नीट घोटाले को लेकर कांग्रेस की छात्र इकाई एनएसयूआई (नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया) ने आगामी 24 जून को संसद का घेराव करने की घोषणा की है। एनएसयूआई अध्यक्ष वरुण चौधरी ने संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी। उन्होंने एनटीए (नेशनल टेस्टिंग एजेंसी) को बैन करने, नीट परीक्षा दोबारा कराने और घोटाले में शामिल लोगों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।
चौधरी ने कहा, “नीट घोटाले को लेकर कांग्रेस और एनएसयूआई लगातार आवाज उठा रही है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पेपर लीक और धांधली की बात से साफ इनकार कर दिया है। जबकि बिहार में कुछ बच्चों ने यह कबूल किया है कि उन्हें परीक्षा से पहले ही पेपर मिल गए थे। इसका मतलब यह घोटाला सिर्फ ग्रेस मार्क्स तक सीमित नहीं है। इसके बावजूद धर्मेंद्र प्रधान लगातार एनटीए को बचा रहे हैं।”
चौधरी ने आगे कहा, “2017 में जब भाजपा सरकार एनटीए लेकर आई थी, तो कहा गया था कि इससे परीक्षाओं में पारदर्शिता बढ़ेगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। अब तो हमें यह भी शक होता है कि शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान खुद ही एनटीए के साथ पेपर लीक कांड में शामिल हैं। क्योंकि वे 24 लाख बच्चों का भविष्य दांव पर लगाकर एनटीए को बचाने में लगे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी नीट की धांधली पर खामोश हैं।
एनएसयूआई ने यह भी आरोप लगाया कि नीट घोटाला केवल कुछ छात्रों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक बड़ा नेटवर्क है जो परीक्षा प्रणाली की पारदर्शिता और विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचा रहा है। एनएसयूआई ने नीट परीक्षा में शामिल सभी छात्रों के लिए न्याय की मांग की है और सरकार से इस मामले की गहन जांच कराने की अपील की है।
एनएसयूआई का कहना है कि अगर सरकार ने उनकी मांगों को नहीं माना, तो वे देशव्यापी आंदोलन करेंगे। चौधरी ने कहा, “हम किसी भी कीमत पर छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं होने देंगे। हम न्याय की लड़ाई लड़ेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि दोषियों को सख्त से सख्त सजा मिले।”
इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर से शिक्षा प्रणाली में सुधार और पारदर्शिता की आवश्यकता को उजागर किया है। एनएसयूआई का मानना है कि जब तक शिक्षा मंत्रालय और एनटीए जैसी संस्थाओं में सुधार नहीं होता, तब तक छात्रों का भविष्य सुरक्षित नहीं हो सकता। एनएसयूआई ने शिक्षा मंत्री के इस्तीफे की भी मांग की है और कहा है कि जब तक धर्मेंद्र प्रधान अपने पद से इस्तीफा नहीं देते, तब तक वे अपना आंदोलन जारी रखेंगे।
चौधरी ने अंत में कहा, “हम सभी छात्रों और अभिभावकों से अपील करते हैं कि वे हमारे साथ आएं और इस लड़ाई को मजबूत बनाएं। यह केवल एक परीक्षा का मामला नहीं है, बल्कि पूरे शिक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता का सवाल है। हम सभी को मिलकर इस लड़ाई को लड़ना होगा और सुनिश्चित करना होगा कि हमारे बच्चों का भविष्य सुरक्षित रहे।”
एनएसयूआई की इस घोषणा के बाद से ही छात्रों और अभिभावकों में हलचल मच गई है। सभी की निगाहें अब 24 जून को होने वाले संसद घेराव पर टिकी हैं। देखना यह होगा कि सरकार इस पर क्या प्रतिक्रिया देती है और क्या एनएसयूआई की मांगों को मानती है या नहीं। छात्रों का भविष्य दांव पर है और सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है कि वे इस मामले में सख्त कदम उठाएं और दोषियों को सजा दिलाएं।