संयुक्त राष्ट्र, 23 जुलाई (एपी) – संयुक्त राष्ट्र ने सोमवार को जारी अपनी नई रिपोर्ट में खुलासा किया है कि वर्ष 2023 के दौरान लगभग चार करोड़ लोग एचआईवी संक्रमण के साथ जी रहे थे। यह रिपोर्ट, जो वैश्विक स्वास्थ्य और महामारी पर एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है, बताती है कि इस समय के दौरान 90 लाख से अधिक लोग ऐसे थे जिन्हें आवश्यक इलाज नहीं मिला। इसके कारण हर मिनट किसी न किसी संक्रमित व्यक्ति की एड्स से संबंधित कारणों से मौत हुई है।
एचआईवी और एड्स: एक दीर्घकालिक चुनौती
एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस) एक ऐसा वायरस है जो शरीर के इम्यून सिस्टम को कमजोर करता है और यदि इसका इलाज समय पर न किया जाए, तो यह एड्स (एक्वायर्ड इम्यूनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम) में बदल सकता है। एड्स एक ऐसी अवस्था है जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम इतना कमजोर हो जाता है कि व्यक्ति संक्रमण और अन्य बीमारियों से जूझने में असमर्थ हो जाता है।
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में 6.30 लाख लोगों की एड्स से संबंधित बीमारियों के कारण मौत हो गई। हालांकि, यह संख्या 2004 के मुकाबले काफी कम है, जब एड्स से संबंधित मौतों की संख्या 21 लाख थी। लेकिन, वर्तमान आंकड़े फिर भी 2025 तक एड्स से संबंधित मौतों की संख्या को ढाई लाख तक सीमित करने के लक्ष्य से कहीं अधिक हैं।
वैश्विक स्थिति और चुनौतियाँ
रिपोर्ट में बताया गया है कि वैश्विक एड्स महामारी को समाप्त करने की दिशा में प्रगति हो रही है, लेकिन इसकी गति धीमी हो गई है। इसके पीछे कई कारण हैं, जिनमें वित्तपोषण की कमी और नए क्षेत्रों में संक्रमण के मामले बढ़ना शामिल है। विशेष रूप से, पश्चिम एशिया, उत्तरी अफ्रीका, पूर्वी यूरोप, मध्य एशिया और लैटिन अमेरिका जैसे क्षेत्रों में एचआईवी संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं।
यूएनएड्स की कार्यकारी निदेशक विनी ब्यानयीमा ने कहा, “वैश्विक नेताओं ने संकल्प लिया है कि 2030 तक एड्स महामारी को लोक स्वास्थ्य के लिए खतरे के रूप में समाप्त कर दिया जाएगा। हालांकि, यह केवल तभी संभव है जब आवश्यक संसाधन उपलब्ध हों और सभी के मानवाधिकारों की रक्षा सुनिश्चित की जाए।”
लैंगिक असमानता और युवा आबादी पर प्रभाव
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि लैंगिक असमानता विशेष रूप से लड़कियों और महिलाओं के लिए जोखिम को बढ़ा रही है। अफ्रीका के कुछ हिस्सों में किशोरियों और युवतियों में एचआईवी के मामले अत्यधिक बढ़ गए हैं। यह स्थिति यह दर्शाती है कि एड्स से लड़ने में सिर्फ चिकित्सा का ही नहीं, बल्कि सामाजिक और लैंगिक मुद्दों का समाधान भी आवश्यक है।
उपचार और जागरूकता
रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल 3.99 करोड़ लोग एचआईवी संक्रमण के साथ जी रहे थे। इनमें से 86 प्रतिशत को पता था कि वे संक्रमित हैं, और 77 प्रतिशत संक्रमित लोग इलाज करा रहे थे। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अभी भी बहुत से लोगों को इलाज तक पहुंच नहीं मिल रही है, जिससे उनकी जान को खतरा बना हुआ है।
भविष्य की दिशा
वैश्विक स्तर पर एचआईवी/एड्स की महामारी को समाप्त करने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। इनमें संक्रमित लोगों को इलाज मुहैया कराना, जागरूकता अभियान चलाना और लैंगिक समानता को बढ़ावा देना शामिल है। इसके अलावा, वैक्सीन और नई चिकित्सा प्रौद्योगिकियों पर अनुसंधान जारी है, जो भविष्य में इस महामारी को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं।
सरकारों और संगठनों की भूमिका
इस रिपोर्ट के आधार पर, विश्व स्वास्थ्य संगठनों और सरकारी निकायों के लिए यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि वे एचआईवी/एड्स के खिलाफ लड़ाई को और भी प्रभावी बनाने के लिए प्रयास करें। इसके लिए आवश्यक है कि वे वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता को सुनिश्चित करें और सभी देशों में एचआईवी के इलाज और रोकथाम की सुविधाओं का विस्तार करें।
संयुक्त राष्ट्र ने इस रिपोर्ट के माध्यम से एक बार फिर यह स्पष्ट किया है कि एचआईवी/एड्स की महामारी को समाप्त करने के लिए वैश्विक स्तर पर समन्वित प्रयासों की आवश्यकता है। यह समय की मांग है कि सभी देशों और संगठनों को इस दिशा में अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुए ठोस कदम उठाने चाहिए ताकि इस महामारी को नियंत्रित किया जा सके और भविष्य में इसके प्रभाव को कम किया जा सके।