इंदौर, मध्य प्रदेश – खंडवा रोड स्थित परमानंद आश्रम से लापता हुआ एक मानसिक रूप से बीमार किशोर, आनंद, शुक्रवार शाम को मरीमाता चौराहे पर पाया गया। बाणगंगा पुलिस ने किशोर को तेजाजी नगर थाने ले जाकर सभी आवश्यक कागजी कार्यवाही पूरी करने के बाद परमानंद आश्रम में वापस शिफ्ट कर दिया।
घटना का विवरण
आठ जुलाई की शाम को, लगभग चार बजे, आनंद पिता धनसिंह (16), निवासी झांसी, परमानंद आश्रम से लापता हो गया था। आश्रम प्रशासन ने तुरंत उसकी तलाश शुरू की और सीसीटीवी फुटेज से लेकर ड्रोन कैमरों तक का उपयोग किया गया, लेकिन आनंद का कोई सुराग नहीं मिला।
युगपुरुष धाम आश्रम की संचालिका डॉ. अनिता शर्मा ने बताया कि आनंद पहले पंचकुइया वाले आश्रम में रहता था, और उसे अन्य बच्चों के साथ खंडवा नाका आश्रम में शिफ्ट किया गया था। 8 जुलाई को गोशाला के पास घास की गाड़ी आई थी और उस समय आनंद बाहर घूम रहा था। वह गाड़ी में बैठकर बाहर निकल गया और उसके बाद से लापता था।
मरीमाता चौराहे पर मिला
शुक्रवार शाम को, आनंद मरीमाता चौराहे पर एक पानीपुरी बेचने वाले के पास पहुंचा और पानीपुरी खाने लगा। लेकिन जब उसने बिना पैसे दिए जाने की कोशिश की, तो पानीपुरी बेचने वाले ने उसे पकड़ लिया। उसकी टी-शर्ट पर ‘श्री युगपुरुष धाम बौद्धिक विकास केंद्र’ लिखा हुआ था, जिससे लोगों ने उसे पहचाना और तुरंत पुलिस को सूचना दी। इंटरनेट मीडिया पर आनंद की फोटो पहले से ही प्रसारित हो चुकी थी, इसलिए पहचानने में कोई कठिनाई नहीं हुई।
बाणगंगा पुलिस मौके पर पहुंची और आनंद को तेजाजी नगर थाने लेकर गई। देर रात, सभी आवश्यक कागजी कार्यवाही के बाद, आनंद को परमानंद आश्रम में वापस शिफ्ट कर दिया गया।
परिवार और आश्रम की प्रतिक्रिया
आनंद के लापता होने के बाद से परिवार और आश्रम प्रशासन बेहद चिंतित थे। डॉ. अनिता शर्मा ने बताया कि चार दिन से आनंद यहां-वहां घूम रहा था और सड़क किनारे सोता रहा। जब वह मिला तो वह थका हुआ और भूखा था। आश्रम प्रशासन ने तुरंत उसे भोजन और आराम का प्रबंध किया।
आनंद के असली नाम के बारे में भी जानकारी मिली। आश्रम में उसका नाम आनंद था, जबकि उसका असली नाम अमन है। उसके परिवार को भी इस बात की सूचना दी गई है और वे जल्द ही इंदौर पहुंचेंगे।
पुलिस की कार्रवाई
तेजाजी नगर थाना प्रभारी ने बताया कि किशोर के लापता होने की सूचना मिलते ही पुलिस ने तुरंत कार्रवाई शुरू की थी। सीसीटीवी फुटेज और ड्रोन कैमरों की मदद से उसे खोजने की पूरी कोशिश की गई। हालांकि, वह चार दिन तक इंदौर के विभिन्न इलाकों में भटकता रहा। मरीमाता चौराहे पर उसे पहचानने के बाद तुरंत पुलिस को सूचित किया गया और उसे सुरक्षित वापस आश्रम में पहुंचाया गया।
समाज की प्रतिक्रिया
इस घटना के बाद समाज में सुरक्षा और निगरानी को लेकर कई सवाल उठे हैं। बच्चों की सुरक्षा और उनकी देखभाल के प्रति अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है। आश्रम प्रशासन ने भी इस घटना से सबक लेते हुए सुरक्षा उपायों को और सख्त करने का निर्णय लिया है।
यह घटना इंदौर के युगपुरुष आश्रम और परमानंद आश्रम के बीच हुई थी, जहां एक मानसिक रूप से बीमार किशोर आनंद चार दिन तक लापता रहा। मरीमाता चौराहे पर लोगों की सतर्कता और पुलिस की सक्रियता के कारण उसे सुरक्षित वापस लाया जा सका। इस घटना ने एक बार फिर समाज में बच्चों की सुरक्षा और देखभाल के प्रति सतर्कता बढ़ाने की आवश्यकता को उजागर किया है।
आश्रम प्रशासन और पुलिस दोनों ने मिलकर इस समस्या का समाधान निकाला और अब आनंद सुरक्षित है। इस घटना ने यह भी साबित किया कि जब समाज और प्रशासन मिलकर काम करते हैं, तो कोई भी समस्या का समाधान संभव है।