छत्तीसगढ़ में मैन्यूफैक्चरिंग क्लस्टर खोलने से राज्य के शिल्पियों, उद्यमियों, और कारोबारियों को बड़ा लाभ हो सकता है। इससे नई नौकरियों के अवसर भी पैदा होंगे। केंद्रीय वित्त आयोग ने हाल ही में छत्तीसगढ़ के दौरे के दौरान राज्य सरकार को इस दिशा में ध्यान आकर्षित कराया था।
विस्तार:
छत्तीसगढ़ में मैन्यूफैक्चरिंग क्लस्टर की स्थापना से राज्य के शिल्पियों, उद्यमियों और कारोबारियों को बड़े पैमाने पर मदद मिल सकती है। इसके साथ ही नई नौकरियों के अवसर भी बढ़ सकते हैं। केंद्रीय वित्त आयोग ने अपने हालिया दौरे के दौरान राज्य सरकार को इस दिशा में काम करने का सुझाव दिया था।
प्रदेश में मैन्यूफैक्चरिंग क्लस्टर को बढ़ावा देने के लिए कई सरकारी छूट और योजनाएं मौजूद हैं, लेकिन एक समर्पित क्लस्टर की अनुपस्थिति के कारण राज्य को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। नए बजट से उम्मीद है कि सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठाएगी, जिससे छत्तीसगढ़ में नई संभावनाएं जन्म लेंगी।
मैन्यूफैक्चरिंग क्लस्टर की आवश्यकता:
राज्य में मैन्यूफैक्चरिंग क्लस्टर की आवश्यकता को देखते हुए, केंद्र और राज्य सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं का संचालन किया जा रहा है, जिसमें ब्याज अनुदान और सब्सिडी जैसी कई सुविधाएं शामिल हैं। हालांकि, अभी तक सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों (एमएसएमई) के लिए कोई विशेष स्थान निर्धारित नहीं हुआ है, जहां एक साथ छोटे उद्योगों और कारखानों की स्थापना हो सके।
विशेषज्ञों का कहना है कि केंद्र सरकार आम बजट में मैन्यूफैक्चरिंग क्लस्टर बनाने की बात कर सकती है। छत्तीसगढ़ के हस्तशिल्प, बुनकर-हथकरघा की मांग विदेशों में भी है। ऐसे में बस्तर, जशपुर आदि क्षेत्रों के उद्यमियों को इस क्लस्टर से बड़ा लाभ मिल सकता है। इसके अलावा, प्रदेश के विभिन्न जिलों में कई मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट हैं, जिन्हें एक स्थान पर जमीन और सुविधाओं की जरूरत है। अधोसंरचना विकास के साथ-साथ केंद्रीय मदद से यह प्रोजेक्ट प्रदेश के लघु एवं सूक्ष्म उद्यमियों के लिए मददगार साबित हो सकता है।
इंटीग्रेटेड मैन्यूफैक्चरिंग क्लस्टर का मॉडल:
इंटीग्रेटेड मैन्यूफैक्चरिंग क्लस्टर (आइएमसी) का प्रावधान बिहार में किया गया है। अमृतसर-कोलकाता औद्योगिक कारीडोर के पास 10 वर्ग किमी. में विकसित होने वाले इस प्रोजेक्ट को विस्तार करने का निर्णय केंद्र और राज्य सरकार ने लिया था। इसका मकसद औद्योगिक और व्यापारिक गतिविधियों में तेजी लाना था।
छत्तीसगढ़ में सूक्ष्म और लघु उद्योगों की स्थिति:
छत्तीसगढ़ में खादी और ग्रामोद्योग बोर्ड के उत्पादन केंद्र कुंवरगढ़, सारागांव, मैनपुर, गरियाबंद, भगतदेवरी, तिफरा बिलासपुर, हरदी बाजार और देवराबीजा में संचालित हैं। वित्तीय वर्ष 2023-24 में प्रदेश में कोसा उत्पादन में एक लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला। सूक्ष्म और लघु उद्योगों की प्रदेश में 10 हजार से अधिक इकाइयां हैं। प्लास्टिक के क्षेत्र में रायपुर के उरला, भनपुरी में बड़ा कारोबार है, लेकिन यह अलग-अलग स्थानों पर विस्तारित है। रायगढ़, कोरबा, दुर्ग-भिलाई, रायपुर, और मंदिर हसौद में स्टील सेक्टर के आश्रित उद्योग कई छोटी यूनिटों में मैन्यूफैक्चरिंग कर रहे हैं।
मैन्यूफैक्चरिंग क्लस्टर की संभावनाएं:
स्टील सेक्टर के आश्रित उद्योग, हथकरघा-बुनकर, कपड़ा, हर्बल उत्पाद, खाद्य प्रसंस्करण, खिलौने, ई-व्हीकल की जरूरतों के सामान, प्लास्टिक सेक्टर, स्टेशनरी, फर्नीचर आदि क्षेत्रों में मैन्यूफैक्चरिंग क्लस्टर की बड़ी संभावनाएं हैं।
असफल प्रोजेक्ट का उदाहरण:
डॉ. रमन सिंह के कार्यकाल में नवा रायपुर में इलेक्ट्रॉनिक मैन्यूफैक्चरिंग क्लस्टर का प्रस्ताव तैयार किया गया था। 70 एकड़ क्षेत्रफल में विस्तारित इस प्रोजेक्ट में 50 से अधिक उद्योगों की स्थापना का लक्ष्य रखा गया था, जिसमें 5000 से अधिक लोगों को रोजगार मिलता। जनवरी 2016 में राज्य के इस प्रस्ताव को केंद्र ने मंजूरी दी थी, लेकिन यह प्रोजेक्ट सफल नहीं हो सका। यहां इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के निर्माण के साथ-साथ सीसीटीवी, कैमरा, एलईडी, कंप्यूटर से संबंधित उद्योगों की स्थापना प्रस्तावित थी। कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार ने भी इस क्लस्टर पर विशेष कार्य नहीं किया। सूत्रों के मुताबिक, जमीन आरक्षित होने के बाद यहां उद्योग नहीं लग सके। सिंगल विंडो सिस्टम अप्रभावी होने की वजह से भी उद्योगों ने दिलचस्पी नहीं दिखाई।
विशेषज्ञ की राय:
छत्तीसगढ़ स्टील-रि रोलर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष मनोज अग्रवाल ने कहा, “छत्तीसगढ़ में मैन्यूफैक्चरिंग क्लस्टर की स्थापना होने से सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों को बड़ी मदद मिलेगी। केंद्र और राज्य सरकार को मिलकर प्रस्ताव तैयार करना चाहिए। इससे कोर सेक्टर के उद्योगों को भी फायदा होगा।”
छत्तीसगढ़ में मैन्यूफैक्चरिंग क्लस्टर की स्थापना से राज्य में सूक्ष्म और लघु उद्योगों को नया जीवन मिलेगा। इससे नई नौकरियों के अवसर पैदा होंगे और राज्य की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। केंद्र और राज्य सरकार को मिलकर इस दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है, ताकि छत्तीसगढ़ के उद्योगों को मजबूती मिल सके और राज्य के विकास की रफ्तार बढ़ाई जा सके।