मार्च 2023 तक ईपीएफ से मिलने वाले ब्याज पर आयकर लगाने का निर्णय केंद्र सरकार ने लिया है। यह निर्णय भविष्य निधि में अधिक ब्याज कमाने वाले करदाताओं को प्रभावित कर सकता है। इस निर्णय के अनुसार, वर्ष 2022 के बजट में इसे पारित कर दिया गया था। अब व्यक्तिगत करदाताओं को एक वित्त वर्ष में 2.5 लाख रुपये से अधिक के प्रोविडेंट फंड (पीएफ) में जमा ब्याज पर भी आयकर देना होगा।
इस नए नियम के तहत, अगर आपने अभी तक वित्तीय वर्ष 2023-24 का रिटर्न फाइल नहीं किया है, तो आपके पास सिर्फ 16 दिन का समय शेष है। 31 जुलाई से बाद में रिटर्न जमा कराने पर 1000 रुपये से 5000 रुपये का जुर्माना भी देना पड़ सकता है। इसलिए, अपना रिटर्न समय पर भरना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
इसके अलावा, वित्त वर्ष के अंत में बड़ी रकमों में निवेश करने वाले व्यक्तियों को इस नियम से सीधा प्रभाव जाएगा। उनके लिए यह आवश्यक है कि वे इस नए आयकर के बारे में समझें और अपनी निवेश स्ट्रैटेजी को इसके अनुसार बदलें।
आयकर विभाग ने इसे सख्ती से लागू करने का ऐलान किया है और विशेष ध्यान दिया जा रहा है कि कोई भी करदाता इस नए नियम के पालन में लापरवाही न करे। नहीं तो उन्हें आयकर विभाग के द्वारा नोटिस भेजा जा सकता है और उन्हें अत्यधिक जुर्माना भी भरना पड़ सकता है।
इस नियम के प्रभाव से बहुत से उन लोगों को प्रभावित किया जा रहा है जिनकी बेसिक सेलरी कम होती है, लेकिन उनकी कुल सैलरी अधिक होती है। ऐसे करदाताओं को भी अब इस नए नियम के अंतर्गत टैक्स के दायरे में आना पड़ सकता है।
इसलिए, अगर आपकी वर्तमान बेसिक सेलरी हर महीने 2.5 लाख रुपये से अधिक है और आप वीपीएफ में योगदान नहीं कर रहे हैं, तो आपको टैक्स से चिंतित होने की आवश्यकता है। लेकिन इस नियम का प्रभाव केवल बड़े निवेशकों पर ही सीमित नहीं है, बल्कि कम बेसिक सेलरी वाले करदाताओं पर भी हो सकता है।
अगर आपकी बेसिक सेलरी कुल सैलरी का 30 प्रतिशत है तो आपकी कुल सैलरी में 1.67 गुना वृद्धि हो सकती है और आप इस नए आयकर के दायरे में आ सकते हैं। इसलिए, यदि आप बेसिक सेलरी पर से अधिक कमाते हैं, तो आपको एक्सट्रा ईपीएफ कंट्रीब्यूशन पर मिलने वाले ब्याज पर भी टैक्स देना पड़ सकता है।