Monday, December 23, 2024

सुप्रीम कोर्ट में अंधविश्वास और जादू-टोना खत्म करने की याचिका दायर

- Advertisement -

याचिका का सार

सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका में केंद्र और राज्य सरकारों से अंधविश्वास और जादू-टोने जैसी अवैज्ञानिक प्रथाओं को खत्म करने के लिए सख्त कानून बनाने की अपील की गई है। याचिकाकर्ता अधिवक्ता अश्विनी कुमार ने संविधान के अनुच्छेद 51ए के तहत वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानवतावाद और सुधार की भावना को प्रोत्साहित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने की मांग की है।

याचिका का विस्तार

याचिका में समाज में व्याप्त अंधविश्वास और जादू-टोने जैसी प्रथाओं को समाप्त करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों से उचित कदम उठाने का निर्देश देने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि ऐसी प्रथाएं समुदाय पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं और फर्जी व्यक्तियों द्वारा निर्दोष नागरिकों के शोषण को रोकने के लिए एक सख्त कानून आवश्यक है।

संविधान के अनुरूप कार्रवाई

अधिवक्ता अश्विनी कुमार द्वारा दायर याचिका में संविधान के अनुच्छेद 51ए की भावना के अनुरूप नागरिकों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानवतावाद और सुधार की भावना विकसित करने के लिए केंद्र और राज्यों को कदम उठाने का निर्देश देने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि अनुच्छेद 51ए मौलिक कर्तव्यों से संबंधित है और इसके तहत जनहित याचिका के रूप में यह रिट याचिका दायर की गई है, जिसमें संविधान के अनुच्छेद 14, 21, 25 के तहत मिले मौलिक अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए अंधविश्वास और जादू-टोना को नियंत्रित करने के लिए उचित कदम उठाने की अपील की गई है।

तर्कहीन विचारों की समस्या

याचिका में कहा गया है कि समाज में मौजूद तर्कहीन विचारों की समस्या से निपटने के लिए एक सख्त अंधविश्वास और जादू-टोना विरोधी कानून की तुरंत जरूरत है। हालांकि, केवल कानून के बल पर इन कुप्रथाओं को खत्म नहीं किया जा सकता है। इसके लिए मानसिक परिवर्तन आवश्यक है। इस सामाजिक मुद्दे से निपटने के लिए कानून लाने का मतलब केवल आधी लड़ाई जीतना होगा।

जागरूकता अभियान की आवश्यकता

याचिका के अनुसार, ‘सूचना अभियानों के जरिए और समुदाय/धार्मिक नेताओं को अभियान में शामिल करके इस तरह की कुप्रथाओं को दूर करने के लिए लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने की जरूरत होगी।’ इसमें कहा गया है कि कुछ अंधविश्वासी प्रथाएं, जो क्रूर, अमानवीय और शोषणकारी हैं, उनसे निपटने के लिए विशेष रूप से कानून बनाने की आवश्यकता है। इसमें यह भी आरोप लगाया गया है कि कई व्यक्ति और संगठन अंधविश्वास और जादू-टोने का उपयोग करके सामूहिक धर्मांतरण कर रहे हैं।

मानसिक परिवर्तन की आवश्यकता

अधिवक्ता अश्विनी कुमार का कहना है कि समाज में तर्कहीन विचारों और अंधविश्वास को खत्म करने के लिए केवल कानून बनाना पर्याप्त नहीं होगा। इसके लिए मानसिक परिवर्तन और जागरूकता की आवश्यकता है। समाज के विभिन्न वर्गों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण और मानवतावाद को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष अभियान चलाने की जरूरत होगी। इसके लिए सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों को मिलकर काम करना होगा और सामूहिक प्रयासों से इस समस्या का समाधान निकालना होगा।

अंधविश्वास के खिलाफ सख्त कानून की मांग

याचिका में कहा गया है कि कुछ अंधविश्वासी प्रथाएं बेहद क्रूर और अमानवीय होती हैं, जिनसे निपटने के लिए विशेष कानून की आवश्यकता है। इसमें यह भी आरोप लगाया गया है कि कई व्यक्ति और संगठन अंधविश्वास और जादू-टोने का उपयोग करके सामूहिक धर्मांतरण कर रहे हैं। यह समाज के कमजोर वर्गों के शोषण का एक प्रमुख माध्यम बन चुका है, जिसे रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है।

सरकार की जिम्मेदारी

याचिका में यह भी कहा गया है कि सरकार की जिम्मेदारी है कि वह समाज में वैज्ञानिक दृष्टिकोण और सुधार की भावना को प्रोत्साहित करे। इसके लिए केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर काम करना होगा और संविधान के अनुच्छेद 51ए की भावना के अनुरूप नागरिकों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानवतावाद और सुधार की भावना विकसित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने होंगे।

आपकी राय

How Is My Site?

View Results

Loading ... Loading ...
यह भी पढ़े
Advertisements
राशिफल
अन्य खबरे