रायपुर की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को जानने के लिए इंडिया टूरिज्म के तर्ज पर रायपुर में हेरिटेज वॉक का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले लोगों को पुरानी बस्ती की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत से अवगत कराया गया। इस हेरिटेज वॉक के माध्यम से प्रतिभागियों को कल्चुरी शासक ब्रह्मदेव के शिलालेखों से लेकर अंग्रेज यात्री डेनियल राबिन्सन लेकी की यात्रा वृत्तांत तक की जानकारियाँ दी गईं।
कल्चुरी शासक ब्रह्मदेव के शिलालेख
डा. आलोक कुमार साहू ने प्रतिभागियों को बताया कि कल्चुरी शासक ब्रह्मदेव के दो शिलालेख पंद्रहवीं सदी के आरंभिक वर्षों के हैं। इन शिलालेखों से ब्रह्मदेव के वंश में उसके पिता रामचंद्र के क्रम में सिंहण और लक्ष्मीदेव की जानकारी मिलती है। इन शिलालेखों ने रायपुर के प्राचीन इतिहास को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
डेनियल राबिन्सन लेकी का यात्रा वृत्तांत
डा. साहू ने आगे बताया कि रायपुर शहर का उल्लेख 1790 में आए अंग्रेज यात्री डेनियल राबिन्सन लेकी की यात्रा वृत्तांत में भी मिलता है। लेकी ने अपने वृत्तांत में बताया कि रायपुर में बड़ी संख्या में व्यापारी और धनाढ्य लोग निवास करते थे। उन्होंने रायपुर के किले का भी वर्णन किया, जिसका निचला भाग पत्थरों का और ऊपरी हिस्सा मिट्टी का था। किले में पांच प्रवेश द्वार थे और पास ही एक रमणीय सरोवर था।
कैप्टन जेम्स टीलियर ब्लंट की जानकारी
पाँच साल बाद आए कैप्टन जेम्स टीलियर ब्लंट ने बताया कि रायपुर नगर में 3 हजार मकान थे। नगर के उत्तर-पूर्व में बहुत बड़ा किला था, जो ढहने की स्थिति में था। इस जानकारी ने रायपुर की प्राचीन संरचनाओं और उनके महत्व को उजागर किया।
टूरी हटरी का इतिहास
हेरिटेज वॉक का समापन टूरी हटरी पर हुआ। डा. साहू ने बताया कि छत्तीसगढ़ में महिलाओं को सदैव ही सम्मान पूर्ण स्थान दिया जाता रहा है, और इसका एक उदाहरण है टूरी हटरी। 14वीं शताब्दी के अंत में टूरी हटरी बाजार का इलाका ब्रम्हपुरी नगर के नाम से जाना जाता था। तब यहां छोटे स्तर पर बाजार लगना शुरू हुआ, जहां छोटी-छोटी बच्चियां बाजार में बैठती थीं और महिलाओं-युवतियों के साज-शृंगार का सामान बेचती थीं। इसलिए इस बाजार का नाम टूरी हटरी पड़ा, जिसमें टूरी का मतलब छोटी बच्ची और हटरी का मतलब बाजार होता है।
हेरिटेज वॉक का आयोजन
पर्यटन मंत्रालय भारत सरकार और छत्तीसगढ़ टूरिज्म बोर्ड के संयुक्त तत्वावधान में हेरिटेज वॉक श्रृंखला का आयोजन किया जा रहा है। इस वॉक का आयोजन शुक्रवार से शुरू हुआ है और अगले दो शुक्रवार यानी 19 और 26 जुलाई 2024 को दो और हेरिटेज वॉक की योजना बनाई गई है, जिसका समय सुबह सात से नौ बजे रहेगा। इस वॉक के माध्यम से प्रतिभागियों को रायपुर की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों से रूबरू होने का अवसर मिलेगा।
हेरिटेज वॉक का उद्देश्य
इस हेरिटेज वॉक का मुख्य उद्देश्य लोगों को रायपुर की समृद्ध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के प्रति जागरूक करना है। डा. साहू ने बताया कि रायपुर की प्राचीन धरोहरों को संरक्षित करने और आने वाली पीढ़ियों को इसके महत्व को समझाने के लिए इस प्रकार की पहल आवश्यक है। हेरिटेज वॉक में भाग लेने वाले लोगों ने भी इस पहल की सराहना की और इसके माध्यम से उन्हें अपने शहर की प्राचीन धरोहरों के बारे में बहुत कुछ जानने को मिला।
रिमझिम बारिश में ऐतिहासिक यात्रा
रिमझिम बारिश के बीच रायपुर के इतिहास और संस्कृति को जानने के लिए लोग सुबह सात बजे पुरानी बस्ती के लिली चौक पर एकत्रित हुए। सभी के चेहरे पर उत्सुकता और जिज्ञासा झलक रही थी। फिर सभी पुरानी बस्ती के जैतू साव मठ की ओर आगे बढ़े। टूरिज्म विशेषज्ञ और इतिहास के जानकार डा. आलोक कुमार साहू ने शहर की विरासत के बारे में जानकारी दी। प्रतिभागियों ने बड़ी ही उत्सुकता से उनकी बातों को सुना।
रायपुर की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर
डा. साहू ने बताया कि रायपुर का इतिहास और इसकी सांस्कृतिक धरोहर बेहद समृद्ध है। कल्चुरी शासकों से लेकर अंग्रेज यात्रियों तक के वृत्तांतों में रायपुर का उल्लेख मिलता है। यह शहर हमेशा से ही व्यापार और संस्कृति का केंद्र रहा है। रायपुर के किले, सरोवर और बाजार इसकी प्राचीनता और महत्व को दर्शाते हैं।
भविष्य की योजनाएँ
डा. साहू ने बताया कि इस हेरिटेज वॉक श्रृंखला के माध्यम से रायपुर की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने और इसके प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। अगले हेरिटेज वॉक में भी लोगों को रायपुर की अन्य महत्वपूर्ण धरोहरों के बारे में बताया जाएगा। इस प्रकार की पहल से लोगों में अपने शहर के प्रति गर्व और उसकी धरोहरों के प्रति सम्मान बढ़ेगा।
रायपुर की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को जानने और समझने के लिए आयोजित हेरिटेज वॉक ने सभी प्रतिभागियों को एक अनूठा अनुभव प्रदान किया। कल्चुरी शासक ब्रह्मदेव के शिलालेखों से लेकर अंग्रेज यात्री डेनियल राबिन्सन लेकी के वृत्तांतों तक, रायपुर की समृद्ध धरोहर ने सभी को प्रभावित किया। इस प्रकार की पहल से रायपुर की धरोहरों को संरक्षित करने और आने वाली पीढ़ियों को इसके महत्व को समझाने में मदद मिलेगी।