छत्तीसगढ़ की नई भाजपा सरकार ने प्रदेश में महिला स्व सहायता समूहों को रेडी टू ईट (Ready to Eat) योजना का प्रबंधन सौंपने का फैसला किया है। यह फैसला पूर्व में छत्तीसगढ़ की सरकार द्वारा एक निजी कंपनी को दिए जाने वाले काम को रद्द करते हुए किया गया है। इसके प्रस्तावित बदलाव के बारे में महिला एवं बाल विकास विभाग ने एक विस्तृत अध्ययन और रिपोर्ट तैयार की है, जिसे शीघ्र ही कैबिनेट में प्रस्तुत किया जाएगा।
योजना का पूर्व कांग्रेस सरकार में विवादित इतिहास
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार के दौरान, रेडी टू ईट के काम को एक निजी कंपनी को सौंपा गया था। इस फैसले ने महिलाओं की आवाज को उठाने का कारण बना और उन्हें अपने अधिकारों के लिए लड़ना पड़ा। वे इस निर्णय के खिलाफ ही नहीं, बल्कि न्याय की मांग में भी अपनी आवाज उठाई। हालांकि, उनकी यह दावेदारी कभी भी सुनी नहीं गई।
नया सरकारी प्रस्ताव
छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार के आने के बाद, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस पिछले निर्णय को रद्द करते हुए नया प्रस्ताव लाया है। अब रेडी टू ईट का काम स्व सहायता समूहों को सौंपा जाएगा। इस प्रस्ताव के तहत, गर्भवती माताओं और कुपोषित बच्चों के लिए इन समूहों को काम दिया जाएगा, जो स्वस्थ्य आहार के साथ-साथ महिलाओं के आर्थिक उत्थान में भी मदद करेंगे।
समाज की प्रतिक्रिया
यह नया प्रस्ताव समाज में बड़ी सराहना पा रहा है। महिला समूहों के विरोधी ताकतों ने इसे एक महत्वपूर्ण कदम माना है जो समाज में स्त्री शक्ति को सशक्त करेगा। वे इसे एक समृद्धि और समाजिक समावेश की दिशा में एक प्रगतिशील नजरिया मान रहे हैं।
सरकारी दृष्टिकोण
सरकारी स्तर पर, यह नया प्रस्ताव भीमा महिला एवं बाल विकास विभाग के अध्यक्ष द्वारा भी बड़ी संख्या में स्वागत किया जा रहा है। इसे सरकारी नीति के अनुसार एक नई दिशा में प्रस्तुत किया जा रहा है जो महिलाओं के अधिकारों और सम्मान को मजबूत करने के लिए प्रयासरत है।
छत्तीसगढ़ में इस प्रस्ताव के जरिए, सरकार ने महिलाओं के समूहों को सशक्तिकरण का एक नया माध्यम प्रदान किया है। यह न केवल उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार लाने का प्रयास है, बल्कि समाज में उनके स्थान को मजबूत बनाने का भी एक कदम है। इसके साथ ही, यह नया प्रस्ताव एक सुस्त व्यवस्था के माध्यम से अधिकारिकरण की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम है, जिससे कि समाज में इस प्रकार की असमानता को कम किया जा सके।