भारतीय सिनेमा के स्वर्णिम दिनों में, एक ऐसी अदाकारा थीं जिनकी आंखों ने उन्हें चारों ओर से पहचान बना दी थी। रामेश्वरी, जिनका पूरा नाम तल्लूरी रामेश्वरी था, वे आंध्र प्रदेश के रहने वाली थीं और उनकी मातृभाषा तेलुगु थी। उनका जन्म 1958 में हुआ था।
रामेश्वरी ने सिनेमा की दुनिया में अपनी पहली कदम रजनीकांत के साथ तेलुगु फिल्म ‘श्री राम जाने’ के साथ रखा था। इसके बाद उन्होंने कई और तेलुगु फिल्मों में काम किया, जहां उनकी खूबसूरत एक्टिंग की तारीफें बार-बार होती थी।
हिंदी सिनेमा में उनका प्रवेश 1977 में हुआ, जब उन्हें राजश्री बैनर की फिल्म ‘दुल्हन वही जो पिया मन भाए’ में मुख्य भूमिका मिली। यह फिल्म उनके लिए टर्निंग प्वाइंट साबित हुई, जिसने उन्हें स्टारडम की ऊंचाइयों तक ले जाने में मदद की। इसके बाद उन्होंने ‘आशा’, ‘सीता मां लक्ष्मी’, ‘निजाम’, ‘बंटी और बबली’ जैसी कई फिल्मों में भी अपना अदा कायम रखा।
रामेश्वरी की एक खास बात उनकी खूबसूरती और उनकी आंखों में छुपी कहानी है। उनकी आंखों ने हर बार उन्हें अलग बनाया, और फिल्म इंडस्ट्री में उन्हें एक अनूठा स्थान दिया।
फिल्मी सफर में एक दौर ऐसा भी आया जब रामेश्वरी को एक हादसे में गहरी चोट आई थी, जब उन्हें फिल्म ‘सुनैना’ के एक सीन के दौरान घोड़े की कली चोट लगी थी। इसके बावजूद उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में अपना स्थान बनाए रखा और अपनी अदाकारी से लोगों का दिल जीता।
वर्तमान में रामेश्वरी ने फिल्मों से दूरी बढ़ाकर अपना व्यापार संभाल रखा है, लेकिन उनकी फिल्मों में चमक और आत्मा अभी भी उसी तरह हैं। उनके अद्वितीय रंगीन फिल्मी सफर ने उन्हें सिनेमा जगत में स्थान दिलाया है, जो आज भी याद किया जाता है।