छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (सीजी पीएससी) के चयन प्रक्रिया में गंभीर आरोपों की बारिश शुरू हो गई है। केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) ने इस घटना की जांच करने के आदेश जारी किए हैं जिसमें कहा गया है कि सीजी पीएससी की परीक्षा में चयनित 171 उम्मीदवारों में से कई नेताओं और सरकारी अधिकारियों के परिवार के सदस्य शामिल हैं।
आरोपों की दास्तान
सीबीआई के सूत्रों के मुताबिक, सीजी पीएससी की यह परीक्षा मानव संसाधन विकास (HRD) और प्रशासनिक सेवा में 171 पदों के लिए थी। इस परीक्षा में चयनित होने वाले उम्मीदवारों में छत्तीसगढ़ सरकार के कई तत्कालीन वरिष्ठ अधिकारियों और राजनेताओं के परिवार के सदस्य शामिल हैं।
आरोप का मुद्दा
सीबीआई ने आरोप लगाया है कि सीजी पीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष, अधिकारियों और राजनेताओं के परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों को नियुक्त करने में डाले गए हैं। इनमें सीजी पीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी और तत्कालीन सचिव जीवन किशोर ध्रुव के परिवार के सदस्य भी शामिल हैं।
जांच के आदेश
सीबीआई ने इस मामले में जांच शुरू कर दी है और एक FIR भी दर्ज कर ली है। आरोप है कि यह भ्रष्टाचार का मामला है जहां अयोग्य लोगों को मेरिट सूची में शामिल कर डाला गया था।
नाम पर चयन
आरोपों के अनुसार, इन अधिकारियों ने अपने परिवार के सदस्यों को विभिन्न चरणों में नियुक्त किया गया था। उदाहरण के तौर पर, टामन सिंह सोनवानी के बेटे नितेश को डिप्टी कलेक्टर के पद पर नियुक्त किया गया था, जबकि उनके बड़े भाई के बेटे साहिल को डिप्टी सुपरिंटेंडेंट ऑफ पोलिस (डीएसपी) के पद पर चुना गया था। इसी तरह अन्य अधिकारियों के परिवार के सदस्यों को भी बड़े पदों पर चयनित किया गया था।
राजनीतिक संबंध
यह मामला राजनीतिक विवाद का भी मुद्दा बन चुका है। कुछ आरोपी अधिकारियों के रिश्तेदार भी राजनीतिक नेताओं से जुड़े हुए हैं। इसके परिणामस्वरूप, विभिन्न पार्टियों ने इस घटना को उठाकर सरकार के खिलाफ हल्ला बोला है।
सीबीआई की कार्रवाई
सीबीआई ने अब इस मामले में गहरी जांच की घोषणा की है और अपनी जांच में सख्ती से काम कर रही है। इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ जीते जाएंगे या नहीं, यह अब सीबीआई की जांच के परिणाम पर निर्भर करेगा।
यह मामला छत्तीसगढ़ राज्य के लिए गंभीर है क्योंकि यह न केवल भ्रष्टाचार के संकेत के राजनीतिक परिणाम लेकर आया है, बल्कि यह भी सिद्ध करता है कि सरकारी नौकरियां को लेकर बिना योग्यता के लोगों को चुनने की प्रक्रिया में सुधार की जरूरत है। अब इस मामले के निष्कर्ष का इंतजार है कि सीबीआई की जांच से क्या सत्य सामने आएगा और क्या इसके बाद कोई कार्रवाई होगी।