना चाहिए ताकि वह शिकायत कर सके।”
विपक्षी दलों की प्रतिक्रियाएं
इस आदेश को लेकर विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि राजनीतिक दल देश को बांटने की कोशिश कर रहे हैं और मुसलमानों के प्रति नफरत फैला रहे हैं। उन्होंने इस फैसले को देश की एकता और अखंडता के खिलाफ बताया।
सीपीआई (एम) की नेता बृंदा करात ने भी योगी सरकार पर आरोप लगाया है कि वह संविधान के खिलाफ काम कर रही है और एक पूरे समुदाय पर अत्याचार कर रही है। करात ने कहा, “उत्तर प्रदेश सरकार समाज को बांटने की कोशिश में लगी है, जैसा कि जर्मनी में नाजी किया करते थे। मैं इसकी निंदा करती हूँ।”
भाजपा का बचाव
इस बीच, पश्चिम बंगाल में भाजपा के अध्यक्ष सुकांता मजूमदार ने कहा कि इसी तरह के नोटिफिकेशन मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव की सरकार के दौरान भी जारी किए गए थे। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्षी दल राजनीतिक लाभ के लिए इस मुद्दे को तूल दे रहे हैं और इसे सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं।
आदेश के संभावित प्रभाव
कांवड़ यात्रा के दौरान दुकानदारों द्वारा नेमप्लेट लगाने के आदेश का प्रभाव कई दृष्टिकोणों से देखा जा सकता है। एक ओर, यह सुनिश्चित कर सकता है कि दुकानदार अपनी पहचान और प्रतिष्ठा को सामने रखकर सेवा प्रदान करें, जिससे ग्राहकों को धोखाधड़ी से बचाया जा सके। दूसरी ओर, यह आदेश कुछ लोगों के लिए पहचान की समस्या उत्पन्न कर सकता है और सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काने का कारण बन सकता है।
कांवड़ रूट पर नेमप्लेट लगाने के आदेश के बाद सियासी विवाद और बहस का माहौल गर्म है। योग गुरु रामदेव का समर्थन इस मुद्दे को और भी चर्चा में लाता है, जबकि विपक्षी दलों की आलोचनाएं इस फैसले को सांप्रदायिक और संविधान विरोधी बताती हैं। भविष्य में यह देखना होगा कि यह आदेश किस प्रकार के सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव डालता है और क्या यह व्यवस्था लागू करने में सफल हो पाता है।