केरल हाई कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है, जिसमें दो टीवी पत्रकारों को बड़ी राहत दी गई है। इन पत्रकारों के खिलाफ शुरू किए गए आपराधिक मुकदमे को रद्द कर दिया गया है। यह मामला सनसनीखेज सौर घोटाले से जुड़ा हुआ था, जिसमें पत्रकारों ने एक गवाह का स्टिंग ऑपरेशन किया था। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि स्वस्थ लोकतंत्र के लिए चौथा खंभा यानी मीडिया का होना जरूरी है और उस पर इस प्रकार के केस नहीं चलाए जा सकते।
मीडिया और लोकतंत्र
जस्टिस पीवी कुन्हिकृष्णन ने अपने फैसले में कहा कि स्वस्थ लोकतंत्र के लिए मीडिया एक आवश्यक तत्व है। मीडिया का काम जनता तक सही सूचनाएं पहुंचाना है, और इसके लिए उसे कभी-कभी कानूनी सीमाओं को धुंधला करना पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि सरकारों के कामकाज पर रिपोर्टिंग करना या उसका स्टिंग ऑपरेशन करना प्रेस का कर्तव्य है, और इसमें बाधा उत्पन्न नहीं की जानी चाहिए।
मीडिया की भूमिका
जस्टिस कुन्हिकृष्णन ने बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार कहा कि स्वस्थ लोकतंत्र के लिए चौथा स्तंभ आवश्यक है। यह सुनिश्चित करता है कि सत्ता का दुरुपयोग न हो और नागरिकों को लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की अच्छी जानकारी हो और वे उसमें शामिल हो सकें। हालांकि, मीडिया द्वारा किए गए स्टिंग ऑपरेशन और अन्य गतिविधियां कानूनी रूप से सामान्यतः अनुमत नहीं हो सकतीं, लेकिन अगर वे सच्चाई का पता लगाने और उसे जनता तक पहुंचाने के उद्देश्य से किए गए हैं, तो उन्हें अभियोजन से छूट दी जा सकती है।
केस का विश्लेषण
इस मामले में, दोनों पत्रकारों ने सौर घोटाले के एक गवाह का स्टिंग ऑपरेशन किया था, जो उस समय जेल में था। इस वजह से पत्रकारों पर केरल कारागार और सुधार सेवा (प्रबंधन) अधिनियम 2010 की धारा 86 और 87 के उल्लंघन का आरोप लगाया गया था। पत्रकारों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर आपराधिक मुकदमे से राहत की गुहार लगाई थी। कोर्ट ने उनकी याचिका को स्वीकार करते हुए कहा कि मीडिया को अपने कर्तव्यों का पालन करने में स्वतंत्रता होनी चाहिए और उनके खिलाफ शुरू किए गए आपराधिक मुकदमे को रद्द कर दिया।
केरल हाई कोर्ट का यह निर्णय मीडिया की स्वतंत्रता और उसकी भूमिका को मान्यता देता है। यह निर्णय इस बात पर जोर देता है कि स्वस्थ लोकतंत्र के लिए चौथा खंभा यानी मीडिया का होना आवश्यक है। मीडिया को अपने कर्तव्यों का पालन करते समय कानूनी बाधाओं का सामना नहीं करना चाहिए, खासकर जब वह सच्चाई का पता लगाने और उसे जनता तक पहुंचाने के उद्देश्य से कार्य कर रही हो। यह फैसला न केवल पत्रकारिता की स्वतंत्रता की पुष्टि करता है, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों को भी मजबूत करता है।