मध्य प्रदेश के उज्जैन में मुहर्रम के जुलूस के दौरान हनुमान चालीसा का पाठ किए जाने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस वीडियो ने हिंदू-मुस्लिम एकता और सांप्रदायिक सौहार्द्र का एक अद्वितीय उदाहरण पेश किया है, जिसने पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया है।
कांवड़ यात्रा विवाद के बीच सौहार्द्र की मिसाल
हाल ही में कांवड़ यात्रा के दौरान हिंदू-मुस्लिम विवाद की खबरें सुर्खियों में थीं, जहां कांवड़ यात्रा के रास्ते में पड़ने वाले दुकानदारों से उनके नाम लिखवाने को कहा गया था। ऐसे माहौल में उज्जैन का यह वीडियो एक ताजगी भरा संदेश लेकर आया है। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि कैसे हिंदू और मुस्लिम समुदाय ने मिलकर मोहर्रम का स्वागत किया और फिर एक साथ हनुमान चालीसा का पाठ किया।
कचहरी चौराहे पर अनोखा दृश्य
उज्जैन जिले के उन्हेल के कचहरी चौराहे पर नगर परिषद के पार्षदों और अन्य नेताओं ने मोहर्रम के जुलूस का जोरदार स्वागत किया। जब लोग मोहर्रम का स्वागत कर रहे थे, तभी अचानक बैंड की धुन बदल गई और हनुमान चालीसा का पाठ शुरू हो गया। यह दृश्य देखकर वहां मौजूद सैकड़ों लोग अचंभित रह गए। परंतु, इस अप्रत्याशित घटनाक्रम को दोनों समुदायों ने सहर्ष स्वीकार किया और एक दूसरे पर फूलों की बारिश कर सांप्रदायिक सौहार्द्र का संदेश दिया।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
इस वीडियो ने सोशल मीडिया पर धूम मचा दी है और लोगों की विभिन्न प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। एक यूजर ने लिखा, “यही तो है हमारा असली भारत, इन नेताओं के चक्कर में पड़कर इस भारत को छोड़ना मत।” वहीं, एक अन्य ने कहा, “क्या यह जरूरी है कि सामाजिक सौहार्द्र के लिए एक दूसरे के धार्मिक आयोजनों में हनुमान चालीसा या कुरान पढ़ना आवश्यक है?” एक तीसरे यूजर ने टिप्पणी की, “हमारे समाज में अधिकतर लोग ऐसे हैं, जो एक दूसरे के धर्म का सम्मान करते हैं।”
उज्जैन में बड़ा हादसा टला
इस सकारात्मक खबर के बीच, मोहर्रम के जुलूस के दौरान एक हादसा भी टल गया। कचहरी चौराहे पर कमरी मार्ग से गीता कॉलोनी की ओर जा रहे प्रतीकात्मक घोड़े (बड़े साहब) के गिरने से तीन पुलिसकर्मी नीचे दब गए। घटना बुधवार रात 11 बजे की है, जब गोपाल मंदिर पहुंचने पर एक युवक का बैलेंस बिगड़ गया और घोड़ा आगे की ओर झुक गया। इससे कई लोग उसके नीचे दब गए, परंतु कोई बड़ी अनहोनी नहीं हुई।
सांप्रदायिक सौहार्द्र का संदेश
इस घटना ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि भारत में विभिन्न समुदायों के बीच सांप्रदायिक सौहार्द्र और आपसी सम्मान का भाव हमेशा से रहा है और रहेगा। उज्जैन में मोहर्रम के जुलूस के दौरान हनुमान चालीसा का गूंजना यह दर्शाता है कि धर्म और आस्था के बावजूद लोग एक-दूसरे के प्रति सम्मान और प्यार का भाव रखते हैं। इस घटना ने पूरे देश को यह संदेश दिया है कि हम सभी को मिलजुल कर रहना चाहिए और एक-दूसरे के धर्म और मान्यताओं का सम्मान करना चाहिए।
सामुदायिक समर्थन और नेतृत्व की भूमिका
इस घटना में नगर परिषद के पार्षदों और स्थानीय नेताओं की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही। उनके नेतृत्व में ही इस तरह का सकारात्मक माहौल बन सका, जहां दोनों समुदायों ने मिलकर सांप्रदायिक सौहार्द्र का प्रदर्शन किया। यह दर्शाता है कि सही नेतृत्व और सकारात्मक दृष्टिकोण से किसी भी प्रकार की सांप्रदायिकता को दूर किया जा सकता है और समाज में शांति और सौहार्द्र स्थापित किया जा सकता है।