कटघोरा वन मंडल में विधानसभा चुनाव की तरह लोकसभा चुनाव में भी हाथियों का खौफ नजर आ रहा है। इस वजह से वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी प्रभावित गांवों में पहुंचकर दोपहर तक मतदान करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। वन परिक्षेत्र अधिकारी केंदई अभिषेक दुबे के अनुसार हाथी शाम को ही भोजन की तलाश में निकलते हैं।
इस वजह से शाम होने के पहले ही ग्रामीणों को मतदान करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। निर्वाचन आयोग ने हाथी के खौफ के चलते इस बार मतदान के लिए 2 घंटे अतिरिक्त समय दिया है। इस बार 7 मई की सुबह 7 बजे से ही मतदान शुरू हो जाएगा, जो 6 बजे तक चलेगा। पहले यहां सुबह 8 से शाम 5 बजे तक मतदान होता था।
ग्रामीणों की परिस्थिति: हाथियों के भय में
प्रभावित क्षेत्र के गांवों में ग्रामीण हाथी के भय से सो नहीं पा रहे हैं। वन विभाग के वाहन का सायरन कभी भी बज उठता है, और जब बजता है, तो उन्हें लगता है कि हाथी अब नजदीक आ गए हैं। इसके बाद वे समुद्र की तरह घरों की ओर बढ़ जाते हैं। ग्रामीण कहते हैं कि हाथियों के आने के बावजूद भी, वे वोट डालने के लिए तैयार हैं।
हाथियों का मूवमेंट और निगरानी: वन विभाग की पहल
कटघोरा वन मंडल के केंदई और एतमानगर रेंज में हाथियों का झुंड घूम रहा है, जो कापा नवापारा के जंगल में हैं। सबसे अधिक समस्या कोरबी और पसान क्षेत्र में है, जहां हाथियों के निगरानी के लिए रात में थर्मल ड्रोन कैमरे उपयोग में लाए जा रहे हैं।
प्रचार और मतदाताओं का साहस: हाथियों से प्रभावित
राजनीतिक दलों के पदाधिकारी भी हाथी प्रभावित क्षेत्रों में प्रचार प्रसार के लिए हाथियों का मूवमेंट लेकर ही निकलते हैं। मतदाताओं की उत्सुकता के बावजूद, वे वोट डालने के लिए तैयार हैं, जो एक सशक्त लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए आवश्यक है।
विकल्पिक कार्रवाई: संगठन और सुरक्षा
हाथियों के साथ संगठित और समायोजित योजना बनाना महत्वपूर्ण होगा ताकि ग्रामीणों को सुरक्षित मतदान करने की सुविधा मिल सके। साथ ही, समाजिक, राजनीतिक और वन्यजीव विशेषज्ञों के साथ मिलकर समस्या का समाधान करना अवश्य होगा।
आपके द्वारा संदर्भित की गई समस्याएं गंभीर हैं, और सही दिशा में कदम उठाने के लिए सभी स्तरों पर सहयोग की आवश्यकता है।