मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले के उपभोक्ता फोरम ने 11 साल पुराने एक मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया, जिसे मध्य प्रदेश राज्य उपभोक्ता प्रतितोषण आयोग ने भी सही ठहराया है। यह मामला उपभोक्ता अधिकारों और न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इस मामले में बालाघाट के एक जूता विक्रेता को 3,040 रुपये का जुर्माना भरने का आदेश दिया गया, जिसमें मूल राशि के साथ वार्षिक ब्याज और शारीरिक व मानसिक क्षति के लिए हर्जाना शामिल था।
मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला 2013 में तब शुरू हुआ जब बालाघाट निवासी शिवराज ठाकुर ने शहर के प्रतिष्ठित जूता विक्रेता ‘ज्योति फुट वेयर’ से एक जोड़ी जूते खरीदे। खरीदारी के कुछ ही दिनों बाद जूतों में खराबी आई और जब उन्होंने इसे वापस करने की कोशिश की, तो विक्रेता ने जूते वापस लेने से इनकार कर दिया। निराश होकर शिवराज ने जिला उपभोक्ता फोरम का सहारा लिया और न्याय की मांग की।
जिला उपभोक्ता फोरम का फैसला
बालाघाट जिला उपभोक्ता फोरम ने 4 सितंबर 2013 को शिवराज ठाकुर के पक्ष में फैसला सुनाया। फोरम ने ‘ज्योति फुट वेयर’ को 600 रुपये की राशि, जो कि जूते की कीमत थी, 6% वार्षिक ब्याज सहित लौटाने का आदेश दिया। साथ ही, शारीरिक और मानसिक क्षति के लिए 1,000 रुपये और अपील का व्यय भी 1,000 रुपये प्रदान करने का निर्देश दिया।
शिवराज ठाकुर की अपील
हालांकि, शिवराज ठाकुर इस फैसले से पूरी तरह संतुष्ट नहीं थे और उन्होंने इस मामले को मध्य प्रदेश राज्य उपभोक्ता प्रतितोषण आयोग में अपील की। उन्होंने तर्क दिया कि उन्हें इस मामूली क्षतिपूर्ति से अधिक की उम्मीद थी, क्योंकि उनके अनुसार जूतों की खराबी ने उन्हें काफी नुकसान पहुँचाया था। इस अपील पर सुनवाई के दौरान आयोग ने जिला उपभोक्ता फोरम के फैसले को सही ठहराया और इसे बरकरार रखा।
प्रतिष्ठान पर जमानती वारंट और जुर्माना
जब फोरम के आदेश का पालन नहीं किया गया, तो ‘ज्योति फुट वेयर’ के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया गया। न्यायालय ने प्रतिष्ठान को आदेश दिया कि वह शिवराज ठाकुर को कुल 3,040 रुपये की राशि प्रदान करे। इसमें 600 रुपये की मूल राशि के साथ 6% वार्षिक ब्याज, 1,000 रुपये शारीरिक और मानसिक पीड़ा के लिए, और 1,000 रुपये अपील व्यय के लिए शामिल थे।
11 साल के लंबे इंतजार के बाद न्याय
इस मामले में न्याय पाने में 11 साल लग गए, लेकिन आखिरकार शिवराज ठाकुर को न्याय मिला। जिला उपभोक्ता फोरम के सदस्य डॉ. महेश चांडक ने बताया कि यह मामला उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि यह फैसला उन सभी उपभोक्ताओं के लिए प्रेरणास्रोत है जो अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
उपभोक्ता अधिकारों की जीत
यह फैसला उपभोक्ता अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने और व्यापारिक प्रतिष्ठानों को उनकी जिम्मेदारियों की याद दिलाने का कार्य करता है। यह स्पष्ट संदेश देता है कि उपभोक्ताओं के अधिकारों का उल्लंघन करने पर न्यायिक प्रक्रिया का सहारा लिया जा सकता है और उचित न्याय पाया जा सकता है।
फैसले का व्यापक असर
मध्य प्रदेश राज्य उपभोक्ता प्रतितोषण आयोग द्वारा इस फैसले को सही ठहराने के बाद, इस मामले ने राज्य में उपभोक्ता विवादों के निवारण में एक मिसाल कायम की है। यह फैसला अन्य उपभोक्ता विवादों में भी एक उदाहरण बनेगा और उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों के प्रति अधिक जागरूक करेगा।
शिवराज ठाकुर की प्रतिक्रिया
शिवराज ठाकुर ने इस फैसले पर संतोष जताया और कहा कि उन्हें न्याय मिलने की खुशी है। उन्होंने कहा कि यह फैसला उन सभी उपभोक्ताओं के लिए प्रेरणादायक है जो अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे हैं।
आगे की दिशा
इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि उपभोक्ता फोरम और उपभोक्ता प्रतितोषण आयोग उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। यह फैसला व्यापारिक प्रतिष्ठानों को भी यह संदेश देता है कि वे उपभोक्ताओं के साथ निष्पक्ष और ईमानदार व्यवहार करें, अन्यथा उन्हें कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।
मध्य प्रदेश के बालाघाट जिला उपभोक्ता फोरम के इस ऐतिहासिक फैसले ने उपभोक्ता अधिकारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह फैसला यह साबित करता है कि उपभोक्ता फोरम और आयोग उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा के लिए तत्पर हैं और उन्हें न्याय दिलाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। शिवराज ठाकुर के इस मामले ने उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होने और न्याय पाने के लिए प्रेरित किया है।