Monday, December 23, 2024

मौलवी की घिनौनी हरकत से तंग 15 साल की लड़की ने दादा की कब्र पर खाकर जान दी

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नरसिंहपुर, मध्य प्रदेश – एक हृदयविदारक घटना में, नरसिंहपुर के स्टेशनगंज में एक 15 वर्षीय नाबालिग बेटी ने अपनी मां की इज्जत बचाने के लिए जहरीला पदार्थ खाकर आत्महत्या कर ली। यह मामला तब सामने आया जब नाबालिग की मां ने समाजसेवी और जिला वक्फ कमेटी के अध्यक्ष को इस भयावह स्थिति के बारे में जानकारी दी।

मौलवी के दैहिक शोषण से परेशान

नाबालिग का शोषण मौलवी इमाम खान पिछले डेढ़ वर्षों से कर रहा था। इमाम खान, जो कि नरसिंहपुर के मुर्गाखेड़ा का निवासी है, ने स्टेशनगंज की नाबालिग के साथ शारीरिक संबंध बनाए रखे। जब समाजसेवी ने इस घटना की जानकारी प्राप्त की, तो उन्होंने तुरंत पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। इसके परिणामस्वरूप, स्टेशनगंज पुलिस ने मामला दर्ज कर मौलवी को जेल भेज दिया।

मौलवी के सहयोगियों का दबाव

मौलवी के जेल जाने के बाद भी समस्या समाप्त नहीं हुई। मौलवी के सहयोगी, जिनमें नरसिंहपुर निवासी कबाड़ी बन्ने खां, आम आदमी पार्टी का नेता जमील, और जामा मस्जिद नरसिंहपुर के अध्यक्ष नईम खान शामिल हैं, लगातार नाबालिग की मां पर दबाव बना रहे थे। वे मौलवी को बचाने के लिए बयान बदलने का दबाव डाल रहे थे।

धमकियों का सामना करती मां-बेटी

20 मई को कबाड़ी बन्ने खां और नईम ने नाबालिग की मां को फोन कर अपने घर बुलाया। वहां उन्होंने उसे धमकाते हुए हलाला करने की बात कही। जब महिला घर लौटी, तो वह रो रही थी। बेटी ने जब रोने का कारण पूछा, तो मां ने सारी बात अपनी बेटी को बताई। यह सुनकर नाबालिग बेटी अपनी मां को बचाने के लिए खुद को जहर खाकर जान देने का फैसला किया।

नकटुआ के कब्रस्तान में आत्महत्या

धमकियों और डर से त्रस्त नाबालिग ने नकटुआ स्थित कब्रस्तान में जाकर अपने दादा की कब्र पर जहर का सेवन कर लिया। यह हृदयविदारक घटना पूरे इलाके में सनसनी फैलाने वाली थी।

पुलिस की तत्परता और लापरवाही

मामले के तूल पकड़ते ही पुलिस अधीक्षक अमित कुमार ने तुरंत तीनों आरोपितों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए। हालांकि, अभी तक इनकी गिरफ्तारी नहीं की गई है। पीड़ित परिवार को लगातार धमकियों का सामना करना पड़ रहा है। आरोपित बन्ने खां, नईम, और जमील खुलेआम घूमकर व्यवस्था को चुनौती दे रहे हैं।

समाजसेवी और मां की शिकायतें

पीड़ित समाजसेवी हुसैन पठान और नाबालिग की मां ने पुलिस अधीक्षक कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई थी। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक को भी शिकायत पत्र सौंपा गया था, लेकिन पुलिस ने इन शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया। पीड़िता की हालत में सुधार होने पर उसे अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है, लेकिन आरोपित अभी भी गिरफ्त से बाहर हैं।

सार्वजनिक आक्रोश और न्याय की मांग

इस घटना ने पूरे नरसिंहपुर में आक्रोश फैला दिया है। लोग न्याय की मांग कर रहे हैं और दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने की मांग कर रहे हैं। पुलिस की लापरवाही और आरोपितों की धमकियों ने इस मामले को और भी गंभीर बना दिया है।

समाज में बढ़ती असुरक्षा

यह घटना न केवल नाबालिग की मां की इज्जत बचाने के प्रयास का दुखद अंत है, बल्कि यह समाज में बढ़ती असुरक्षा और महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों का भी एक जीता-जागता उदाहरण है। ऐसे मामलों में पुलिस और प्रशासन की तत्परता और संवेदनशीलता अत्यंत आवश्यक है, ताकि पीड़ितों को न्याय मिल सके और दोषियों को सजा दी जा सके।

समाज का कर्तव्य

समाज का कर्तव्य है कि वह ऐसी घटनाओं के खिलाफ एकजुट होकर खड़ा हो और पीड़ितों को न्याय दिलाने में सहयोग करे। यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि हम किस दिशा में जा रहे हैं और हमें अपनी सामाजिक संरचना को कैसे मजबूत करना है ताकि हमारी बहनें, बेटियां, और माताएं सुरक्षित रह सकें।

नाबालिग बेटी की आत्महत्या एक गंभीर सामाजिक समस्या की ओर इशारा करती है। यह हमें बताती है कि महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए हमें और भी सशक्त और संवेदनशील होना पड़ेगा। हमें उन संस्थानों पर भी ध्यान देना होगा जो इन मामलों में न्याय दिलाने का काम करते हैं। पुलिस और प्रशासन की तत्परता, समाज की जागरूकता, और सामूहिक प्रयास ही ऐसे दुखद मामलों को रोक सकते हैं और एक सुरक्षित समाज का निर्माण कर सकते हैं।

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